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मायावी सेना के साथ सड़कों पर निकला रावण, पढ़िए अनोखी परंपरा का कारण, दशानन का संगम नगरी से क्या है नाता - Prayagraj Ravana Shobha Yatra

संगम नगरी में शनिवार को धूमधाम के साथ रावण की शोभायात्रा निकाली गई. इसमें काफी संख्या में लोग शामिल हुए. रावण और उसकी मायावी सेना को देखने के लिए काफी संख्या में लोगों की भीड़ जुटी. हर साल की तरह इस बार भी इस परंपरा का निर्वहन किया गया.

रावण की शोभायात्रा ने लोगों का ध्यान खींचा.
रावण की शोभायात्रा ने लोगों का ध्यान खींचा. (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 29, 2024, 8:53 AM IST

प्रयागराज : संगम नगरी प्रयागराज में ऋषि भारद्वाज के आश्रम के बाहर से रावण की शोभायात्रा निकाली गई. इस आयोजन से दशहरा पर्व की शुरुआत की जाती है. इस अनोखे आयोजन को कटरा रामलीला कमेटी कराती है. सालों से यह परंपरा चली आ रही है. विधि-विधान के साथ लंकाधिपति रावण की आरती उतारकर शोभायात्रा की शुरुआत की जाती है. शनिवार को फिर से इस परंपरा का निर्वहन किया गया. इसमें काफी संख्या में लोग शामिल हुए.

प्रयागराज में निकाली गई रावण शोभायात्रा. (Video Credit; ETV Bharat)

कुंम्भ की धरती प्रयागराज में भारद्वाज ऋषि के आश्रम के बाहर से रावण शोभा यात्रा निकालकर दशहरे का श्रीगणेश किया गया. शोभायात्रा निकालने का कारण यह बताया जाता है कि धन के देवता कुबेर ऋषि भारद्वाज के नाती थे. रावण उनका भाई था. इस वजह से भारद्वाज आश्रम के इस इलाके के रहने वाले लोग रावण को यहां का नाती मानते हैं. उसी वजह से कटरा रामलीला कमेटी की तरफ से रावण शोभायात्रा निकाली जाती है. रामलीला कमेटी के राम दशहरे के दिन अपने हाथों से रावण का वध और रावण दहन नहीं करते हैं. वह बगल की रामलीला कमेटी के रावण दहन कार्यक्रम में शामिल होते हैं.

बैंडबाजे के साथ निकाली गई शोभायात्रा.
बैंडबाजे के साथ निकाली गई शोभायात्रा. (Photo Credit; ETV Bharat)

दशहरे की शुरुआत रावण शोभायात्रा के बाद होती है : देश भर में दशहरे की शुरुआत भगवान राम की पूजा और यात्रा के साथ की जाती है लेकिन प्रयागराज के कटरा रामलीला कमेटी की रामलीला की शुरुआत रावण शोभायात्रा के साथ होती है. शनिवार को रावण के साथ ही उसके परिवार के दूसरे सदस्य रथों पर सवार होकर नगर भ्रमण पर निकले. इससे पहले रावण का भव्य श्रृंगार करने के बाद विधि विधान के साथ रामलीला कमेटी के पदाधिकारी और दूसरे लोगों आरती उतारी.

इसके बाद ढोल नगाड़े और बैंडबाजे के साथ रावण के अलावा कुंभकर्ण, मेघनाद, सूपर्णखा व अन्य राक्षस रथ पर सवार होकर नगर में निकले. आकर्षक लाइटिंग के बीच महाराजा रावण की शोभायात्रा मायावी सेना के साथ सड़क पर निकली. देखने के लिए सड़कों के किनारे लोगों की भीड़ जुटी रही. इस क्षेत्र के लोग साल भर तक रावण शोभायात्रा निकलने का बेसब्री से इंतजार करते हैं.

शोभायात्रा से पहले उतारी गई आरती.
शोभायात्रा से पहले उतारी गई आरती. (Photo Credit; ETV Bharat)

यह भी मान्यता है कि रावण त्रिकालदर्शी होने के साथ प्रकांड विद्वान भी था. उसकी उसी विद्वता की वजह से भी इस क्षेत्र के लोग उसकी आरती उतारकर पूजा करके शोभायात्रा निकालते हैं. रावण शोभा यात्रा देखने आने वाले लोगों का कहना है कि सदियों से यह परंपरा चली आ रही है. यह उनके यहां की अनूठी परंपरा है.

क्या है रावण यात्रा निकालने के पीछे की वजह : प्रयागराज के कटरा रामलीला कमेटी के अध्यक्ष और महामंत्री ने बताया कि भारद्वाज मुनि का आश्रम कटरा रामलीला कमेटी के क्षेत्र में आता है. कटरा रामलीला कमेटी के अध्यक्ष सुधीर गुप्ता और महामंत्री उमेश केशरवानी ने बताया कि तीनों लोक का विजेता महान विद्वान त्रिकालदर्शी रावण भारद्वाज मुनि का नाती लगने के साथ ही सबसे बड़ा शिवभक्त भी था. इससे इस रामलीला कमेटी की तरफ से रावण दहन नहीं किया जाता है. भारद्वाज मुनि की बेटी इलाविदा का विवाह रावण के पिता विश्रवा के साथ हुआ था.

