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GSVM कॉलेज की चिकित्सक का अनोखा शोध, गर्भ में ही बच्चों को संस्कारी बना सकेंगी महिलाएं, जानें क्या है गर्भ संस्कार?

GSVM Medical College in Kanpur : चिकित्सक ने 500 महिलाओं पर शोध किया गया और उन्हें दो हिस्सों में बांट दिया.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Oct 24, 2024, 12:58 PM IST

कानपुर : भारतीय संस्कृति की बात की जाए तो इसमें 16 संस्कारों का वर्णन किया गया है. इन संस्कारों में से एक है गर्भ संस्कार. इस गर्भ संस्कार में गर्भावस्था के दौरान शिशु को प्रशिक्षित और संस्कारी बनाने का काम किया जाता है. कानपुर के जीएसवीएम मेडिकल की प्रोफेसर डॉ. सीमा द्विवेदी ने इस गर्भ संस्कार को लेकर एक अनोखा शोध किया है. इसके काफी बेहतर परिणाम भी देखने को मिले हैं. इस शोध के जरिए अब गर्भावस्था के दौरान महिलाएं अपने बच्चों को गर्भ में ही संस्कारी और ज्ञानी बना सकेंगी. ऐसे में अब जन्म लेने वाला बच्चा सुपर किड बन सकेगा. आइए जानते हैं क्या है यह गर्भ संस्कार और क्या है इसके लाभ?

जीएसवीएम मेडिकल की प्रोफेसर डॉ. सीमा द्विवेदी से बातचीत (Video credit: ETV Bharat)

80% महिलाओं की नार्मल डिलीवरी : ईटीवी भारत संवाददाता से खास बातचीत के दौरान जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज की प्रो. डॉ. सीमा द्विवेदी ने बताया कि इस कार्यक्रम की शुरुआत विभागाध्यक्ष किरण पांडे और गायत्री परिवार के डॉ. संगीता सारस्वत के संयुक्त तत्वावधान में की गई थी. इस कार्यक्रम में गर्भ संस्कार की 36 गर्भ शालाएं कराई गई थीं और करीब 5000 महिलाओं ने इसका लाभ भी लिया था. उन्होंने बताया कि, मैंने जो शोध किया था उसमें तीन कैंडिडेट को अपने साथ लिया था. इसमें हमने योग और स्वस्थ दिनचर्या के ऊपर काम किया था. इस शोध में हमने पाया कि जिन भी महिलाओं ने गर्भावस्था के दौरान शारीरिक श्रम किया, अपनी दिनचर्या अच्छी रखी. साथ ही खान-पान का भी विशेष रूप से ध्यान रखा तो उन महिलाओं में काफी उत्साहवर्धक परिणाम देखने को मिले. करीब 80% महिलाओं का नार्मल प्रसव हुआ. इतना ही नहीं होने वाला बच्चा भी काफी स्वस्थ और तंदुरुस्त हुआ और फिर हमारे दिमाग में ख्याल आया कि अगर गर्भावस्था के दौरान महिला अपने आसपास का वातावरण काफी अच्छा रखती है तो इसका बच्चे पर भी बेहतर असर पड़ता है. इसके बाद हमने बच्चे को गर्भ में ही संस्कारी बनाने को लेकर एक शोध किया और इसके हमें माफी बेहतर परिणाम देखने को मिले और आज हमारे पास जो भी गर्भवती महिलाएं आ रही हैं हम उन्हें इसके बारे में पूरी जानकारी भी दे रहे हैं कि आखिर वह भी कैसे अपने बच्चों को गर्भ में ही संस्कारी बना सकती हैं.


