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चंडीगढ़ में कर्मचारियों का हल्ला बोल, प्रशासन को दी आंदोलन की चेतावनी, जानें पूरा मामला - POWER EMPLOYEES PROTEST CHANDIGARH

Power Employees Protest In Chandigarh: चंडीगढ़ में बिजली विभाग के कर्मचारियों ने प्रदर्शन किया और प्रशासन को आंदोलन की चेतावनी दी.

Power Employees Protest In Chandigarh
Power Employees Protest In Chandigarh (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Nov 23, 2024, 12:35 PM IST

चंडीगढ़: शुक्रवार को चंडीगढ़ में कर्मचारियों ने जनसभा कर प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोला. चंडीगढ़ पावर डिपार्टमेंट को निजी हाथों में सौंपने के खिलाफ सेक्टर 17 में कर्मचारियों ने आक्रोश जनसभा का आयोजन किया. जनसभा में सर्वसम्मति से फैसला किया गया कि किसी कीमत पर चंडीगढ़ पावर डिपार्टमेंट का निजीकरण नहीं होने दिया जाएगा. कर्मचारियों ने प्रशासन को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर चंडीगढ़ पावर डिपार्टमेंट को निजी हाथों में सौंपने का प्रयास किया, तो बिजली और अन्य विभागों के कर्मचारी काम बहिष्कार कर उपभोक्ताओं को साथ सड़कों पर उतरने को मजबूर होंगे. जिसकी पूरी जिम्मेदारी प्रशासन की होगी.

चंडीगढ़ में कर्मचारियों का प्रदर्शन: जनसभा में फैसला किया गया कि 6 दिसंबर को देशभर में बिजली कर्मचारी निजीकरण के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करेंगे. जनसभा में कर्मचारियों ने ऐलान किया कि किसी भी कीमत पर मुनाफे में चल रहे विभाग को निजी हाथों में सौंपने नहीं दिया जाएगा. जन सभा में सांसद मनीष तिवारी भी पहुंचे और उन्होंने जनता एवं कर्मचारियों के विरोध के बावजूद निजीकरण के फैसले को जनविरोधी बताते हुए कहा कि आगामी शीतकालीन सत्र में वो इस मामले को संसद में जोरदार तरीके से उठाएंगे.

बिजली विभाग के निजीकरण का विरोध: जनसभा में पंजाब ,हरियाणा, हिमाचल, जम्मू-कश्मीर, यूपी व राजस्थान के बिजली कर्मचारियों एवं इंजीनियर भी शामिल हुए और चंडीगढ़ के बिजली कर्मचारियों के आंदोलन के साथ एकजुटता प्रकट की. नेशनल कमेटी के वरिष्ठ नेता शैलेंद्र दुबे के साथ यूटी पावर मैन यूनियन चंडीगढ़ के प्रधान ध्यान सिंह व महासचिव गोपाल दत्त जोशी समेत यूटी चंडीगढ़ एम्पलाइज एंड वर्कर ने इसमें भाग लिया और ऐलान किया की जिस दिन निजी कंपनी टेक ओवर करेगी, उसी दिन चंडीगढ़ के कर्मचारियों के साथ सभी राज्यों में बिजली कर्मचारी एवं इंजीनियर भी कार्य बहिष्कार कर सड़कों पर डटकर संघर्ष करेंगे.

प्रशासन को दी आंदोलन की चेतावनी: बता दें कि बिजली कर्मचारियों ने 22-23 फरवरी को 2022 को दो दिवसीय ऐतिहासिक हड़ताल की थी. नेशनल कोआर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी एम्पलाइज एंड इंजीनियर के वरिष्ठ नेता शैलेंद्र दुबे ने कहा कि चंडीगढ़ बिजली विभाग में 1780 पद स्वीकृत हैं. जिनके विरूद्ध 540 रेगुलर कर्मचारी काम कर रहे हैं और 1240 पद खाली पड़े हुए हैं. उन्होंने कहा कि इसके बावजूद वित्त वर्ष 2023-24 में करीब 158 करोड़ रुपये विभाग ने सरकार को मुनाफा और उपभोक्ताओं को देश से सबसे सस्ती एवं निर्बाध बिजली आपूर्ति की है. उन्होंने कहा कि चंडीगढ़ पावर डिपार्टमेंट के पास लगभग 25 हजार करोड़ से ज्यादा की परिस्थितियां हैं और निजी कंपनी को लगभग 871 करोड़ में सौंपी जा रही है.

दूसरे विभाग के कर्मचारियों का भी मिला सहयोग: उन्होंने कहा कि कोलकाता की जिस निजी कंपनी को चंडीगढ़ पावर डिपार्टमेंट सौंपा जा रहा है. उस कंपनी ने भाजपा को 100 करोड़ रुपये इलेक्टोरल बांड द्वारा चंदा दिया गया था. यहां एक बार पुनः चंदा दो, धंधा लो वाली बात प्रमाणित हो गई है. उन्होंने कहा कि चंडीगढ़ पावर डिपार्टमेंट का टेरिफ करीब 4 रुपये प्रति यूनिट है और निजी कंपनी का कोलकाता में टैरिफ करीब 8 रुपये है. निजी हाथों में सौंपे जाने के बाद दो गुणा बिजली के बिल आएंगे. जिससे उपभोक्ताओं को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा. इसलिए सभी जन प्रतिनिधियों को बिजली निजीकरण के खिलाफ आवाज बुलंद करनी चाहिए और इसके खिलाफ होने वाले आंदोलन में शामिल होना चाहिए.

