पाली. जिले के जाडन में स्थित देश के एक मात्र ॐ आकार के योग मंदिर का भव्य लोकार्पण सोमवार को होगा. 12.30 बजे यहां मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा, शिखर कलश पूजन और ध्वज दंड स्थापित होगा. इस समारोह में राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा सहित कई गणमान्य लोग भी शामिल हो रहे हैं. मुख्य मंदिर देवाधिदेव महादेव को समर्पित किया गया है. इस मंदिर की खासियत ये है कि गर्भगृह में एक ही शिवलिंग में द्वादश ज्योतिर्लिंग के दर्शन होंगे. इसके अलावा महादेव के 1008 नामों के आधार पर उतने ही रूपों के एक साथ दर्शन हो सकेंगे.
योग आश्रम के प्रेरक महामंडलेश्वर स्वामी महेश्वरानंद के सानिध्य में 10 फरवरी से यहां अनुष्ठान चल रहे हैं. इस 4 मंजिला भवन में नागर व स्थापत्य कला की झलक नजर आती है. इस भवन का एक हिस्सा भूगर्भः में है. चौथी मंजिल पर ब्रह्मांड की कल्पना साकार दिखेगी. आश्रम के उत्तराधिकारी अवतारपुरी महाराज के अनुसार मंदिर श्रद्धालु यहीं पर 12 ज्योतिर्लिंग के दर्शन कर सात जन्मों के पापों से मुक्ति पा सकते हैं. इसके लिए यहां स्थापित मुख्य शिवलिंग ओडिशा से मंगवाया गया है. गर्भगृह की दीवारों पर लगाई गई 1008 प्रतिमाएं एक-दूसरे से भिन्न रहें, इसलिए योग आश्रम के प्रेरक महामंडलेश्वर स्वामी महेश्वरानंद ने यहीं बनवाई हैं.
भवन में 2000 स्तंभ : पूरा भवन 2000 स्तंभ पर टिका है. इनमें मंदिर के 151 पिलर के चारों तरफ देवी देवताओं की मूर्तियां बनाई गई हैं, जिसमें 24 अवतार, राम-कृष्ण लीला शामिल हैं. आठ दिशाओं के आधार पर मंदिर के आठ दरवाजे रखे गए हैं. मंदिर के सामने ही पांच फीट का विशालकाय नंदी भी स्थापित किया गया है. गुरु परमहंस स्वामी माधवानंद पुरी की स्मृति में ये आश्रम और मंदिर बनाया गया है. शिष्य की निष्ठा को सत्यापित करने वाले इस ओम आश्रम व शिवालय को गुरु की समाधि के ऊपर बनाया गया है. सबसे ऊपर ब्रह्मांड बनेगा जिसके दोनों तरफ मेडिटेशन हॉल बनाए गए हैं.
12 ज्योतिर्लिंग से मंगवाया जल : महामंडलेश्वर स्वामी फूलपुरी महाराज व स्वामी राजेंद्रपुरी महाराज ने बताया कि इस मंदिर का उद्घाटन 12 ज्योतिलिंग से लाए अभिषेक जल से ही किया जाएगा, ताकि इसमें लगे 12 ज्योतिर्लिंग के स्वरूप जीवंत हो सकें. प्रतिष्ठा के बाद मंदिर को श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया जाएगा. गर्भगृह में महादेव की भक्ति को सर्वोपरि बताने के लिए शिवलिंग के पीछे प्रतिमा भी लगाई गई है, जिसमें भगवान विष्णु देवाधिदेव महादेव को अपना नेत्र अर्पित कर रहे हैं.
यह हैं विशेषताएं :
- 2 हजार स्तंभों पर टिका भवन, चौथी मंजिल पर दिखेगा बह्मांड
- 30 सालों से निर्माण होने के बाद पूरा हुआ भवन
- 500 मजदूर लगे, इसमें विदेशी भी शामिल
- 250 एकड़ से अधिक जमीन पर मंदिर
- 5 किमी दूर से दिखती है
- 40 मीटर ऊंचाई
- परिसर में 108 कमरें
- शिव की गर्भ गृह में 1008 मूर्तियां
- 2000 से अधिक स्तंभ.