500 महिलाओं पर किया शोध : जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज की प्रो. डॉ सीमा द्विवेदी ने ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान बताया कि उन्होंने 500 महिलाओं पर शोध किया और उन्हें दो हिस्सों में बांट दिया. एक ओर हमने उन महिलाओं को रखा जो लगातार योग कर रही थीं और अपने खान-पान का ध्यान रख रही थीं. साथ ही एक स्वस्थ दिनचर्या के साथ अच्छे वातावरण में रह रही थीं. जिससे बच्चे पर काफी अच्छा असर पड़ रहा था, वहीं दूसरी ओर हमने उन महिलाओं को रखा जो सिर्फ नॉर्मल रूटीन और ट्रीटमेंट ही ले रही थीं, इसके अलावा वह अपने दैनिक कार्यों को कर रही थीं. हमने पाया कि जिन महिलाओं ने गर्भावस्था के दौरान अपने खान-पान योग और दिनचर्या के साथ विशेष रूप से ध्यान रखा, उन बच्चों के स्वास्थ्य पर काफी अच्छा असर पड़ा. ऐसे में अब जब गर्भवती महिलाएं उनके पास आ रही हैं तो वह उन्हें भी इसी तरह से गर्भावस्था के दौरान खुद का ध्यान रखने की सलाह दे रही हैं. इससे मां और बच्चे दोनों पर ही काफी अच्छा असर देखने को मिल रहा है.

क्या है गर्भ संस्कार : गर्भावस्था, प्रसव के दौरान जब तक बच्चा 2 वर्ष का नहीं हो जाता तब तक एक मां को अपने बच्चों के बारे में सब कुछ जानने की जरूरत है. प्राचीन शास्त्रों में भी गर्भवती महिलाओं के आहार, योग और नियमित शरीर की देखभाल के साथ अच्छी किताबें और संगीत सुनने के बारे में बताया गया है. गर्भ संस्कार में शिशु के मानसिक और शारीरिक विकास में योगदान के रूप में काफी लोकप्रियता प्राप्त की है. गर्भ संस्कार में अजन्में बच्चे के दिमाग को शिक्षित करने की प्रकिया है. आदिकाल से यह प्रथा हिंदू परंपरा का हिस्सा भी रही है. गर्भ संस्कार का असर अभिमन्यु, अष्टक्रा और प्रह्लाद जैसे पौराणिक चरित्र पर भी बहुत सकारात्मक रूप से प्रभाव पड़ा था.

ध्वनि तरंगों का भी बच्चे पर पड़ता है असर : जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज की प्रो. डॉ. सीमा द्विवेदी ने बताया कि, हमारा जो शोध था उसमें जब प्रथम तिमाही में महिला आ जाती थी तो उन्हें हम अपनी स्टडी प्रोटोकॉल में ले लेते थे. क्योंकि इस समय में ही बच्चों के अंग विकसित होने लगते हैं और 5 महीने में ही उसकी सुनने की क्षमता विकसित हो जाती है. उन्होंने बताया कि, फॉरेन में एक शोध में ऐसा देखा गया कि एक कपल का बच्चा बड़े ही आसानी से स्पेनिश सुनने और बोलने लगा था. इसके बाद उन्हें ऐसा लगा कि हमारे यहां तो स्पेनिश नहीं बोली जाती फिर बच्चा आखिर कैसे स्पेनिश बोलना और समझना सीख गया. फिर उन्हें याद आया कि गर्भावस्था के दौरान वह स्पेनिश लोगों के बीच में रहे थे. जिस वजह से वह इस लैंग्वेज को बड़ी ही आसानी से सीख गया.

उन्होंने बताया कि, ध्वनि तरंगों का मस्तिष्क के विकास पर बच्चे की सुनने की क्षमता पर और बोलने की क्षमता पर सभी चीजों पर असर पड़ता है, इसलिए गर्भावस्था के दौरान मां के आसपास सकारात्मक ध्वनियां होनी चाहिए. आज हमारे पास जो भी गर्भवती महिलाएं आती हैं हम उन्हें इसी तरह के वातावरण और बेहतर खान-पान के साथ योग करने की सलाह देते हैं ताकि उनका बच्चा भी गर्भ में ही अच्छे आचरण और संस्कार सीख सके, साथ ही उनका बच्चा एक सुपर किड बन सके.

