लखनऊ: रेल कर्मचारियों की समस्याओं को लेकर सोमवार को हजरतगंज स्थित डीआरएम कार्यालय का हजारों रेल कर्मियों ने घेराव किया. कर्मचारियों का आरोप है कि कई बार समस्याओं के समाधान का आश्वासन रेलवे के अधिकारियों ने दिया लेकिन समाधान हुआ नहीं. तमाम तरह की समस्याओं से रेलकर्मी जूझ रहे हैं. अब रेलकर्मियों के सब्र का बांध टूट गया है इसलिए अधिकारियों को नींद से जगाने के लिए प्रदर्शन करने उतरना पड़ा है. सोमवार को 15 सूत्री मांगों को लेकर ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन (एआईआरएफ) के महामंत्री शिवगोपाल मिश्रा के नेतृत्व में प्रदर्शन किया गया. हजारों की संख्या में उमड़े रेल कर्मियों ने प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. इस मौके पर शिवगोपाल मिश्रा से ईटीवी भारत ने एक्सक्लूसिव बातचीत की.
सवाल: किन मांगों को लेकर आज डीआरएम कार्यालय का घेराव किया है?
जवाब: सबसे बड़ी मांग तो यह है कि अगर रेलवे में कोई एक आदमी मर जाता है तो उसके स्थान पर दूसरे आदमी को भर्ती करने का काम होता है. अनुकंपा के आधार पर उन्हें नौकरी मिलनी चाहिए. सब जगह ठीक तरीके से चल रहा है लेकिन यहां पर यह भर्ती काफी समय से अटकी हुई है. बार-बार कहने के बावजूद यहां के अधिकारी यही कहते हैं कि हमारे पास जगह नहीं है. डायरेक्ट रिक्रूटमेंट कोटे में जितना उनका कोटा था, उससे दोगुने आदमी ले लिए गए हैं जो कि नियमत: गलत है. जो प्रमोटी लोग हैं, उनको प्रमोशन मिलना चाहिए, उनको प्रमोशन नहीं देकर उनके कोटे को भी एंक्रोचमेंट करके डायरेक्ट रिक्रूटमेंट से भर लिया गया है. हर एक व्यक्ति का अपना एक कोटा है, यह जिम्मेदार अधिकारियों को देखना चाहिए. जो कर्मचारी इतने सालों से काम कर रहे हैं. अगर उनको प्रमोशन नहीं मिलेगा, किसी कर्मचारी की मौत होगी तो उसकी जगह उसका बच्चा, बच्ची या विधवा भर्ती नहीं होगी तो यूनियन बैठी नहीं रह सकती है. आज एक शुरुआत है अभी आंदोलन यहीं रुकने वाला नहीं है.
सवाल: इन मांगों को लेकर कितनी बार अभी तक अधिकारियों से वार्ता हुई? निष्कर्ष क्या निकला क्या सांत्वना मिली?
जवाब: स्थानीय लोग ही इसके बारे में बेहतर बता पाएंगे. कई मौके पर मैंने भी कई गंभीर समस्याओं को सामने रखा है. डीआरएम ने यह भी कहा है कि हम पूरा प्रयास कर रहे हैं. यह सब चीज ठीक हो जाएंगी, लेकिन अभी तक तो ठीक हुई नहीं हैं. अब यही ठीक हो रहा है कि लोग अब सड़क पर उतर रहे हैं. जिन लोगों की जिम्मेदारी गाड़ी चलाने की है, लोगों को सुरक्षित पहुंचाने की है, इस इंडस्ट्री को आगे बढ़ाने की है, वह मजबूर होकर लड़ाई लड़ने उतरे हैं.
सवाल: रेलवे में तकनीकी का इस्तेमाल लगातार बढ़ रहा है, लेकिन रेल हादसे भी लगातार बढ़ ही रहे हैं? इसके पीछे आप क्या कारण मानते हैं?
जवाब: एक तो सबसे बड़ा कारण यही है कि गाड़ियों की संख्या ज्यादा है और जो संरक्षा के लिए उपाय होने चाहिए उतने नहीं हो पा रहे हैं. सबसे बड़ी बात ये है कि रेल मंत्री ने पिछले साल भी इस बात का स्वयं अनुभव किया कि कवच के बगैर गाड़ियां सुरक्षित नहीं चल सकतीं, लेकिन चूंकि कंपनी एक ही है जो कवच बना रही है उसकी वजह से आधे पैसे ही खर्च हो पाए. कल रेल बजट है मैंने वित्त मंत्री से आग्रह किया है कि गाड़ियां सुरक्षित चलें इसके लिए संरक्षा का बजट बढ़ाए जाने की आवश्यकता है. अगर हमारी पटरियों की देखभाल ठीक से होगी, सिगनलिंग सही होगी, हमारे कर्मचारियों की संख्या बढ़ेगी, तभी इन हादसों को रोका जा सकता है.
