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बाप रे! दूध-नमकीन के ज्यादा सेवन से तेजी से बढ़ती है ये खतरनाक बीमारी, ऐसे कर सकते बचाव - psoriasis treatment - PSORIASIS TREATMENT

आज हम आपको एक ऐसी बीमारी के बारे में बताने जा रहे हैं जो बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक को अपनी गिरफ्त में आसानी से ले लेती है. बीमारी के दौरान यदि खानपान में कई तरह की लापरवाही बरती जाए तो ये खतरनाक बीमारी तेजी से फैलती है. चलिए जानते हैं इस बीमारी से जुड़ी खास जानकारी के बारे में.

psoriasis treatment causes prevention medicines how to cure psoriasis permanently
सोरायसिस बीमारी से कैसे करें बचाव. (photo credit- Etv Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jul 27, 2024, 8:10 AM IST

Updated : Jul 27, 2024, 11:10 AM IST

वाराणसी: बारिश के मौसम में तमाम तरीके की बीमारियां लोगों को परेशान करती है, जिनमें त्वचा में इन्फेक्शन की भी समस्याएं देखने को मिलती है. ऐसे में यदि इन्फेक्शन को अनदेखा किया जाता है, तो यह बड़ी बीमारियों का रूप भी ले लेती है. आज हम आपको अनियमित जीवन शैली और इंफेक्शन को अनदेखा करने से होने वाली गंभीर त्वचा रोग की बीमारी सोरायसिस के बारे में बताएंगे. जिसका यदि सही समय पर इलाज नहीं किया गया तो, यह और भी ज्यादा घातक साबित हो सकती है. इस बारे में ईटीवी भारत की टीम ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय के आयुर्वेद संकाय में सोरायसिस पर काम कर रहे डॉक्टर गुरु प्रसाद से खास बातचीत की. जहां उन्होंने बताया, कि यह गंभीर बीमारी है, जो बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक में देखी जा रही है. इस बीमारी में आयुर्वेद सबसे ज्यादा कारगर है.

BHU आयुर्वेद डॉक्टर डॉ. गुरुपरा प्रसाद ने दी जानकारी (video credit- Etv Bharat)

क्या है सोरायसिस: इस बारे में काशी हिंदू विश्वविद्यालय के आयुर्वेद संकाय के डॉक्टर डॉ. गुरुपरा प्रसाद बताते हैं, कि सोरायसिस एक तरीके से त्वचा रोग है. जो लंबे समय तक व्यक्ति के साथ रहता है. समान्यतः पुरानी त्वचा की जो कोशिकाएं खत्म होने लगती है, उनकी जगह पर नई कोशिका आती है,जिसे आने में एक महीने का समय लगता है. लेकिन, इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति का समय एक महीने से घटकर चार दिन होता है और उसकी नई त्वचा परिपक्व नहीं हो पाती. आगे चलकर यह सोरायसिस का गंभीर रूप ले लेती है. सोरायसिस से पीड़ित व्यक्ति को खाज, खुजली, जलन,जोड़ों में दर्द की ज्यादा पीड़ा होती है. इसके साथ ही यह कपाल, पीठ, घुटना, कोहनी और पांव को सबसे ज्यादा परेशान करता है. यदि समय से व्यक्ति का इलाज नहीं किया जाता, तो व्यक्ति मानसिक तनाव से ग्रस्त हो जाता है. जो उसकी बीमारी को और भी ज्यादा बढ़ने का काम करती है.

इसे भी पढ़े-World Psoriasis Day: त्वचा रोग सोरायसिस है तो न घबराएं, फोटोथेरेपी और जैविक चिकित्सा से होगा ठीक

ऐसे होता बचाव: डॉ. गुरु प्रसाद बताते हैं, कि इस बीमारी में बचाव का सबसे प्रमुख जरिया जीवन की अनियमितता को समाप्त कर, खान-पान पर विशेष ध्यान देना है. विरुद्ध आहारों का सेवन करने से बचाना है. व्यायाम, योग को जीवन में लागू करना है. यदि यह दो चीज महत्वपूर्ण रूप से लागू कर दी जाती है, तो दावे के साथ इसे बहुत हद तक ठीक किया जा सकता है. इसमें कुछ दवाओं को भी दिया जाता हैं, जिसमें गंधक रसायन, कैसोर गुगुल, खदिरारिष्ट, महातिक्तक घृत,पटोलकटूरोहिनयादि इत्यादि औषधि है.

