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यूपी के ट्रामा सेंटरों का हाल बेहाल, विशेषज्ञ चिकित्सकों की भारी कमी, मरीज बोले- इलाज की नहीं कोई व्यवस्था - UP Trauma Center Facility - UP TRAUMA CENTER FACILITY

प्रदेश सरकार स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर काफी गंभीर है. बावजूद इसके यूपी में (medical news) स्थापित किए गए ट्रामा सेंटर्स में विशेषज्ञ चिकित्सकों के अभाव में मरीजों को इलाज मिलने में समस्या हो रही है.

लखनऊ इलाज कराने आए मरीज व परिजन
लखनऊ इलाज कराने आए मरीज व परिजन (Photo credit: ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jul 25, 2024, 11:46 AM IST

मरीजों ने बताई समस्या (Video credit: ETV Bharat)

लखनऊ : प्रदेश में सड़क हादसे या अन्य किसी दुर्घटना में घायल मरीजों को इमरजेंसी में बेहतर इलाज उपलब्ध कराने की वृहद योजना है. राजधानी में केजीएमयू व पीजीआई के ट्रामा सेंटर के अलावा स्वास्थ्य विभाग के पास ट्रामा सेंटर्स की लंबी फेहरिस्त है. लेकिन, विशेषज्ञ चिकित्सकों के अभाव में स्वास्थ्य विभाग के कागजों में क्रियाशील 34 ट्रामा सेंटर इलाज उपलब्ध कराने के मामले में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र (पीएचसी) बनकर रह गए हैं. केवल नाम के ट्रामा सेंटर हैं. सड़क सुरक्षा नियम के तहत स्वास्थ्य विभाग द्वारा प्रदेश में 46 ट्रामा सेंटर्स स्थापित किए गए थे.

विशेषज्ञ चिकित्सकों का अभाव : जानकारी के मुताबिक, विशेषज्ञ चिकित्सकों के 3620 स्वीकृत पदों के सापेक्ष स्वास्थ्य विभाग में आधी संख्या में भी विशेषज्ञ नहीं हैं. नए चिकित्सक मिल नहीं रहे हैं. मौजूदा स्पेशलिस्ट चिकित्सक, मंडलीय व जिला अस्पतालों में ही खप जा रहे हैं. जिसकी वजह से नवस्थापित ट्रामा सेंटर उद्देश्य पूर्ण सेवाएं नहीं दे पा रहे हैं. नतीजतन, अधिकांश ट्रामा सेंटर्स जिला चिकित्सालय या समीप स्थित मंडलीय अस्पताल से संबध कर संचालित हो रहे हैं, इमरजेंसी में मरीजों को प्राथमिक इलाज मिल रहा है.

केजीएमयू का ट्राॅमा सेंटर
केजीएमयू का ट्राॅमा सेंटर (Photo credit: ETV Bharat)

चिकित्सा शिक्षा विभाग में शिफ्ट हो गए 12 ट्रामा सेंटर : जिला अस्पताल से मेडिकल कॉलेज बनने के बाद 12 ट्रामा सेंटर चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधीन संचालित हो रहे हैं. इनमें अयोध्या, फतेहपुर, ललितपुर, हरदोई, फिरोजाबाद, सुल्तानपुर, सोनभद्र, कानुपर देहात, मिर्जापुर, बहराइच व लखनऊ का ट्रामा सेंटर शामिल हैं. मेडिकल कॉलेज के अधीन संचालित होने की वजह से इन ट्रामा सेंटर्स में अपेक्षाकृत बेहतर इलाज उपलब्ध है. इसके बाद शेष 34 ट्रामा सेंटर्स में लखनऊ, हापुड़, गाजीपुर और मैनपुरी जिले में नव स्थापित ट्रामा सेंटर आंशिक रूप से चल रहे हैं, जबकि अन्य सभी 30 ट्रामा सेंटर्स के पूर्ण संचालित होने का दावा स्वास्थ्य विभाग करता है. अधिकारियों का कहना है कि विशेषज्ञ चिकित्सकों की भारी कमी को देखते हुए शासन के अधिकारियों द्वारा विकल्पों की तलाश की जा रही है.