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चंडीगढ़: शुक्रवार को चंडीगढ़ में कर्मचारियों ने जनसभा कर प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोला. चंडीगढ़ पावर डिपार्टमेंट को निजी हाथों में सौंपने के खिलाफ सेक्टर 17 में कर्मचारियों ने आक्रोश जनसभा का आयोजन किया. जनसभा में सर्वसम्मति से फैसला किया गया कि किसी कीमत पर चंडीगढ़ पावर डिपार्टमेंट का निजीकरण नहीं होने दिया जाएगा. कर्मचारियों ने प्रशासन को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर चंडीगढ़ पावर डिपार्टमेंट को निजी हाथों में सौंपने का प्रयास किया, तो बिजली और अन्य विभागों के कर्मचारी काम बहिष्कार कर उपभोक्ताओं को साथ सड़कों पर उतरने को मजबूर होंगे. जिसकी पूरी जिम्मेदारी प्रशासन की होगी.

चंडीगढ़ में कर्मचारियों का प्रदर्शन: जनसभा में फैसला किया गया कि 6 दिसंबर को देशभर में बिजली कर्मचारी निजीकरण के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करेंगे. जनसभा में कर्मचारियों ने ऐलान किया कि किसी भी कीमत पर मुनाफे में चल रहे विभाग को निजी हाथों में सौंपने नहीं दिया जाएगा. जन सभा में सांसद मनीष तिवारी भी पहुंचे और उन्होंने जनता एवं कर्मचारियों के विरोध के बावजूद निजीकरण के फैसले को जनविरोधी बताते हुए कहा कि आगामी शीतकालीन सत्र में वो इस मामले को संसद में जोरदार तरीके से उठाएंगे.

बिजली विभाग के निजीकरण का विरोध: जनसभा में पंजाब ,हरियाणा, हिमाचल, जम्मू-कश्मीर, यूपी व राजस्थान के बिजली कर्मचारियों एवं इंजीनियर भी शामिल हुए और चंडीगढ़ के बिजली कर्मचारियों के आंदोलन के साथ एकजुटता प्रकट की. नेशनल कमेटी के वरिष्ठ नेता शैलेंद्र दुबे के साथ यूटी पावर मैन यूनियन चंडीगढ़ के प्रधान ध्यान सिंह व महासचिव गोपाल दत्त जोशी समेत यूटी चंडीगढ़ एम्पलाइज एंड वर्कर ने इसमें भाग लिया और ऐलान किया की जिस दिन निजी कंपनी टेक ओवर करेगी, उसी दिन चंडीगढ़ के कर्मचारियों के साथ सभी राज्यों में बिजली कर्मचारी एवं इंजीनियर भी कार्य बहिष्कार कर सड़कों पर डटकर संघर्ष करेंगे.

प्रशासन को दी आंदोलन की चेतावनी: बता दें कि बिजली कर्मचारियों ने 22-23 फरवरी को 2022 को दो दिवसीय ऐतिहासिक हड़ताल की थी. नेशनल कोआर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी एम्पलाइज एंड इंजीनियर के वरिष्ठ नेता शैलेंद्र दुबे ने कहा कि चंडीगढ़ बिजली विभाग में 1780 पद स्वीकृत हैं. जिनके विरूद्ध 540 रेगुलर कर्मचारी काम कर रहे हैं और 1240 पद खाली पड़े हुए हैं. उन्होंने कहा कि इसके बावजूद वित्त वर्ष 2023-24 में करीब 158 करोड़ रुपये विभाग ने सरकार को मुनाफा और उपभोक्ताओं को देश से सबसे सस्ती एवं निर्बाध बिजली आपूर्ति की है. उन्होंने कहा कि चंडीगढ़ पावर डिपार्टमेंट के पास लगभग 25 हजार करोड़ से ज्यादा की परिस्थितियां हैं और निजी कंपनी को लगभग 871 करोड़ में सौंपी जा रही है.

दूसरे विभाग के कर्मचारियों का भी मिला सहयोग: उन्होंने कहा कि कोलकाता की जिस निजी कंपनी को चंडीगढ़ पावर डिपार्टमेंट सौंपा जा रहा है. उस कंपनी ने भाजपा को 100 करोड़ रुपये इलेक्टोरल बांड द्वारा चंदा दिया गया था. यहां एक बार पुनः चंदा दो, धंधा लो वाली बात प्रमाणित हो गई है. उन्होंने कहा कि चंडीगढ़ पावर डिपार्टमेंट का टेरिफ करीब 4 रुपये प्रति यूनिट है और निजी कंपनी का कोलकाता में टैरिफ करीब 8 रुपये है. निजी हाथों में सौंपे जाने के बाद दो गुणा बिजली के बिल आएंगे. जिससे उपभोक्ताओं को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा. इसलिए सभी जन प्रतिनिधियों को बिजली निजीकरण के खिलाफ आवाज बुलंद करनी चाहिए और इसके खिलाफ होने वाले आंदोलन में शामिल होना चाहिए.

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