आयुर्वेद है कारगर: वो बताते इसमें आयुर्वेद बेहद कारगर साबित होता है. यह दावा तो नहीं किया जा सकता, कि एक बार में पूरी बीमारी को ठीक किया जा सकता है. लेकिन, 8 साल 10 साल से जो लोग इस गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं आयुर्वेद के जरिए वह अपने जीवन में अब सामान्य रूप से दिनचर्या का काम करते हैं और सुखी जीवन व्यतीत कर रहे हैं. बीमारी की जो जटिलता है वह भी आयुर्वेद काम करता है. इसके साथ ही मेरी लोगों से यह अपील है, कि यदि किसी को सोरायसिस की परेशानी और वह एक साल से काम की है, तो वह जल्दी से जल्दी आयुर्वेद के डॉक्टर के पास जाकर संपर्क करें या फिर बीएचयू आयुर्वेद विभाग में आकर भी दिखाकर इलाज कर सकते हैं. शुरुआती दौर में आयुर्वेद और भी ज्यादा कारगर साबित होता है.

सोरायसिस के कारण: अनुवांशिक या सोरायसिस का परिवार में होना.हाई ब्लड प्रेशर या हृदय संबंधी किसी रोग की दवा का रोजाना सेवन करना.
तेज धूप में रहना फिर, अचानक से ठंडे वातावरण में आना.त्वचा में कोई इन्फेक्शन होना.ठंड या शुष्क वातावरण में रहना.खानपान में अनियमितता.विरुद्ध आहारों का सेवन करना.

सोरायसिस के लक्षण: शरीर में लाल और गुलाबी धब्बे पड़ना.खुजली या दर्द उठना.सर में अत्यधिक डैंड्रफ का आना,जिसके बाद सफेद परत का जमना
नाखूनों का रंग उड़ना. शरीर के प्रभावित हिस्से में खराश या जलन होना.जोड़ों में सूजन या दर्द होना.शरीर के कई हिस्सों में दाने आना. शरीर में सूखापन और सफेदपन होना. शरीर के बड़े हिस्से में इसका फैलना.

खानपान में रखे यह विशेष ध्यान: सोरायसिस की समस्या से जूझ रहे मरीजों को खान-पान में विशेष ध्यान रखने की जरूरत है. जिसके लिए कुछ महत्वपूर्ण बिंदु बताए गए हैं.दूध नमक का एक साथ सेवन न करें.भोजन के तुरंत बाद दूध के सेवन से बचें. दूध से बनी चाय और नमकीन का एक साथ सेवन न करें.फल और दूध का सेवन एक साथ करने से बचे. प्रोटीन सप्लीमेंट को दूध के साथ खाने से अवॉइड करें.दही का सेवन बंद कर दे.खट्टे फलों का त्याग कर दें.अचार चटपटे चीजों को खाने से बचे.



यह भी पढ़े-जाने क्या है एल्बिनिज्म बीमारी, मनुष्य, पशु-पक्षी से लेकर पेड़-पौधे भी होते हैं प्रभावित

वाराणसी: बारिश के मौसम में तमाम तरीके की बीमारियां लोगों को परेशान करती है, जिनमें त्वचा में इन्फेक्शन की भी समस्याएं देखने को मिलती है. ऐसे में यदि इन्फेक्शन को अनदेखा किया जाता है, तो यह बड़ी बीमारियों का रूप भी ले लेती है. आज हम आपको अनियमित जीवन शैली और इंफेक्शन को अनदेखा करने से होने वाली गंभीर त्वचा रोग की बीमारी सोरायसिस के बारे में बताएंगे. जिसका यदि सही समय पर इलाज नहीं किया गया तो, यह और भी ज्यादा घातक साबित हो सकती है. इस बारे में ईटीवी भारत की टीम ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय के आयुर्वेद संकाय में सोरायसिस पर काम कर रहे डॉक्टर गुरु प्रसाद से खास बातचीत की. जहां उन्होंने बताया, कि यह गंभीर बीमारी है, जो बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक में देखी जा रही है. इस बीमारी में आयुर्वेद सबसे ज्यादा कारगर है.

BHU आयुर्वेद डॉक्टर डॉ. गुरुपरा प्रसाद ने दी जानकारी (video credit- Etv Bharat)

क्या है सोरायसिस: इस बारे में काशी हिंदू विश्वविद्यालय के आयुर्वेद संकाय के डॉक्टर डॉ. गुरुपरा प्रसाद बताते हैं, कि सोरायसिस एक तरीके से त्वचा रोग है. जो लंबे समय तक व्यक्ति के साथ रहता है. समान्यतः पुरानी त्वचा की जो कोशिकाएं खत्म होने लगती है, उनकी जगह पर नई कोशिका आती है,जिसे आने में एक महीने का समय लगता है. लेकिन, इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति का समय एक महीने से घटकर चार दिन होता है और उसकी नई त्वचा परिपक्व नहीं हो पाती. आगे चलकर यह सोरायसिस का गंभीर रूप ले लेती है. सोरायसिस से पीड़ित व्यक्ति को खाज, खुजली, जलन,जोड़ों में दर्द की ज्यादा पीड़ा होती है. इसके साथ ही यह कपाल, पीठ, घुटना, कोहनी और पांव को सबसे ज्यादा परेशान करता है. यदि समय से व्यक्ति का इलाज नहीं किया जाता, तो व्यक्ति मानसिक तनाव से ग्रस्त हो जाता है. जो उसकी बीमारी को और भी ज्यादा बढ़ने का काम करती है.

