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30 अप्रैल को रिटायर हो रहे हैं HoFF अनूप मलिक, आचार संहिता के बीच नए मुखिया के DPC की तैयारी - Forest Department DPC

Hoff Anup Malik retirement in April उत्तराखंड वन विभाग में नए मुखिया की ताजपोशी को लेकर जल्द ही कसरत शुरू होने जा रही है. प्रमुख वन संरक्षक (हॉफ) अनूप मलिक इसी महीने सेवानिवृत होने जा रहे हैं. लिहाजा वन महकमे की कमान किसके हाथ में दी जाएगी, इस पर सुगबुगाहट तेज हो गई है. हालांकि नए प्रमुख वन संरक्षक (हॉफ) पद के लिए डीपीसी की तारीख अभी तय नहीं की गई है, लेकिन माना जा रहा है कि जल्द ही इसके लिए कसरत शुरू कर दी जाएगी.

Hoff Anup Malik
उत्तराखंड वन विभाग
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Apr 4, 2024, 6:40 AM IST

देहरादून: उत्तराखंड वन विभाग में इन दिनों लोकसभा चुनाव के बीच चर्चाएं नए मुखिया की ताजपोशी को लेकर हो रही हैं. दरअसल वन विभाग में इसी अप्रैल के महीने हेड ऑफ फॉरेस्ट फोर्स (हॉफ) अनूप मलिक अपना कार्यकाल पूरा कर रहे हैं. ऐसे में 30 अप्रैल को उनके सेवानिवृत होने के बाद वन विभाग की कमान किसे मिलेगी, इस पर विभाग में सुगबुगाहट तेज हो गई है. हालांकि अभी शासन में नए मुखिया को लेकर डीपीसी की तारीख तय नहीं हुई है. लेकिन अनूप मलिक के सेवानिवृत्ति के लिए समय कम होने चलते, शासन इस पर जल्द ही कसरत शुरू करने जा रहा है.

सीनियरिटी के आधार पर ही बनते रहे हैं वन विभाग में मुखिया: वन विभाग में अब तक की स्थिति को देखें तो सीनियरिटी के आधार पर ही महकमे की कमान अधिकारियों को सौंपी जाती रही है. इस लिहाज से देखा जाए तो पीसीसीएफ धनंजय मोहन इस वक्त सबसे वरिष्ठ हैं. उनकी ही वन विभाग में मुखिया के तौर पर सबसे ज्यादा संभावनाएं नजर आ रही हैं. हालांकि रेस में पीसीसीएफ वाइल्डलाइफ समीर सिन्हा भी बने हुए हैं. दरअसल वन विभाग हमेशा विवादों में बना रहा है. ऐसे में सरकार और शासन सीनियरिटी को दरकिनार करके नए विवाद को जन्म देंगे, इसकी संभावना कम नजर आ रही है.

लोकसभा चुनाव के चलते सेवा विस्तार की भी रही चर्चाएं: प्रदेश में लोकसभा चुनाव को लेकर आचार संहिता लगी हुई है और फायर सीजन भी चल रहा है. लिहाजा इन स्थितियों के बीच वन विभाग में मौजूदा हॉफ अनूप मलिक के सेवा विस्तार को लेकर भी सुगबुगाहट सुनाई देती रही है. चर्चाएं हो रही हैं कि सरकार भी उनके सेवा विस्तार को लेकर इच्छुक है, लेकिन ना तो हॉफ पद पर सेवा विस्तार का पुराना कोई उदाहरण है और ना ही इससे जुड़ा कोई लिखित नियम. ऐसे में इन चर्चाओं के बीच सेवा विस्तार को लेकर संभावनाएं नजर नहीं आ रही हैं.