यह भी पढ़ें : स्तनपान से हो सकती है शिशुओं में ये बीमारी, बिल्कुल भी न करें नजरअंदाज - Baby Health Care

यह भी पढ़ें : इन समस्याओं का कारण बन सकता है गर्भावस्था में थायराइड - Thyroid during pregnancy

कानपुर : भारतीय संस्कृति की बात की जाए तो इसमें 16 संस्कारों का वर्णन किया गया है. इन संस्कारों में से एक है गर्भ संस्कार. इस गर्भ संस्कार में गर्भावस्था के दौरान शिशु को प्रशिक्षित और संस्कारी बनाने का काम किया जाता है. कानपुर के जीएसवीएम मेडिकल की प्रोफेसर डॉ. सीमा द्विवेदी ने इस गर्भ संस्कार को लेकर एक अनोखा शोध किया है. इसके काफी बेहतर परिणाम भी देखने को मिले हैं. इस शोध के जरिए अब गर्भावस्था के दौरान महिलाएं अपने बच्चों को गर्भ में ही संस्कारी और ज्ञानी बना सकेंगी. ऐसे में अब जन्म लेने वाला बच्चा सुपर किड बन सकेगा. आइए जानते हैं क्या है यह गर्भ संस्कार और क्या है इसके लाभ?

जीएसवीएम मेडिकल की प्रोफेसर डॉ. सीमा द्विवेदी से बातचीत (Video credit: ETV Bharat)

80% महिलाओं की नार्मल डिलीवरी : ईटीवी भारत संवाददाता से खास बातचीत के दौरान जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज की प्रो. डॉ. सीमा द्विवेदी ने बताया कि इस कार्यक्रम की शुरुआत विभागाध्यक्ष किरण पांडे और गायत्री परिवार के डॉ. संगीता सारस्वत के संयुक्त तत्वावधान में की गई थी. इस कार्यक्रम में गर्भ संस्कार की 36 गर्भ शालाएं कराई गई थीं और करीब 5000 महिलाओं ने इसका लाभ भी लिया था. उन्होंने बताया कि, मैंने जो शोध किया था उसमें तीन कैंडिडेट को अपने साथ लिया था. इसमें हमने योग और स्वस्थ दिनचर्या के ऊपर काम किया था. इस शोध में हमने पाया कि जिन भी महिलाओं ने गर्भावस्था के दौरान शारीरिक श्रम किया, अपनी दिनचर्या अच्छी रखी. साथ ही खान-पान का भी विशेष रूप से ध्यान रखा तो उन महिलाओं में काफी उत्साहवर्धक परिणाम देखने को मिले. करीब 80% महिलाओं का नार्मल प्रसव हुआ. इतना ही नहीं होने वाला बच्चा भी काफी स्वस्थ और तंदुरुस्त हुआ और फिर हमारे दिमाग में ख्याल आया कि अगर गर्भावस्था के दौरान महिला अपने आसपास का वातावरण काफी अच्छा रखती है तो इसका बच्चे पर भी बेहतर असर पड़ता है. इसके बाद हमने बच्चे को गर्भ में ही संस्कारी बनाने को लेकर एक शोध किया और इसके हमें माफी बेहतर परिणाम देखने को मिले और आज हमारे पास जो भी गर्भवती महिलाएं आ रही हैं हम उन्हें इसके बारे में पूरी जानकारी भी दे रहे हैं कि आखिर वह भी कैसे अपने बच्चों को गर्भ में ही संस्कारी बना सकती हैं.


