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मानसून में बढ़ा डायरिया का खतरा, इन उपायों को अपनाकर आप रह सकते हैं हेल्दी - diarrhea Patients increases in CG

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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jul 3, 2024, 9:03 PM IST

मानसून में डायरिया का खतरा बढ़ रहा है. ऐसे में मरीजों को मानसून में कई खास बातों का ध्यान रखना चाहिए. इस बारे में हमने डॉक्टर से बात कर डायरिया से बचाव के उपाय जानने की कोशिश की है.

diarrhea Patients increases
डायरिया का खतरा (ETV Bharat)

मानसून में बढ़ा डायरिया का खतरा (ETV Bharat)

सरगुजा: मानसून की एंट्री छत्तीसगढ़ में हो चुकी है. प्रदेश में डायरिया पैर पसार रहा है. बिलासपुर और बलौदा बाजार में डायरिया फैला हुआ है. सरगुजा में भी डायरिया के मरीज सामने आने लगे हैं. ऐसे में इस संक्रमण से बचने के उपाय और डायरिया होने के कारणों को लेकर ईटीवी भारत ने डॉक्टर से बातचीत की.

आइए डॉक्टर अमीन फिरदौसी से जानते हैं कि डायरिया क्यों होता है? कैसे इससे बचा जा सकता हैं? अगर डायरिया हो गया है, तो क्या उपाय किए जाने चाहिए?

जानिए क्या कहते हैं चिकित्सक: ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान डॉ अमीन फिरदौसी ने कहा, "आदिवासी अंचलों में कभी-कभी डायरिया भयावह रूप ले लेता है. इसका प्रमुख कारण पानी की गंदगी है, जिसके कारण डायरिया काफी तेजी से फैलता है, इसलिए कुंए, हैंडपंप, बोरिंग जो भी पानी पीने के लिए उपयोग किया जाता है, उसको साफ रखने की व्यवस्था की जाए. इसमें हम क्लोरीन, ब्लीचिंग पावडर का इस्तेमाल कर सकते हैं, जिससे बैटीरिया पैदा करने वाला कीड़ा मर जाए. दूसरा इसका कारण होता है, गैस्ट्रो इंट्रायटिस, जो एक बैक्टीरियल वायरल भी होता है. इस तरह का डायरिया डेंजरस होता है, ये शरीर में तेजी से फैलता है. लोगों के बीच में भी ये तेजी से फैल रहा है.

खाने-पीने से भी फैलता है डायरिया: चिकित्सक की मानें तो खाने-पीने से भी ये फैल सकता है. इसमें एक बहुत महत्वपूर्ण कारण है कि इस मौसम में कई ऐसी सब्जियां और फल उपलब्ध होते हैं, जिन्हें अगर हम ठीक से ना धोएं तो डायरिया हो सकता है. इस समय पत्तियों और फलों के ऊपर लार्वा अपने अंडे देते हैं, जिसके कारण पेट में इंफेक्शन हो सकता है. जैसे हम पुटू खाते हैं, अगर पुटू को ठीक तरह से ना पकाया जाए, तो वो हमें नुकसान कर सकता है.

डायरिया में आपको खासकर छोटे बच्चों और बुजुर्गों का खास ध्यान रखना है, क्योंकि इसमे अचानक से लास होता है, अचानक ही शरीर का सारा पानी, नमक कम हो जाता है और इलेक्ट्रोलाइट डिस बैलेंस हो जाता है, जिससे आपको चक्कर आ सकता है, कोलैप्स तक हो सकते हैं. अगर दिन भर में 4 से 5 बार दस्त, उल्टी या बुखार हो तो ये डायरिया का लक्षण है. इस बीमारी में घरेलू उपाय सबसे पहले ये करें कि ओआरएस घर में रखे. बीमार व्यक्ति को तुरंत ओआरएस पिलाएं, जिससे इलेक्ट्रोलाइट डिस बैलेंस ना हो और अपने पीने के पानी को साफ रखें. हो सके तो उसे उबाल लें.-डॉ. अमीन फिरदौसी, प्राइवेट प्रैक्टिसनर

ओआरएस का करें इस्तेमाल: चिकित्सक की मानें तो डायरिया होने पर एलोपैथी में विशेष इलाज के तौर पर ओआरएस का पाउडर लगातार इस्तेमाल करना होता है. इसके साथ ही अगर इन्फेक्शन होने पर एंटीबायोटिक, एंटी प्रोटोजोल उपयोग किया जाता है. इसके अलावा आयुर्वेद और होम्योपैथी में भी बहुत सारी दवाइयां हैं, जिसका इस्तेमाल आप घर में कर सकते हैं. जैसे आयुर्वेदिक में काल मेघ है. होम्योपैथी में पोडो फाइलम है. ये सारी दवाईयां आप डायरिया में बीमार व्यक्ति को दे सकते हैं, लेकिन अगर स्थिति गंभीर है या बीमार कोई बच्चा है तो रिस्क नहीं लेना चाहिए, सीधे डाक्टर से संपर्क करनी चाहिए.

