लखनऊ : प्राविधिक शिक्षा विभाग के डिप्लोमा सेक्टर के विभागाध्यक्षों के पदों पर हाल ही में हुई पदोन्नति की प्रक्रिया को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं. उत्तर प्रदेश प्राविधिक शिक्षा एप्लाइड साइंस एवं ह्यूमैनिटीज सेवा संघ ने इस संबंध में वित्त विभाग के प्रमुख सचिव सहित शासन स्तर पर ज्ञापन भेजा है. इसमें संघ की तरफ से आरोप लगाया गया है कि विभागाध्यक्ष की सीधी भर्ती के पदों पर नियम विरुद्ध तरीके से शिक्षकों को पदोन्नति देकर उनके अप्रत्याशित वेतन वृद्धि भी की गई है. इस संबंध में संघ के महामंत्री भोलानाथ प्रसाद ने मुख्यमंत्री प्रमुख सचिव प्राविधिक शिक्षा वित्त विभाग के प्रमुख सचिव तक से इसकी शिकायत की है. इसके अलावा प्रदेश सरकार के कई विधायकों और सहयोगी पार्टी के विधायकों ने इस पूरे मामले पर सवाल उठाया है. इस पूरे मामले पर विभाग के मंत्री आशीष पटेल और प्रमुख सचिव के ऊपर सवाल उठ रहे हैं.
नियम विरुद्ध जाकर 9000 ग्रेड पे लगाने का आरोप : उत्तर प्रदेश प्राविधिक शिक्षा एप्लाइड साइंस एवं ह्यूमैनिटीज सेवा संघ महामंत्री भोलानाथ प्रसाद ने बताया कि प्रदेश के विभिन्न राजकीय पॉलीटेक्निक संस्थानों में 177 शिक्षकों (विभिन्न विषयों के) के पदभार ग्रहण करने की तिथि से विभागाध्यक्ष के पद (ग्रेड पे 9000) पर पदोन्नति दी गई है. जबकि यह ग्रेड पे सीधी भर्ती का है. उन्होंने बताया कि यही नहीं मात्र 5 साल की सेवा का अनुभव रखने वाले बीटेक विषयों के शिक्षकों को लेवल 10 से सीधे लेवल 13 दे दिया गया है.
उठाया सवाल : महामंत्री भोलानाथ प्रसाद ने बताया कि 2018 के शासनादेश के तहत अब से 6 वर्ष पूर्व, दिनांक- 03/05/2018 से प्राविधिक शिक्षा विभाग (डिप्लोमा सेक्टर) में एआईसीटीई (अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद, नई दिल्ली) के विनियम- 1 मार्च 2019 के सेवा शर्तें लागू कर दी गई थीं. और विभाग द्वारा, सभी शिक्षकों को दिनांक- 03/05/2018 से ही एआईसीटीई के अनुसार वेतनमान और एरियर दिये जा रहे हैं. यह विनियम- 1 मार्च 2019 है. जिसकी सेवा शर्तें 03/05/2018 से लागू की गई. अब बात आई कि जो प्रवक्ता पहले से ही विभाग में नौकरी कर रहे हैं, उनकी प्रोन्नति कैसे हो सकती है.
ये है नियम : उन्होंने बताया कि इसके लिए एआईसीटीई ने विनियम- 1 मार्च 2019 का उक्त क्लेरीफिकेशन 20 मई 2020 दिया, जिसके बिन्दु 13 में सिर्फ ऐसे शिक्षकों की प्रोन्नति की व्यवस्था दी गई है. जो एआईसीटीई के अनुसार योग्यता और अनुभव रखते हों. वो भी रेगुलेशन ( विनियम- 1 मार्च 2019 ) आने के तीन वर्ष के अन्दर और प्रोन्नति करने का वह समय 1 मार्च 2022 को ही समाप्त हो चुका था. भोलानाथ प्रसाद ने बताया कि 09 जून 2021 को उत्तर प्रदेश सरकार ने भी एआईसीटीई के अनुसार विभागीय सर्विस रुल (सरकारी गजट) बना दिया. जिसके बिन्दु -5 की श्रेणी 2 और 3 में विभागाध्यक्ष (हैड आफ डिपार्टमेंट) का पद 100 प्रतिशत लोक सेवा आयोग, उत्तर प्रदेश से सीधी भर्ती का पद है जिन पदों पर केवल विशिष्ट योग्यता और अनुभव रखने वाले गरीब, किसान, मजदूर के बच्चे चयनित होंगे.
संघ का आरोप : एआईसीटीई के विनियमों और उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जारी विभागीय सेवा नियमावली के नियमों का अतिक्रमण (violation) करके, नियमों को तोड़-मरोड़ कर और कुछ लोगों को अप्रत्याशित फायदा पहुंचाने के लिए किस प्रकार प्रोन्नति की गई.
- वर्तमान एआईसीटीई सेवा नियमावली में विभागाध्यक्ष का पद 100 प्रतिशत लोक सेवा आयोग, उत्तर प्रदेश से सीधी भर्ती का सुपर क्लास 1 9000 एजीपी का पद है.
- विभाग में एआईसीटीई लागू होने के 06 वर्ष बाद पुरानी सेवा नियमावली से प्रोन्नति की गई.
- एआईसीटीई के अनुसार योग्यता और अनुभव ना रखने वाले प्रवक्ताओं की भी प्रोन्नति कर दी गई.
- पुरानी नियमावली से विभाग में 5400 ग्रेड पे पर चयनित अयोग्य प्रवक्ताओं को सीधे नई एआईसीटीई नियमावली का वेतनमान 9000 ग्रेड पे दे दिया गया. जिससे सभी 177 प्रवक्ताओं के वेतनमानों में सीधे सीधे 1.25 लाख प्रति माह की अप्रत्याशित वृद्धि हो गई, जोकि भारतवर्ष में सरकारी नौकरियों के इतिहास में पहली बार हुआ होगा.
नए नियमानुसार एमटेक और 15 साल का अनुभव होना जरूरी है. महामंत्री भोलानाथ प्रसाद ने बताया कि एआईसीटीई के नई नियमावली के अनुसार प्रवक्ताओं के पदों के भर्ती के लिए न्यूनतम अहर्ता एमटेक और 15 साल की पढ़ाने की नियमावली बनाई गई है, साथ ही अगर पीएचडी है तो 12 साल पढ़ाने की नियमावली बनाई गई है. जिन 177 लोगों को प्रमोशन दिया गया है. उनमें कुछ एक को छोड़ दे तो बाकी सब बीटेक डिग्री धारक हैं, जिन्हें नियमानुसार प्रमोशन का लाभ नहीं दिया जा सकता है.
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