हमीरपुर: राधा स्वामी चैरिटेबल अस्पताल भोटा के बाहर सोमवार को लोगों ने जमकर प्रदर्शन किया. अस्पताल के गेट पर सोमवार सुबह एक नोटिस लगाया गया था जिस पर अस्पताल के 1 दिसंबर 2024 से बंद होने की जानकारी दी थी. स्थानीय लोगों ने जब ये नोटिस अस्पताल के गेट के बाहर देखा तो प्रदेश की सुखविंदर सरकार के खिलाफ जमकर प्रदर्शन किया.
नोटिस पर लिखा था असुविधा के लिए खेद
अस्पताल के बाहर लगे नोटिस पर लिखा था. "कुछ विवश परिस्थितियों के कारण भोटा चैरिटेबल अस्पताल 1 दिसंबर 2024 से बंद हो जाएगा. मरीजों से अनुरोध है कि वे अपनी सुविधा के लिए अन्य अस्पताल से इलाज लें. असुविधा के लिए खेद है. आदेश..." हालांकि इस नोटिस पर यह नहीं लिखा था कि आदेश देने वाला कौन है. ईटीवी भारत ने अस्पताल प्रबंधन से जब नोटिस को लेकर बात करनी चाही तो अस्पताल प्रबंधन से बात नहीं हो पाई.
यह अस्पताल गरीब परिवारों का सहारा
स्थानीय लोगों ने कहा इस अस्पताल में गरीब परिवारों को इलाज मिलता है. यहां पर गरीब परिवार अपना निशुल्क इलाज करवाने आते हैं. अगर यह अस्पताल बंद होता है तो गरीब परिवारों को इलाज की सुविधा नहीं मिलेगी.
पंचायत प्रतिनिधियों ने डीसी से की मुलाकात
वहीं, राधास्वामी सत्संग ब्यास चैरिटेबल अस्पताल भोटा की जमीन को महाराज जगत सिंह मेडिकल रिलीफ सोसायटी को ट्रांसफर करने को लेकर जिला परिषद, पंचायत प्रतिनिधियों व समाजसेवी संस्थाओं का एक प्रतिनिधिमंडल जिला परिषद अध्यक्ष बबली देवी की अध्यक्षता में सोमवार को उपायुक्त हमीरपुर अमरजीत सिंह से मिला. प्रतिनिधमंडल का कहना था कि राधास्वामी सत्संग व्यास चैरिटेबल अस्पताल भोटा में बीते करीब 25 सालों से लोगों को निशुल्क इलाज दे रहा है.
प्रतिनिधिमंडल ने डीसी से मुलाकात में कहा कि इस अस्पताल से 15 किलोमीटर के दायरे वाले क्षेत्र के लोगों का लंबे समय से निशुल्क में उपचार मिल रहा है. राधास्वामी सत्संग व्यास चैरिटेबल अस्पताल को अब 45 बैड से अपग्रेड किया जाना है. इसके लिए राधास्वामी सत्संग व्यास की जमीन को उसी की संस्था महाराज जगत सिंह मेडिकल रिलीफ सोसायटी में ट्रांसफर करने की मांग की जा रही है, जिसे प्रदेश सरकार अभी तक पूरा नहीं कर पाई है.
प्रतिनिधिमंडल का कहना है कि पिछली चार सरकारों में से किसी ने भी ब्यास चैरिटेबल की अर्जी को आज तक मंजूर नहीं किया. ऐसे में ब्यास संस्था 30 नवंबर से चैरीटेबल अस्पताल को पूरी तरह से बंद करने जा रही है. पंचायत प्रतिनिधियों ने प्रदेश सरकार से गुहार लगाई है कि तीन दिनों के अंदर अगर उनकी मांगों को नहीं माना गया, तो वह सड़कों पर उतरने को मजबूर होंगें क्योंकि प्रदेश सरकार चाहे तो चंद मिनटों में अध्यादेश जारी करके इस समस्या को हल कर सकती है.
उल्लेखनीय है कि डेरा ब्यास प्रबंधन की तरफ से राज्य सरकार को अवगत करवाया गया था कि यदि यह अस्पताल व संबंधित जमीन महाराज जगत सिंह मेडिकल रिलिफ सोसायटी को ट्रांसफर ना हो पाई तो प्रबंधन को मजबूरी में अस्पताल बंद करना पड़ेगा. इसका औपचारिक नोटिस भी सरकार को दिया गया था.