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बदलते मौसम में मटर, लहसुन और बैंगन के पौधे में लग रहा रोग, कृषि विशेषज्ञ से जानें बचाव के तरीके - POWDERY MILDEW DISEASE IN PEAS

बदलते मौसम के बीच मटर, लहसुन और बैंगन का पौधा रोगी हो रहा है. आईए जानते हैं कैसे रोग से फसल का बचाव करना है?

peas Farming in Haryana
मटर में पाउडरी मिल्ड्यू रोग (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Jan 29, 2025, 1:37 PM IST

Updated : Jan 29, 2025, 1:47 PM IST

हिसार: सर्दी के मौसम में बढ़ते घटते ठंड और बदलते मौसम के कारण फसलों पर काफी प्रभाव पड़ता है. खासकर सब्जी की फसल पर इसका असर देखने को मिलता है. अक्सर ऐसा देखा जाता है कि मटर की फसल में पाउडरी मिल्ड्यू रोग हो जाता है. इसके अलावा लहसुन और बैंगन में भी रोग हो जाता है. ऐसे फसलों के लिए किसानों को किन दवाईयों का प्रयोग करके रोग से बचाया जा सकता है? जानने के लिए ईटीवी भारत ने कृषि वैज्ञानिकों से बातचीत की.

मटर के फसल को ऐसे बचाएं: चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्लाय के कुलपति बीआर कंबोज ने बताया कि अक्सर मटर की फसल में पाउडरी मिल्ड्यू का रोग हो जाता है. इसमें पत्तियों के दोनों ओर और फलियों के तने पर सफेद चकते दिखाई देते हैं. यह रोग आने पर 500 ग्राम घुलनशील सल्फर या 80 मिली कैराथोन चालीस 40 ईसी और 200 लीटर पानी में घोल बना कर प्रति एकड़ में छिड़काव करें. इसके साथ ही मटर की तैयार फलियों को नियमित रुप से तोड़ें और सिचाई करें. मटर के पत्तो में सुरंग बनाने वाले कीट और चेपा के आक्रमण से बचाने के लिए 400 मिलीलीटर में रोगोर, 30 ईसी को (200-520 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़कें.

लहसुन की फसल का ऐसे करें बचाव: चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्लाय के कुलपति बीआर कंबोज ने आगे लहसुन की फसल के बचाव की जानकारी दी. उन्होंने बताया, "लहसुन की फसल पर पर्पल बलोच बीमारी के लक्षण जैसे जामुनी या गहरे धब्बे पत्तियों पर दिखाई दे तो पांच ग्राम कॉपर आक्सीकलोराइड को 200 लीटर पानी में घोल कर प्रति एकड़ खेत पर दस से पंद्रह दिनों के अंतर पर छिड़काव करें. प्रयोग के साथ समय घोल में चिपचिपापन 10 ग्राम सेल्वेट–99 प्रति 100 लिटर घोल लाने वाला पदार्थ भी मिला लेना चाहिए. लहसुन में नियमित रूप से सिंचाई करें और खरपतवार निकाले. हानिकारक कीट और बीमारियों से फसल की रक्षा करें."

ऐसे करें बैंगन के फसल की रक्षा: सब्जी विभाग के अध्यक्ष डॉ सुरेश के अनुसार बैंगन की पिछली फसल यदि पहले से मर गई हो तो उसकी पाला प्रभावित टहानियों और पत्तों को काटकर फेंक दे. खेत में उचित खाद-पानी दें. ऐसा करने से टहनियों में नए कल्ले फूटने लगेंगे, जो बसंतकालीन अंग्रेजी फसल देंगे. इस फसल से अच्छी आमदनी मिल सकती है.

ये भी पढ़ें: चरखी दादरी में सिंचाई विभाग की लापरवाही से टूटी माइनर, पानी में डूब गई दर्जनों एकड़ फसल

हिसार: सर्दी के मौसम में बढ़ते घटते ठंड और बदलते मौसम के कारण फसलों पर काफी प्रभाव पड़ता है. खासकर सब्जी की फसल पर इसका असर देखने को मिलता है. अक्सर ऐसा देखा जाता है कि मटर की फसल में पाउडरी मिल्ड्यू रोग हो जाता है. इसके अलावा लहसुन और बैंगन में भी रोग हो जाता है. ऐसे फसलों के लिए किसानों को किन दवाईयों का प्रयोग करके रोग से बचाया जा सकता है? जानने के लिए ईटीवी भारत ने कृषि वैज्ञानिकों से बातचीत की.

मटर के फसल को ऐसे बचाएं: चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्लाय के कुलपति बीआर कंबोज ने बताया कि अक्सर मटर की फसल में पाउडरी मिल्ड्यू का रोग हो जाता है. इसमें पत्तियों के दोनों ओर और फलियों के तने पर सफेद चकते दिखाई देते हैं. यह रोग आने पर 500 ग्राम घुलनशील सल्फर या 80 मिली कैराथोन चालीस 40 ईसी और 200 लीटर पानी में घोल बना कर प्रति एकड़ में छिड़काव करें. इसके साथ ही मटर की तैयार फलियों को नियमित रुप से तोड़ें और सिचाई करें. मटर के पत्तो में सुरंग बनाने वाले कीट और चेपा के आक्रमण से बचाने के लिए 400 मिलीलीटर में रोगोर, 30 ईसी को (200-520 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़कें.

लहसुन की फसल का ऐसे करें बचाव: चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्लाय के कुलपति बीआर कंबोज ने आगे लहसुन की फसल के बचाव की जानकारी दी. उन्होंने बताया, "लहसुन की फसल पर पर्पल बलोच बीमारी के लक्षण जैसे जामुनी या गहरे धब्बे पत्तियों पर दिखाई दे तो पांच ग्राम कॉपर आक्सीकलोराइड को 200 लीटर पानी में घोल कर प्रति एकड़ खेत पर दस से पंद्रह दिनों के अंतर पर छिड़काव करें. प्रयोग के साथ समय घोल में चिपचिपापन 10 ग्राम सेल्वेट–99 प्रति 100 लिटर घोल लाने वाला पदार्थ भी मिला लेना चाहिए. लहसुन में नियमित रूप से सिंचाई करें और खरपतवार निकाले. हानिकारक कीट और बीमारियों से फसल की रक्षा करें."

ऐसे करें बैंगन के फसल की रक्षा: सब्जी विभाग के अध्यक्ष डॉ सुरेश के अनुसार बैंगन की पिछली फसल यदि पहले से मर गई हो तो उसकी पाला प्रभावित टहानियों और पत्तों को काटकर फेंक दे. खेत में उचित खाद-पानी दें. ऐसा करने से टहनियों में नए कल्ले फूटने लगेंगे, जो बसंतकालीन अंग्रेजी फसल देंगे. इस फसल से अच्छी आमदनी मिल सकती है.

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Last Updated : Jan 29, 2025, 1:47 PM IST
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