संतान के रूप में कुबेर पैदा हुए थे. उनकी दूसरी पत्नी का संतान रावण और उसके भाई बहन थे. जब रावण कुबेर के साथ भारद्वाज मुनि के आश्रम में आया था तो वो भारद्वाज मुनि के आश्रम में मौजूद पुष्पक विमान को भी अपने साथ ले गया था. रावण भारद्वाज मुनि का रिश्ते में नाती लगता था. इसलिए यह आयोजन कराया जाता है.

यह भी पढ़ें : प्रयागराज में महाकुंभ 2025 की तैयारी; 18 करोड़ की लागत से बनाई जा रही दीवारों पर पेंटिंग, दिखेगा महाकुंभ का इतिहास

प्रयागराज : संगम नगरी प्रयागराज में ऋषि भारद्वाज के आश्रम के बाहर से रावण की शोभायात्रा निकाली गई. इस आयोजन से दशहरा पर्व की शुरुआत की जाती है. इस अनोखे आयोजन को कटरा रामलीला कमेटी कराती है. सालों से यह परंपरा चली आ रही है. विधि-विधान के साथ लंकाधिपति रावण की आरती उतारकर शोभायात्रा की शुरुआत की जाती है. शनिवार को फिर से इस परंपरा का निर्वहन किया गया. इसमें काफी संख्या में लोग शामिल हुए.

प्रयागराज में निकाली गई रावण शोभायात्रा. (Video Credit; ETV Bharat)

कुंम्भ की धरती प्रयागराज में भारद्वाज ऋषि के आश्रम के बाहर से रावण शोभा यात्रा निकालकर दशहरे का श्रीगणेश किया गया. शोभायात्रा निकालने का कारण यह बताया जाता है कि धन के देवता कुबेर ऋषि भारद्वाज के नाती थे. रावण उनका भाई था. इस वजह से भारद्वाज आश्रम के इस इलाके के रहने वाले लोग रावण को यहां का नाती मानते हैं. उसी वजह से कटरा रामलीला कमेटी की तरफ से रावण शोभायात्रा निकाली जाती है. रामलीला कमेटी के राम दशहरे के दिन अपने हाथों से रावण का वध और रावण दहन नहीं करते हैं. वह बगल की रामलीला कमेटी के रावण दहन कार्यक्रम में शामिल होते हैं.

बैंडबाजे के साथ निकाली गई शोभायात्रा.
बैंडबाजे के साथ निकाली गई शोभायात्रा. (Photo Credit; ETV Bharat)

दशहरे की शुरुआत रावण शोभायात्रा के बाद होती है : देश भर में दशहरे की शुरुआत भगवान राम की पूजा और यात्रा के साथ की जाती है लेकिन प्रयागराज के कटरा रामलीला कमेटी की रामलीला की शुरुआत रावण शोभायात्रा के साथ होती है. शनिवार को रावण के साथ ही उसके परिवार के दूसरे सदस्य रथों पर सवार होकर नगर भ्रमण पर निकले. इससे पहले रावण का भव्य श्रृंगार करने के बाद विधि विधान के साथ रामलीला कमेटी के पदाधिकारी और दूसरे लोगों आरती उतारी.

इसके बाद ढोल नगाड़े और बैंडबाजे के साथ रावण के अलावा कुंभकर्ण, मेघनाद, सूपर्णखा व अन्य राक्षस रथ पर सवार होकर नगर में निकले. आकर्षक लाइटिंग के बीच महाराजा रावण की शोभायात्रा मायावी सेना के साथ सड़क पर निकली. देखने के लिए सड़कों के किनारे लोगों की भीड़ जुटी रही. इस क्षेत्र के लोग साल भर तक रावण शोभायात्रा निकलने का बेसब्री से इंतजार करते हैं.

शोभायात्रा से पहले उतारी गई आरती.
शोभायात्रा से पहले उतारी गई आरती. (Photo Credit; ETV Bharat)

यह भी मान्यता है कि रावण त्रिकालदर्शी होने के साथ प्रकांड विद्वान भी था. उसकी उसी विद्वता की वजह से भी इस क्षेत्र के लोग उसकी आरती उतारकर पूजा करके शोभायात्रा निकालते हैं. रावण शोभा यात्रा देखने आने वाले लोगों का कहना है कि सदियों से यह परंपरा चली आ रही है. यह उनके यहां की अनूठी परंपरा है.

क्या है रावण यात्रा निकालने के पीछे की वजह : प्रयागराज के कटरा रामलीला कमेटी के अध्यक्ष और महामंत्री ने बताया कि भारद्वाज मुनि का आश्रम कटरा रामलीला कमेटी के क्षेत्र में आता है. कटरा रामलीला कमेटी के अध्यक्ष सुधीर गुप्ता और महामंत्री उमेश केशरवानी ने बताया कि तीनों लोक का विजेता महान विद्वान त्रिकालदर्शी रावण भारद्वाज मुनि का नाती लगने के साथ ही सबसे बड़ा शिवभक्त भी था. इससे इस रामलीला कमेटी की तरफ से रावण दहन नहीं किया जाता है. भारद्वाज मुनि की बेटी इलाविदा का विवाह रावण के पिता विश्रवा के साथ हुआ था.

संतान के रूप में कुबेर पैदा हुए थे. उनकी दूसरी पत्नी का संतान रावण और उसके भाई बहन थे. जब रावण कुबेर के साथ भारद्वाज मुनि के आश्रम में आया था तो वो भारद्वाज मुनि के आश्रम में मौजूद पुष्पक विमान को भी अपने साथ ले गया था. रावण भारद्वाज मुनि का रिश्ते में नाती लगता था. इसलिए यह आयोजन कराया जाता है.

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