ETV Bharat / state

दिल्ली में प्राइवेट अस्पताल ने 13 लाख रुपए के लिए नवजातों को बनाया बंधक, दो महीने से भटक रहा बच्चे का पिता - Delhi hospital held newborn hostage

author img

By ETV Bharat Delhi Team

Published : Sep 10, 2024, 5:00 PM IST

Updated : Sep 10, 2024, 6:37 PM IST

Private hospital in Delhi held newborn: दिल्ली से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है, जहां एक निजी अस्पताल ने कथित तौर पर नवजातों को 13 लाख रुपये के लिए बंधक बना लिया है. पीड़ित का कहना है कि जैसे तैसे उन्होंने अस्पताल में करीब 6 लाख रुपये जमा करवाया, लेकिन अस्पताल प्रशासन उसे बच्चा नहीं दे रहा.

Etv Bharat
AAP सांसद संजय सिंह ने भी शेयर की शिकायत की कॉपी. (Etv Bharat)

नई दिल्ली: दिल्ली के एक निजी अस्पताल की मनमानी की वजह से एक परिवार दो महीने से अपने नवजात बच्चों को घर नहीं ले जा पा रहा है. परिवार की मानें तो निजी अस्पताल ने उनके दोनों बच्चों को बंधक बना रखा है और 13 लाख रुपए की डिमांड की है. पीड़ित ने इस मामले को लेकर मोती नगर पुलिस थाने में शिकायत भी दर्ज कराई है, लेकिन उसका आरोप है कि पुलिस ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की. अब इस संबंध में आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने भी शिकायत की कॉपी के साथ ट्वीट किया है, लेकिन अब तक बच्चों को माता-पिता को नहीं सौंपा गया है.

बच्चे के पिता ने लगाया गंभीर आरोप. (ETV Bharat)

दरअसल, गुरुग्राम के एक बैंक के एटीएम में सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करने वाले पंकज कुमार मिश्रा के घर 14 साल बाद खुशियां आई. लेकिन ईएसआई अस्पताल के डॉक्टरों ने मां के पेट में पल रहे बच्चों की हालत को देखते हुए उसे दिल्ली के किसी ऐसे अस्पताल में जाने की सलाह दी, जहां जच्चा बच्चा दोनों की देखरेख हो सके. पंकज का कहना है कि दिल्ली के कई सरकारी अस्पतालों का चक्कर काटते रहे, लेकिन एक भी अस्पताल में उन्हें बेड नहीं मिला. थक हारकर उन्होंने मोती नगर के एक निजी अस्पताल में पत्नी को भर्ती कराया.

जुलाई में पत्नी ने जुड़वा बच्चों को जन्म दियाः उनका दावा है कि जुलाई में पत्नी ने जुड़वा बच्चे को जन्म दिया. जैसे तैसे उसने अस्पताल का बिल जम किया और पत्नी को डिस्चार्ज करवाया. लेकिन दोनों नवजातों की स्थिति को देखते हुए डॉक्टरों ने कुछ दिन और अस्पताल में रखने की सलाह दी. पंकज का कहना है कि जब अस्पताल का बिल लगभग 7 लाख रुपए के करीब पहुंच गया तब उन्होंने बच्चों को अस्पताल से डिस्चार्ज करने के लिए कहा ताकि वह किसी सरकारी अस्पताल में इलाज करा सके. उन्होंने करीब 6 लाख रुपये जमा भी करवाया.

यह भी पढ़ें- रीढ़ की हड्डी को लेकर रहें सतर्क, चोट लगने के बाद दोबारा नहीं बनती इसकी कोशिकाएं: डॉ. छाबड़ा

13 लाख रुपए की डिमांड कर रहा अस्पताल: उनका कहना है कि अस्पताल के मैनेजर ने उन्हें एनजीओ से मीटिंग कराई गई और उन्हें भरोसा दिलाया कि बच्चों के इलाज का सारा खर्च वो भरेगी. इसलिए वह चिंता ना करें और बच्चे को एडमिट रहने दे, लेकिन कुछ दिन के बाद ही अस्पताल प्रशासन ने यह कहते हुए 13 लाख रुपए की डिमांड कर दी कि अब एनजीओ भी इतने पैसे भरने को तैयार नहीं है. अब पंकज मिश्रा के 13 लाख रुपए की मांग सुनकर होश उड़ गए. वह अपने बच्चों के लिए अस्पताल का चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन उन्हें अस्पताल प्रशासन बच्चा नहीं दे रहा. पंकज के दावों पर ETV Bharat ने हॉस्पिटल के नंबर पर मंगलवार शाम सवा चार बजे कॉल किया तो परिचय देते ही फोन काट दिया. वहीं, पश्चिमी जिले के डीसीपी को व्हाट्सएप मेसेज करने पर कोई जवाब नहीं मिला और मोती नगर थाने के एसएचओ को फोन करने पर जब पूछा गया तो बताया कि मामले को देख रहे हैं. जैसे ही अस्पताल प्रबंधन का पक्ष आएगा उसे भी लगाया जाएगा.