इमरजेंसी मेडिसिन
इमरजेंसी मेडिसिन (Photo credit: ETV Bharat)

एक ट्रामा सेंटर के लिए 50 पद स्वीकृत : जानकारी के मुताबिक, नवस्थापित ट्राॅमा सेंटर संचालित करने के लिए शासन द्वारा चिकित्सक समेत पैरामेडिकल स्टाफ के कुल 50 पद प्रति ट्रामा सेंटर सृजित किए गए हैं. हर ट्रामा सेंटर के लिए स्वीकृत पदों में तीन इमरजेंसी मेडिकल ऑफिसर (ईएमओ), जनरल सर्जन एनेस्थेटिक व आर्थोपेडिक चिकित्सक में दो-दो पद, अर्थात कुल नौ चिकित्सक शामिल हैं. इसके अलावा 15 स्टाफ नर्स, तीन ओटी टेक्नीशियन, तीन एक्स-रे टेक्नीशियन, दो लैब टेक्नीशियन, नौ नर्सिंग अटेंडेंट और इतने ही यानी पद सेवा प्रदाता एजेंसी के माध्यम से बतौर मल्टी टास्क वर्कर के पद स्वीकृत किए गए हैं.

लखनऊ में हरदोई, रायबरेली, इटावा जिलों से इलाज करने के लिए पहुंचे मरीजों ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान कहा कि जिलों में बेहतर इलाज नहीं मिल पाता है. जिसके कारण लखनऊ आने की स्थिति बनती है, अगर यही इलाज हमारे जिलों में निशुल्क उपलब्ध हो जाए तो हमें इतनी दूर इलाज करने के लिए नहीं आना पड़ेगा. मरीज ने कहा कि हमारे जिलों में सरकारी अस्पतालों में कोई भी जांच निशुल्क नहीं होती है. यहां तक की सीटी स्कैन के लिए साढे़ 350 रुपए शुल्क जमा करना पड़ता है और वहीं लखनऊ के अस्पतालों में सिर्फ एक रुपए के पर्चे में ही सारा इलाज हो जाता है. उन्होंने कहा कि अगर यह व्यवस्था ठीक हो जाए तो अपने ही जिले में इलाज करवा सकेंगे.

स्वास्थ्य विभाग के विशेष सचिव स्वास्थ्य व निदेशक प्रशासन शिव सहाय अवस्थी ने कहा कि विशेषज्ञ डॉक्टर की विभाग में कमी है, बात सही है. विशेषज्ञों की संख्या बढ़ाने के लिए वॉक इन इंटरव्यू के माध्यम से नियुक्ति दी जा रही है, पांच लाख रुपए प्रतिमाह वेतन का भी ऑफर दिया गया है. ट्रामा सेंटर्स में कितने की कमी है, आंकड़े देखकर चिकित्सकों की संख्या बढ़ाने की नीति अपनाई जाएगी.

यह भी पढ़ें : KGMU के पूर्व प्रो. डॉ. रवि देव से जमकर मारपीट, घूंसे-थप्पड़ बरसाए, कुर्सी फेंकी; मरीज की मौत से नाराज परिजनों ने किया हंगामा VIDEO - Former Prof KGMU Dr Ravi beaten

यह भी पढ़ें : महिलाओं को दर्द से मुक्ति दिलाएगा ये खास इंजेक्शन; KGMU के डॉक्टर्स ने लगाने का नया तरीका खोजा - Pain Relief in One Injection

मरीजों ने बताई समस्या (Video credit: ETV Bharat)

लखनऊ : प्रदेश में सड़क हादसे या अन्य किसी दुर्घटना में घायल मरीजों को इमरजेंसी में बेहतर इलाज उपलब्ध कराने की वृहद योजना है. राजधानी में केजीएमयू व पीजीआई के ट्रामा सेंटर के अलावा स्वास्थ्य विभाग के पास ट्रामा सेंटर्स की लंबी फेहरिस्त है. लेकिन, विशेषज्ञ चिकित्सकों के अभाव में स्वास्थ्य विभाग के कागजों में क्रियाशील 34 ट्रामा सेंटर इलाज उपलब्ध कराने के मामले में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र (पीएचसी) बनकर रह गए हैं. केवल नाम के ट्रामा सेंटर हैं. सड़क सुरक्षा नियम के तहत स्वास्थ्य विभाग द्वारा प्रदेश में 46 ट्रामा सेंटर्स स्थापित किए गए थे.

विशेषज्ञ चिकित्सकों का अभाव : जानकारी के मुताबिक, विशेषज्ञ चिकित्सकों के 3620 स्वीकृत पदों के सापेक्ष स्वास्थ्य विभाग में आधी संख्या में भी विशेषज्ञ नहीं हैं. नए चिकित्सक मिल नहीं रहे हैं. मौजूदा स्पेशलिस्ट चिकित्सक, मंडलीय व जिला अस्पतालों में ही खप जा रहे हैं. जिसकी वजह से नवस्थापित ट्रामा सेंटर उद्देश्य पूर्ण सेवाएं नहीं दे पा रहे हैं. नतीजतन, अधिकांश ट्रामा सेंटर्स जिला चिकित्सालय या समीप स्थित मंडलीय अस्पताल से संबध कर संचालित हो रहे हैं, इमरजेंसी में मरीजों को प्राथमिक इलाज मिल रहा है.

