खूंटी: तमाड़ विधानसभा क्षेत्र के अड़की प्रखंड के दूरस्थ इलाके में आज भी लकड़ी और टिन के चादरों से बना एक सरकारी स्कूल संचालित हो रहा है. 50 बच्चों के इस स्कूल में बेंच डेस्क के अलावा सरकारी सुविधाएं भी हैं, लेकिन स्कूल की बिल्डिंग नहीं है. गर्मी, ठंड हो या बरसात सभी मौसम में बच्चे इसी हालत में पढ़ने को मजबूर हैं.
टिन और लकड़ियों से बनी झोपड़ीनुमा में पढ़ाई
दरअसल, नक्सल प्रभावित अड़की प्रखंड के इचाकुटी गांव में शिक्षा की स्थिति बेहद दयनीय है. यहां उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय का संचालन टिन के चादर और जंगल की लकड़ियों से बनी झोपड़ी में हो रहा है. 2003 तक यह विद्यालय प्लास्टिक के तिरपाल के नीचे चलता था. ग्रामसभा की पहल पर ग्रामीणों ने अर्थदान और श्रमदान से झोपड़ी बनवाई, लेकिन अब तक सरकार ने इस स्कूल के लिए पक्का भवन उपलब्ध नहीं कराया. स्कूल के प्रिंसिपल जिदन सोय का कहना है कि इस स्कूल में दो शिक्षक हैं और किसी तरह इसी स्कूल में पढ़ाने को मजबूर हैं. गर्मी के दिनों में टिन की छत के कारण गर्मी ज्यादा लगती है और बारिश के दिनों में पानी की आवाज के कारण पढ़ाई नहीं हो पाती.
प्रिंसिपल ने बताया कि यह स्कूल अड़की प्रखंड के तोडांग पंचायत स्थित इचाकुटी गांव में है और घने जंगलों में दो दशक से ज्यादा समय से झोपड़ीनुमा विद्यालय का संचालन हो रहा है, जिसमें 50 से अधिक बच्चे पढ़ाई करने आते हैं. स्कूल की प्रिंसिपल जिदन सोय 2001 से इस स्कूल में पढ़ा रही हैं. उन्होंने कहा कि स्कूल की हालत का मुद्दा कई बार उठाया जा चुका है. बावजूद इस स्कूल को सुधारने में कोई पहल नहीं की गई.
तमाड़ विधायक विकास मुंडा ने कहा कि उन्हें संज्ञान में नहीं था कि लकड़ी और टिन से बना एक सरकारी स्कूल भी संचालित है, जहां 50 बच्चे पढ़ते हैं. उन्होंने कहा कि जल्द ही इस स्कूल को नई बिल्डिंग मिलेगी. जहां सभी सुविधाएं होंगी और बच्चे पक्की छत के नीचे पढ़ेंगे. वहीं, जिले के डीडीसी श्याम नारायण ने बताया कि स्कूल के कायाकल्प की तैयारियां जल्द शुरू होंगी.
खूंटी में शिक्षा व्यवस्था का यह बुरा हाल पिछले दो दशक से है. ईटीवी भारत ने 10 मार्च को प्रमुखता से इस खबर को दिखाया था. उस समय चुनावी माहौल के चलते अधिकारियों ने निर्माण की दिशा में कोई पहल नहीं की. जिले के डीडीसी श्याम नारायण ने बताया कि इस स्कूल के बारे में उन्हें जानकारी है और उच्च अधिकारी को भी संज्ञान में है. स्कूल के कायाकल्प की तैयारियां जल्द शुरू होंगी. साथ ही जिले में जितने भी जर्जर स्कूल हैं, उसे चिन्हित कर सभी की रिपेयरिंग करायी जाएगी.
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