500 महिलाओं पर किया शोध : जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज की प्रो. डॉ सीमा द्विवेदी ने ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान बताया कि उन्होंने 500 महिलाओं पर शोध किया और उन्हें दो हिस्सों में बांट दिया. एक ओर हमने उन महिलाओं को रखा जो लगातार योग कर रही थीं और अपने खान-पान का ध्यान रख रही थीं. साथ ही एक स्वस्थ दिनचर्या के साथ अच्छे वातावरण में रह रही थीं. जिससे बच्चे पर काफी अच्छा असर पड़ रहा था, वहीं दूसरी ओर हमने उन महिलाओं को रखा जो सिर्फ नॉर्मल रूटीन और ट्रीटमेंट ही ले रही थीं, इसके अलावा वह अपने दैनिक कार्यों को कर रही थीं. हमने पाया कि जिन महिलाओं ने गर्भावस्था के दौरान अपने खान-पान योग और दिनचर्या के साथ विशेष रूप से ध्यान रखा, उन बच्चों के स्वास्थ्य पर काफी अच्छा असर पड़ा. ऐसे में अब जब गर्भवती महिलाएं उनके पास आ रही हैं तो वह उन्हें भी इसी तरह से गर्भावस्था के दौरान खुद का ध्यान रखने की सलाह दे रही हैं. इससे मां और बच्चे दोनों पर ही काफी अच्छा असर देखने को मिल रहा है.

क्या है गर्भ संस्कार : गर्भावस्था, प्रसव के दौरान जब तक बच्चा 2 वर्ष का नहीं हो जाता तब तक एक मां को अपने बच्चों के बारे में सब कुछ जानने की जरूरत है. प्राचीन शास्त्रों में भी गर्भवती महिलाओं के आहार, योग और नियमित शरीर की देखभाल के साथ अच्छी किताबें और संगीत सुनने के बारे में बताया गया है. गर्भ संस्कार में शिशु के मानसिक और शारीरिक विकास में योगदान के रूप में काफी लोकप्रियता प्राप्त की है. गर्भ संस्कार में अजन्में बच्चे के दिमाग को शिक्षित करने की प्रकिया है. आदिकाल से यह प्रथा हिंदू परंपरा का हिस्सा भी रही है. गर्भ संस्कार का असर अभिमन्यु, अष्टक्रा और प्रह्लाद जैसे पौराणिक चरित्र पर भी बहुत सकारात्मक रूप से प्रभाव पड़ा था.

ध्वनि तरंगों का भी बच्चे पर पड़ता है असर : जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज की प्रो. डॉ. सीमा द्विवेदी ने बताया कि, हमारा जो शोध था उसमें जब प्रथम तिमाही में महिला आ जाती थी तो उन्हें हम अपनी स्टडी प्रोटोकॉल में ले लेते थे. क्योंकि इस समय में ही बच्चों के अंग विकसित होने लगते हैं और 5 महीने में ही उसकी सुनने की क्षमता विकसित हो जाती है. उन्होंने बताया कि, फॉरेन में एक शोध में ऐसा देखा गया कि एक कपल का बच्चा बड़े ही आसानी से स्पेनिश सुनने और बोलने लगा था. इसके बाद उन्हें ऐसा लगा कि हमारे यहां तो स्पेनिश नहीं बोली जाती फिर बच्चा आखिर कैसे स्पेनिश बोलना और समझना सीख गया. फिर उन्हें याद आया कि गर्भावस्था के दौरान वह स्पेनिश लोगों के बीच में रहे थे. जिस वजह से वह इस लैंग्वेज को बड़ी ही आसानी से सीख गया.

उन्होंने बताया कि, ध्वनि तरंगों का मस्तिष्क के विकास पर बच्चे की सुनने की क्षमता पर और बोलने की क्षमता पर सभी चीजों पर असर पड़ता है, इसलिए गर्भावस्था के दौरान मां के आसपास सकारात्मक ध्वनियां होनी चाहिए. आज हमारे पास जो भी गर्भवती महिलाएं आती हैं हम उन्हें इसी तरह के वातावरण और बेहतर खान-पान के साथ योग करने की सलाह देते हैं ताकि उनका बच्चा भी गर्भ में ही अच्छे आचरण और संस्कार सीख सके, साथ ही उनका बच्चा एक सुपर किड बन सके.

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