यह भी पढ़ें- दिल्ली AIIMS में अब होगा तंबाकू की लत का इलाज, ऐसे करें रजिस्ट्रेशन

नई दिल्ली: दिल्ली के एक निजी अस्पताल की मनमानी की वजह से एक परिवार दो महीने से अपने नवजात बच्चों को घर नहीं ले जा पा रहा है. परिवार की मानें तो निजी अस्पताल ने उनके दोनों बच्चों को बंधक बना रखा है और 13 लाख रुपए की डिमांड की है. पीड़ित ने इस मामले को लेकर मोती नगर पुलिस थाने में शिकायत भी दर्ज कराई है, लेकिन उसका आरोप है कि पुलिस ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की. अब इस संबंध में आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने भी शिकायत की कॉपी के साथ ट्वीट किया है, लेकिन अब तक बच्चों को माता-पिता को नहीं सौंपा गया है.

बच्चे के पिता ने लगाया गंभीर आरोप. (ETV Bharat)

दरअसल, गुरुग्राम के एक बैंक के एटीएम में सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करने वाले पंकज कुमार मिश्रा के घर 14 साल बाद खुशियां आई. लेकिन ईएसआई अस्पताल के डॉक्टरों ने मां के पेट में पल रहे बच्चों की हालत को देखते हुए उसे दिल्ली के किसी ऐसे अस्पताल में जाने की सलाह दी, जहां जच्चा बच्चा दोनों की देखरेख हो सके. पंकज का कहना है कि दिल्ली के कई सरकारी अस्पतालों का चक्कर काटते रहे, लेकिन एक भी अस्पताल में उन्हें बेड नहीं मिला. थक हारकर उन्होंने मोती नगर के एक निजी अस्पताल में पत्नी को भर्ती कराया.

जुलाई में पत्नी ने जुड़वा बच्चों को जन्म दियाः उनका दावा है कि जुलाई में पत्नी ने जुड़वा बच्चे को जन्म दिया. जैसे तैसे उसने अस्पताल का बिल जम किया और पत्नी को डिस्चार्ज करवाया. लेकिन दोनों नवजातों की स्थिति को देखते हुए डॉक्टरों ने कुछ दिन और अस्पताल में रखने की सलाह दी. पंकज का कहना है कि जब अस्पताल का बिल लगभग 7 लाख रुपए के करीब पहुंच गया तब उन्होंने बच्चों को अस्पताल से डिस्चार्ज करने के लिए कहा ताकि वह किसी सरकारी अस्पताल में इलाज करा सके. उन्होंने करीब 6 लाख रुपये जमा भी करवाया.

यह भी पढ़ें- रीढ़ की हड्डी को लेकर रहें सतर्क, चोट लगने के बाद दोबारा नहीं बनती इसकी कोशिकाएं: डॉ. छाबड़ा

13 लाख रुपए की डिमांड कर रहा अस्पताल: उनका कहना है कि अस्पताल के मैनेजर ने उन्हें एनजीओ से मीटिंग कराई गई और उन्हें भरोसा दिलाया कि बच्चों के इलाज का सारा खर्च वो भरेगी. इसलिए वह चिंता ना करें और बच्चे को एडमिट रहने दे, लेकिन कुछ दिन के बाद ही अस्पताल प्रशासन ने यह कहते हुए 13 लाख रुपए की डिमांड कर दी कि अब एनजीओ भी इतने पैसे भरने को तैयार नहीं है. अब पंकज मिश्रा के 13 लाख रुपए की मांग सुनकर होश उड़ गए. वह अपने बच्चों के लिए अस्पताल का चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन उन्हें अस्पताल प्रशासन बच्चा नहीं दे रहा. पंकज के दावों पर ETV Bharat ने हॉस्पिटल के नंबर पर मंगलवार शाम सवा चार बजे कॉल किया तो परिचय देते ही फोन काट दिया. वहीं, पश्चिमी जिले के डीसीपी को व्हाट्सएप मेसेज करने पर कोई जवाब नहीं मिला और मोती नगर थाने के एसएचओ को फोन करने पर जब पूछा गया तो बताया कि मामले को देख रहे हैं. जैसे ही अस्पताल प्रबंधन का पक्ष आएगा उसे भी लगाया जाएगा.

यह भी पढ़ें- दिल्ली AIIMS में अब होगा तंबाकू की लत का इलाज, ऐसे करें रजिस्ट्रेशन

Last Updated : Sep 10, 2024, 6:37 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.