जल्द शासन में इसको लेकर शुरू होगा फाइल का मूवमेंट: वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों में अपने नए मुखिया का नाम जानने को लेकर उत्सुकता है, तो शासन भी जल्द डीपीसी के लिए जरूरी औपचारिकताओं को शुरू कर सकता है. शासन में कर्मियों को इससे जुड़ी फाइल तैयार करने के लिए हरी झंडी का इंतजार है. राज्य में आचार संहिता होने के कारण शासन डीपीसी से पहले निर्वाचन आयोग के संज्ञान में भी इसे लाएगा और फिर जाकर प्रक्रिया शुरू की जाएगी.
ये भी पढ़ें: जंगलों की आग बुझाएंगे या कराएंगे चुनाव, वन महकमे ने मुख्य निर्वाचन अधिकारी को लिखा पत्र

देहरादून: उत्तराखंड वन विभाग में इन दिनों लोकसभा चुनाव के बीच चर्चाएं नए मुखिया की ताजपोशी को लेकर हो रही हैं. दरअसल वन विभाग में इसी अप्रैल के महीने हेड ऑफ फॉरेस्ट फोर्स (हॉफ) अनूप मलिक अपना कार्यकाल पूरा कर रहे हैं. ऐसे में 30 अप्रैल को उनके सेवानिवृत होने के बाद वन विभाग की कमान किसे मिलेगी, इस पर विभाग में सुगबुगाहट तेज हो गई है. हालांकि अभी शासन में नए मुखिया को लेकर डीपीसी की तारीख तय नहीं हुई है. लेकिन अनूप मलिक के सेवानिवृत्ति के लिए समय कम होने चलते, शासन इस पर जल्द ही कसरत शुरू करने जा रहा है.

सीनियरिटी के आधार पर ही बनते रहे हैं वन विभाग में मुखिया: वन विभाग में अब तक की स्थिति को देखें तो सीनियरिटी के आधार पर ही महकमे की कमान अधिकारियों को सौंपी जाती रही है. इस लिहाज से देखा जाए तो पीसीसीएफ धनंजय मोहन इस वक्त सबसे वरिष्ठ हैं. उनकी ही वन विभाग में मुखिया के तौर पर सबसे ज्यादा संभावनाएं नजर आ रही हैं. हालांकि रेस में पीसीसीएफ वाइल्डलाइफ समीर सिन्हा भी बने हुए हैं. दरअसल वन विभाग हमेशा विवादों में बना रहा है. ऐसे में सरकार और शासन सीनियरिटी को दरकिनार करके नए विवाद को जन्म देंगे, इसकी संभावना कम नजर आ रही है.

लोकसभा चुनाव के चलते सेवा विस्तार की भी रही चर्चाएं: प्रदेश में लोकसभा चुनाव को लेकर आचार संहिता लगी हुई है और फायर सीजन भी चल रहा है. लिहाजा इन स्थितियों के बीच वन विभाग में मौजूदा हॉफ अनूप मलिक के सेवा विस्तार को लेकर भी सुगबुगाहट सुनाई देती रही है. चर्चाएं हो रही हैं कि सरकार भी उनके सेवा विस्तार को लेकर इच्छुक है, लेकिन ना तो हॉफ पद पर सेवा विस्तार का पुराना कोई उदाहरण है और ना ही इससे जुड़ा कोई लिखित नियम. ऐसे में इन चर्चाओं के बीच सेवा विस्तार को लेकर संभावनाएं नजर नहीं आ रही हैं.

जल्द शासन में इसको लेकर शुरू होगा फाइल का मूवमेंट: वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों में अपने नए मुखिया का नाम जानने को लेकर उत्सुकता है, तो शासन भी जल्द डीपीसी के लिए जरूरी औपचारिकताओं को शुरू कर सकता है. शासन में कर्मियों को इससे जुड़ी फाइल तैयार करने के लिए हरी झंडी का इंतजार है. राज्य में आचार संहिता होने के कारण शासन डीपीसी से पहले निर्वाचन आयोग के संज्ञान में भी इसे लाएगा और फिर जाकर प्रक्रिया शुरू की जाएगी.
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