सवाल: पटरियों का जो फैलाव गर्मियों में हो जाता है, इसको लेकर क्या कोई ऐसी टेक्नोलॉजी विकसित नहीं हो सकती जिससे हादसों पर रोक लग सके?
जवाब: टेक्नोलॉजी जरूर विकसित हो सकती है, ऐसा नहीं कि विकसित नहीं हो सकती. दुनिया के दूसरे देशों में भी गर्मियां पड़ती हैं, वहां भी चीज होती हैं. यह सब टेक्नोलॉजी बहुत महंगी है, इसको लाने के लिए पैसे की आवश्यकता है. पैसा आएगा, संरक्षा बढ़ेगी. मुझे लग रहा है कि रेल मंत्रालय इस दिशा में काफी सक्रिय भी है. इसको बढ़ाने की भी कोशिश कर रहे हैं?
सवाल: रेल बजट से आपको क्या उम्मीद है और आपकी क्या मांगें हैं?
जवाब: रेल बजट में हम लोग चाहते हैं कि हमारे कर्मचारियों की जो कल्याण निधि का पैसा है, उसे बढ़ाया जाए. संरक्षा के लिए ज्यादा बजट दिया जाए. टेक्नोलॉजी का अपग्रेडेशन किया जाए जिससे यह घटनाएं हो रही हैं इन पर रोक लगे. कर्मचारियों की जो संख्या है उसको बढ़ाया जाए.
सवाल: प्रदर्शन के बाद समस्याओं का समाधान नहीं होता है तो आगे क्या कदम होगा?
जवाब: जो भी अधिकारी अपने क्षेत्र पर जाएंगे तो हमारी शाखाओं के पदाधिकारी विरोध प्रदर्शन करेंगे. हम इन समस्याओं को महाप्रबंधक के सामने ले जाएंगे. मुझे उम्मीद है कि उनका समाधान होगा. अगर हल नहीं निकलेगा तो फिर बड़ा आंदोलन किया जाएगा.
रेलकर्मियों ने उठाए ये बिंदू
- ग्रेजुएट उम्मीदवारों को उनकी शैक्षिक योग्यता के अनुसार अनुकंपा आधारित नियुक्ति में विलंब.
- चिकित्सकीय आधार पर रेल कर्मचारियों को रेल नियमों और उनकी शैक्षिक योग्यता के प्रतिकूल नियुक्ति, शारीरिक अक्षमता के बावजूद चिकित्सकीय आधार पर अनियमित विकोटीकरण व वैकल्पिक पदस्थापना.
- पदोन्नति कोटे के पदों पर सीधी भर्ती उम्मीदवारों के भर्ती होने से कर्मचारियों की पदोन्नति पर ब्रेक.
- सेवानिवृत्त/मृतक आश्रितों को निपटान भुगतान और शारीरिक पेंशन स्वीकृति में देरी.
- ट्रैक मेंटेनेंस को देय साइकिल अनुरक्षण भत्ता और एरियर भुगतान में देरी.
- महिला ट्रैक मेंटेनर्स और लोको पायलट की कोटि परिवर्तन में देरी.
- सभी कार्यालय, यार्डों और पावर केबिन पर महिला टॉयलेट्स, यूनिफॉर्म, चेंज रूम निर्माण में देरी.
- लोको रनिंग, यांत्रिक, विद्युत, चिकित्सा व वाणिज्य विभाग के कर्मचारियों को एमएचए भुगतान में हीलाहवाली.
- आवधिक स्थानांतरण और प्रशासनिक आदेशों में रेल मंत्रालय के निर्देशों की अवहेलना, यूनियन पदाधिकारियों का उत्पीड़न.
- विभिन्न विभागों में कार्यरत कर्मचारियों को ओटी, टीए और माइलेज के लंबित भुगतान.
- स्टेशनों, कार्यालय में कार्यरत कर्मचारियों के लिए फ्री वाहन पार्किंग व्यवस्था, समपार पर पेयजल और बिजली व्यवस्था.
- गार्ड और क्रू लिंक के संबंध में हाई पावर कमेटी के निर्णय का पालन, टीटीई लिंक में सुधार.
- 50000 से अधिक टीवीयू के समपारों पर एचओईआर के अंतर्गत आठ घंटे के बजाय गेटमैन से 12 घंटे की ड्यूटी लिया जाना.
- रेल आवासों, कॉलोनी, गैंग हटों और कार्यालय में रूफ लीकेज, टूटे प्लास्टर, खस्ताहाल सीवर की समस्या, आवासों को अनियमित रूप से परित्यक्त घोषित कर आवंटियों को वैकल्पिक आवास न उपलब्ध कराया जाना.
- अंधाधुंध पदों का समर्पण और नए रेल संरचनाओं के लिए अतिरिक्त पदों के सृजन में देरी.