इसे भी पढ़े-World Psoriasis Day: त्वचा रोग सोरायसिस है तो न घबराएं, फोटोथेरेपी और जैविक चिकित्सा से होगा ठीक

ऐसे होता बचाव: डॉ. गुरु प्रसाद बताते हैं, कि इस बीमारी में बचाव का सबसे प्रमुख जरिया जीवन की अनियमितता को समाप्त कर, खान-पान पर विशेष ध्यान देना है. विरुद्ध आहारों का सेवन करने से बचाना है. व्यायाम, योग को जीवन में लागू करना है. यदि यह दो चीज महत्वपूर्ण रूप से लागू कर दी जाती है, तो दावे के साथ इसे बहुत हद तक ठीक किया जा सकता है. इसमें कुछ दवाओं को भी दिया जाता हैं, जिसमें गंधक रसायन, कैसोर गुगुल, खदिरारिष्ट, महातिक्तक घृत,पटोलकटूरोहिनयादि इत्यादि औषधि है.

आयुर्वेद है कारगर: वो बताते इसमें आयुर्वेद बेहद कारगर साबित होता है. यह दावा तो नहीं किया जा सकता, कि एक बार में पूरी बीमारी को ठीक किया जा सकता है. लेकिन, 8 साल 10 साल से जो लोग इस गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं आयुर्वेद के जरिए वह अपने जीवन में अब सामान्य रूप से दिनचर्या का काम करते हैं और सुखी जीवन व्यतीत कर रहे हैं. बीमारी की जो जटिलता है वह भी आयुर्वेद काम करता है. इसके साथ ही मेरी लोगों से यह अपील है, कि यदि किसी को सोरायसिस की परेशानी और वह एक साल से काम की है, तो वह जल्दी से जल्दी आयुर्वेद के डॉक्टर के पास जाकर संपर्क करें या फिर बीएचयू आयुर्वेद विभाग में आकर भी दिखाकर इलाज कर सकते हैं. शुरुआती दौर में आयुर्वेद और भी ज्यादा कारगर साबित होता है.

सोरायसिस के कारण: अनुवांशिक या सोरायसिस का परिवार में होना.हाई ब्लड प्रेशर या हृदय संबंधी किसी रोग की दवा का रोजाना सेवन करना.
तेज धूप में रहना फिर, अचानक से ठंडे वातावरण में आना.त्वचा में कोई इन्फेक्शन होना.ठंड या शुष्क वातावरण में रहना.खानपान में अनियमितता.विरुद्ध आहारों का सेवन करना.

सोरायसिस के लक्षण: शरीर में लाल और गुलाबी धब्बे पड़ना.खुजली या दर्द उठना.सर में अत्यधिक डैंड्रफ का आना,जिसके बाद सफेद परत का जमना
नाखूनों का रंग उड़ना. शरीर के प्रभावित हिस्से में खराश या जलन होना.जोड़ों में सूजन या दर्द होना.शरीर के कई हिस्सों में दाने आना. शरीर में सूखापन और सफेदपन होना. शरीर के बड़े हिस्से में इसका फैलना.

खानपान में रखे यह विशेष ध्यान: सोरायसिस की समस्या से जूझ रहे मरीजों को खान-पान में विशेष ध्यान रखने की जरूरत है. जिसके लिए कुछ महत्वपूर्ण बिंदु बताए गए हैं.दूध नमक का एक साथ सेवन न करें.भोजन के तुरंत बाद दूध के सेवन से बचें. दूध से बनी चाय और नमकीन का एक साथ सेवन न करें.फल और दूध का सेवन एक साथ करने से बचे. प्रोटीन सप्लीमेंट को दूध के साथ खाने से अवॉइड करें.दही का सेवन बंद कर दे.खट्टे फलों का त्याग कर दें.अचार चटपटे चीजों को खाने से बचे.



यह भी पढ़े-जाने क्या है एल्बिनिज्म बीमारी, मनुष्य, पशु-पक्षी से लेकर पेड़-पौधे भी होते हैं प्रभावित

Last Updated : Jul 27, 2024, 11:10 AM IST
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