लखनऊ: प्रदेश में आयुर्वेद चिकित्साधिकारियों का प्रमोशन फिर अटक गया है. अब शासन ने निदेशालय से संबंधित चिकित्सा अधिकारियों का पांच साल के काम का विवरण मांगा है. ऐसे में कई जिलों का कामकाज कार्यवाहकों के भरोसे ही चलने के आसार हैं. इससे प्रमोशन सूची में शामिल चिकित्साधिकारियों में रोष है.
प्रदेश में जिला स्तर पर क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी के पद हैं. इसमें अब तक 56 पद आयुर्वेद और तीन पद यूनानी चिकित्साधिकारियों से भरे जाते हैं. यूनानी के तीनों पद भरे गए हैं. आयुर्वेदिक चिकित्सा अधिकारियों से भरे जाने वाले जिलों में लखनऊ, रायबरेली, जालौन सहित आठ पद पर कार्यवाहक कार्यरत हैं.इन पदों को भरने के लिए छह माह से कवायद चल रही है.
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प्रमोशन के लिए करीब 20 चिकित्साधिकारियों की सूची शासन को भेजी गई थी. लेकिन, कार्रवाई में मिली कमियों के संबंध में निदेशालय से जानकारी मांगी गई. निदेशालय ने उसे पूरा कर दोबारा शासन को भेजा. और फिर फाइल निदेशालय को लौटा दी. सूची में शामिल चिकित्साधिकारियों का पांच साल के कार्य का ब्योरा मांगा गया है. सूची में शामिल चिकित्साधिकारियों का कहना है, कि डिपार्टमेंटल प्रमोशन कमेटी (डीपीसी) की बैठक को जानबूझकर टाला जा रहा है. जो कमियां थीं, उन्हें एक बार में ही निस्तारित किया जाना चाहिए. उनका यह भी आरोप है, कि कुछ चहेते कार्यवाहकों को उपकृत करने के लिए प्रमोशन को टाला जा रहा है.
आयुष राज्यमंत्री डॉ. दयाशंकर मिश्र दयालु ने कहा, कि कार्यवाहक के भरोसे चलने वाले पदों पर जल्द नियमित अधिकारियों की तैनाती का आदेश दिया गया है. आयुष विभाग में अभियान चलाकर हर संवर्ग का प्रमोशन किया जाता है. चिकित्साधिकारियों के मामले में भी जल्द ही प्रमोशन की सूची जारी करने का आदेश दिया गया है.