साफ-सफाई का रखें विशेष ध्यान: ऐसे में डॉक्टर भी सलाह देते हैं कि इस मौसम में पीने का पानी साफ रखे. मानसून में 99 फीसद बीमारियां पानी से फैलती हैं. दूसरा खुद के साफ-सफाई का ध्यान रखें. हाथ पैर साफ रखें. कॉकरोच को हल्के में ना लें, क्योंकि कॉकरोच सीवरेज से आता हैं, वो मल तो तोड़कर खाता है. कॉकरोच आपके किचन में नाली के रास्ते से आता है, तो कहीं ना कहीं वो जब आपके खाने में चढ़ता है तो वो उसे भी इन्फेक्टेड कर देता है. ऐसे में मानसून में साफ-सफाई का ध्यान रखना चाहिए.

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आइए डॉक्टर अमीन फिरदौसी से जानते हैं कि डायरिया क्यों होता है? कैसे इससे बचा जा सकता हैं? अगर डायरिया हो गया है, तो क्या उपाय किए जाने चाहिए?

जानिए क्या कहते हैं चिकित्सक: ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान डॉ अमीन फिरदौसी ने कहा, "आदिवासी अंचलों में कभी-कभी डायरिया भयावह रूप ले लेता है. इसका प्रमुख कारण पानी की गंदगी है, जिसके कारण डायरिया काफी तेजी से फैलता है, इसलिए कुंए, हैंडपंप, बोरिंग जो भी पानी पीने के लिए उपयोग किया जाता है, उसको साफ रखने की व्यवस्था की जाए. इसमें हम क्लोरीन, ब्लीचिंग पावडर का इस्तेमाल कर सकते हैं, जिससे बैटीरिया पैदा करने वाला कीड़ा मर जाए. दूसरा इसका कारण होता है, गैस्ट्रो इंट्रायटिस, जो एक बैक्टीरियल वायरल भी होता है. इस तरह का डायरिया डेंजरस होता है, ये शरीर में तेजी से फैलता है. लोगों के बीच में भी ये तेजी से फैल रहा है.

खाने-पीने से भी फैलता है डायरिया: चिकित्सक की मानें तो खाने-पीने से भी ये फैल सकता है. इसमें एक बहुत महत्वपूर्ण कारण है कि इस मौसम में कई ऐसी सब्जियां और फल उपलब्ध होते हैं, जिन्हें अगर हम ठीक से ना धोएं तो डायरिया हो सकता है. इस समय पत्तियों और फलों के ऊपर लार्वा अपने अंडे देते हैं, जिसके कारण पेट में इंफेक्शन हो सकता है. जैसे हम पुटू खाते हैं, अगर पुटू को ठीक तरह से ना पकाया जाए, तो वो हमें नुकसान कर सकता है.

डायरिया में आपको खासकर छोटे बच्चों और बुजुर्गों का खास ध्यान रखना है, क्योंकि इसमे अचानक से लास होता है, अचानक ही शरीर का सारा पानी, नमक कम हो जाता है और इलेक्ट्रोलाइट डिस बैलेंस हो जाता है, जिससे आपको चक्कर आ सकता है, कोलैप्स तक हो सकते हैं. अगर दिन भर में 4 से 5 बार दस्त, उल्टी या बुखार हो तो ये डायरिया का लक्षण है. इस बीमारी में घरेलू उपाय सबसे पहले ये करें कि ओआरएस घर में रखे. बीमार व्यक्ति को तुरंत ओआरएस पिलाएं, जिससे इलेक्ट्रोलाइट डिस बैलेंस ना हो और अपने पीने के पानी को साफ रखें. हो सके तो उसे उबाल लें.-डॉ. अमीन फिरदौसी, प्राइवेट प्रैक्टिसनर

ओआरएस का करें इस्तेमाल: चिकित्सक की मानें तो डायरिया होने पर एलोपैथी में विशेष इलाज के तौर पर ओआरएस का पाउडर लगातार इस्तेमाल करना होता है. इसके साथ ही अगर इन्फेक्शन होने पर एंटीबायोटिक, एंटी प्रोटोजोल उपयोग किया जाता है. इसके अलावा आयुर्वेद और होम्योपैथी में भी बहुत सारी दवाइयां हैं, जिसका इस्तेमाल आप घर में कर सकते हैं. जैसे आयुर्वेदिक में काल मेघ है. होम्योपैथी में पोडो फाइलम है. ये सारी दवाईयां आप डायरिया में बीमार व्यक्ति को दे सकते हैं, लेकिन अगर स्थिति गंभीर है या बीमार कोई बच्चा है तो रिस्क नहीं लेना चाहिए, सीधे डाक्टर से संपर्क करनी चाहिए.

साफ-सफाई का रखें विशेष ध्यान: ऐसे में डॉक्टर भी सलाह देते हैं कि इस मौसम में पीने का पानी साफ रखे. मानसून में 99 फीसद बीमारियां पानी से फैलती हैं. दूसरा खुद के साफ-सफाई का ध्यान रखें. हाथ पैर साफ रखें. कॉकरोच को हल्के में ना लें, क्योंकि कॉकरोच सीवरेज से आता हैं, वो मल तो तोड़कर खाता है. कॉकरोच आपके किचन में नाली के रास्ते से आता है, तो कहीं ना कहीं वो जब आपके खाने में चढ़ता है तो वो उसे भी इन्फेक्टेड कर देता है. ऐसे में मानसून में साफ-सफाई का ध्यान रखना चाहिए.

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