केजीएमयू का ट्राॅमा सेंटर
केजीएमयू का ट्राॅमा सेंटर (Photo credit: ETV Bharat)

चिकित्सा शिक्षा विभाग में शिफ्ट हो गए 12 ट्रामा सेंटर : जिला अस्पताल से मेडिकल कॉलेज बनने के बाद 12 ट्रामा सेंटर चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधीन संचालित हो रहे हैं. इनमें अयोध्या, फतेहपुर, ललितपुर, हरदोई, फिरोजाबाद, सुल्तानपुर, सोनभद्र, कानुपर देहात, मिर्जापुर, बहराइच व लखनऊ का ट्रामा सेंटर शामिल हैं. मेडिकल कॉलेज के अधीन संचालित होने की वजह से इन ट्रामा सेंटर्स में अपेक्षाकृत बेहतर इलाज उपलब्ध है. इसके बाद शेष 34 ट्रामा सेंटर्स में लखनऊ, हापुड़, गाजीपुर और मैनपुरी जिले में नव स्थापित ट्रामा सेंटर आंशिक रूप से चल रहे हैं, जबकि अन्य सभी 30 ट्रामा सेंटर्स के पूर्ण संचालित होने का दावा स्वास्थ्य विभाग करता है. अधिकारियों का कहना है कि विशेषज्ञ चिकित्सकों की भारी कमी को देखते हुए शासन के अधिकारियों द्वारा विकल्पों की तलाश की जा रही है.

इमरजेंसी मेडिसिन
इमरजेंसी मेडिसिन (Photo credit: ETV Bharat)

एक ट्रामा सेंटर के लिए 50 पद स्वीकृत : जानकारी के मुताबिक, नवस्थापित ट्राॅमा सेंटर संचालित करने के लिए शासन द्वारा चिकित्सक समेत पैरामेडिकल स्टाफ के कुल 50 पद प्रति ट्रामा सेंटर सृजित किए गए हैं. हर ट्रामा सेंटर के लिए स्वीकृत पदों में तीन इमरजेंसी मेडिकल ऑफिसर (ईएमओ), जनरल सर्जन एनेस्थेटिक व आर्थोपेडिक चिकित्सक में दो-दो पद, अर्थात कुल नौ चिकित्सक शामिल हैं. इसके अलावा 15 स्टाफ नर्स, तीन ओटी टेक्नीशियन, तीन एक्स-रे टेक्नीशियन, दो लैब टेक्नीशियन, नौ नर्सिंग अटेंडेंट और इतने ही यानी पद सेवा प्रदाता एजेंसी के माध्यम से बतौर मल्टी टास्क वर्कर के पद स्वीकृत किए गए हैं.

लखनऊ में हरदोई, रायबरेली, इटावा जिलों से इलाज करने के लिए पहुंचे मरीजों ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान कहा कि जिलों में बेहतर इलाज नहीं मिल पाता है. जिसके कारण लखनऊ आने की स्थिति बनती है, अगर यही इलाज हमारे जिलों में निशुल्क उपलब्ध हो जाए तो हमें इतनी दूर इलाज करने के लिए नहीं आना पड़ेगा. मरीज ने कहा कि हमारे जिलों में सरकारी अस्पतालों में कोई भी जांच निशुल्क नहीं होती है. यहां तक की सीटी स्कैन के लिए साढे़ 350 रुपए शुल्क जमा करना पड़ता है और वहीं लखनऊ के अस्पतालों में सिर्फ एक रुपए के पर्चे में ही सारा इलाज हो जाता है. उन्होंने कहा कि अगर यह व्यवस्था ठीक हो जाए तो अपने ही जिले में इलाज करवा सकेंगे.

स्वास्थ्य विभाग के विशेष सचिव स्वास्थ्य व निदेशक प्रशासन शिव सहाय अवस्थी ने कहा कि विशेषज्ञ डॉक्टर की विभाग में कमी है, बात सही है. विशेषज्ञों की संख्या बढ़ाने के लिए वॉक इन इंटरव्यू के माध्यम से नियुक्ति दी जा रही है, पांच लाख रुपए प्रतिमाह वेतन का भी ऑफर दिया गया है. ट्रामा सेंटर्स में कितने की कमी है, आंकड़े देखकर चिकित्सकों की संख्या बढ़ाने की नीति अपनाई जाएगी.

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