जयपुर. लोकसभा चुनाव से पहले नेताओं के पार्टी बदलने का सिलसिला जारी है. अब हाड़ौती के बेबाक नेता के रूप में अपनी पहचान रखने वाले प्रहलाद गुंजल ने भाजपा का साथ छोड़कर कांग्रेस का हाथ थाम लिया है. प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, एआईसीसी के सचिव धीरज गुर्जर ने गुंजल को पार्टी की सदस्यता दिलाई. इससे पहले कोटा से अपने समर्थकों को लेकर गुंजल वाहनों के काफिले के साथ जयपुर पहुंचे और प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय पहुंचकर कांग्रेस से हाथ मिलाया. गुंजल ने कोटा उत्तर विधानसभा सीट से इस बार भाजपा के टिकट पर कांग्रेस के शांति धारीवाल के खिलाफ चुनाव लड़ा था. हालांकि, वे करीब 2400 वोट से चुनाव हार गए थे. इससे पहले वे दो बार विधायक भी रह चुके हैं.
निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले परिहार-खान की घर वापसी : विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं मिलने पर बागी होकर निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले सुनील परिहार और फतेह खान की भी गुरुवार को कांग्रेस में वापसी हो गई. सुनील परिहार ने बाड़मेर की सिवाना सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ा था, जबकि फतेह खान ने जैसलमेर की शिव विधानसभा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ा था. सुनील परिहार पूर्व सीएम अशोक गहलोत के करीबी माने जाते हैं, जबकि फतेह खान बाड़मेर जिला कांग्रेस अध्यक्ष रहे हैं. इसके साथ ही नरेश मीणा की भी गुरुवार को घर वापसी हो गई. वो भी बागी होकर छबड़ा से निर्दलीय विधानसभा चुनाव लड़े थे. गोविंद सिंह डोटासरा ने इन तीनों का निष्कासन खत्म करने की घोषणा की और माला पहनाकर उनका पार्टी में स्वागत किया.
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एकजुटता दिखाने की कोशिश, धारीवाल नहीं आए : गुंजल को कांग्रेस की सदस्यता दिलवाते समय हिंडोली विधायक अशोक चांदना, बूंदी विधायक हरिमोहन शर्मा, पीपल्दा विधायक चेतन पटेल, मकराना विधायक जाकिर हुसैन गैसावत, किशनगढ़ विधायक विकास चौधरी, केशोरायपाटन विधायक सीएल प्रेमी मौजूद रहे. हालांकि, रामगंज मंडी से कांग्रेस प्रत्याशी रहे महेंद्र राजौरिया, महिला कांग्रेस की प्रदेशाध्यक्ष राखी गौतम भी मौजूद रही. वहीं, पूर्व मंत्री शांति धारीवाल इस कार्यक्रम में नहीं आए.
कांग्रेस का खाता सीज, रुपए निकाले : इस मौके पर पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि आज लोकतंत्र की धज्जियां उड़ रही हैं. जांच एजेंसियों का दुरुपयोग किया जा रहा है. सुप्रीम कोर्ट के दखल से इलेक्टोरल बॉन्ड से गड़बड़ी का खुलासा हुआ है. हमारे एआईसीसी के बैंक खाते को सीज कर लिया और उसमें से 115 करोड़ रुपए भी निकाल लिए. ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था. आज मीडिया दबाव में है. गुंजल जैसे लोग आएंगे तो सामने आएगा कि भाजपा में क्या हो रहा है. लोगों को वहां घुटन महसूस हो रही है. पहले विपक्षी नेताओं पर आरोप लगाए जाते हैं, लेकिन भाजपा जॉइन करते ही सारे आरोप साफ हो जाते हैं. भाजपा में ऐसी कौनसी वाशिंग मशीन लगाई हुई है.
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मैं सियासत में दरी बिछाने के लिए नहीं आया : कांग्रेस जॉइन करने के बाद गुंजल ने कहा कि आज भाजपा को छोड़कर कांग्रेस की सदस्यता ली है. विद्यार्थी जीवन से आज तक 40 साल आम आदमी के लिए संघर्ष किया. अब महसूस होने लगा है कि देश में भय का माहौल है. सत्ता की ताकत के बूते आम आदमी की आवाज को कुचलने की प्रवृत्ति चुनौती बन गई है. आज जोर-जुल्म राजनीति का चरित्र बन गया. खुद्दार लोग अस्तित्व बचाने के लिए एकजुट नहीं होंगे तो चेहरा मोहरा बिगड़ जाएगा. सत्ता के बूते खुद्दारी को खरीदने का प्रयास हो रहा है. भाजपा में सिद्धांत की राजनीति की बजाय प्रचार का ढकोसला है. कोटा की राजनीति में एक व्यक्ति के परिवार का कब्जा हो गया है. कार्यकर्ता खून के आंसू बहा रहे हैं. मैं एक नेता की दरीपट्टी बिछाने राजनीति में नहीं आया हूं. हाड़ौती में भाजपा में कोई नहीं बचा है. दो भाइयों की राजनीति चल रही है. कोई उनके पैर नहीं छुए तो कार्यकर्ता होने का प्रमाण पत्र नहीं मिलता है.
सीएम और प्रदेश अध्यक्ष से शीर्ष नेतृत्व तक साधा निशाना : कांग्रेस की सदस्यता लेने के बाद प्रहलाद गुंजल ने राज्य के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा,प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी से लेकर शीर्ष नेतृत्व तक पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि आज भाजपा की राजनीति में सदस्यता के नाते वे किसी से जूनियर नहीं हैं. वे जब राजस्थान की विधानसभा के सदस्य बन गए थे, तब आज के मुख्यमंत्री सरपंच की दौड़ में शामिल थे, जब वे विधायक बन बने तब भाजपा के मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष पंचायत समिति के सदस्य हुआ करते थे. वहीं, कोटा की राजनीति का चेहरा मोहरा एक व्यक्ति की गुलामी और उसकी दरी उठाने तक सीमित हो गया है. उन्होंने कहा कि पिछले चुनाव में भाजपा शीर्ष नेतृत्व ने उन्हें वहां भेजकर जिल्लत देने का प्रयास किया, तब भी उनके कार्यकर्ताओं ने खून के आंसू पिए थे.