कानपुर : 'तालाब कहीं भी हो उन्हें संरक्षित करने की जिम्मेदारी समाज के सभी लोगों की है. जो लोग घरों से इन्हें संरक्षित करने, साफ-सफाई करने का काम कर सकते हैं, वह घर से करें. जो अपनी फैक्ट्री या आफिस से संरक्षण का काम देख सकते हैं, वह अपना योगदान वहां से दें. इसके साथ ही सरकार को सभी तालाबों को लेकर आय का स्रोत बनाने की दिशा में किसी न किसी का जिम्मा भी तय करना होगा. इससे तालाब संरक्षित होगा'. यह कहना है, गौतमबुद्ध नगर निवासी रामवीर तंवर का. उन्हें अब देश में पोंडमैन ऑफ इंडिया के नाम से भी जाना जाता है. तालाबों की स्थितियां, उनके संरक्षण, तालाबों के निर्माण समेत कई अन्य मुद्दों पर ईटीवी भारत से उन्होंने खास बातचीत की.
आदर्श तालाब बनाने के लिए बहुत अधिक मेहनत करनी होगी : रामवीर तंवर ने बताया कि उप्र समेत अन्य राज्यों के कई जिलों में तालाबों को संरक्षित करने का काम जरूर चल रहा है. मगर, वैसे परिणाम सामने नहीं आ रहे जैसे की उम्मीदें हैं, ऐसे में अगर आप आदर्श तालाब की परिकल्पना कर रहे हैं, या बनाना चाह रहे हैं तो आपको सबसे पहले तालाबों की खोदाई करानी होगी. तालाबों के आसपास हरियाली विकसित करनी होगी. जीव-जंतुओं के लिए आईलैंड बना सकते हैं. तालाबों के अंदर जब काई जमती है तो उससे पानी ठहरता है. पंप लगाना होगा, समय-समय पर तालाबों की सफाई भी जरूरी होगी. हमारे गांवों में जब तालाब होते थे, तब वहां इन्हें पानी का एक बेहतर स्रोत माना जाता था. कई ऐसे तालाब हैं, जिनमें मछली पालन का काम किया जाता है. कानपुर के शेरशाह सूरी तालाब, कछुआ तालाब समेत अन्य तालाबों का भी उन्होंने जिक्र किया.
सरकार 7-8 माह का दें समय, तब धरा पर दिखेंगे तालाब : सरकारें तालाबों को लेकर जो काम कर रही हैं, उन्हें लेकर रामवीर का मानना है कि उस कवायद में बहुत अधिक सुधार की जरूरत है. कहा कि सभी राज्यों में सरकारों को तालाबों को बेहतर ढंग से संरक्षित करने के लिए 7-8 माह का समय देना होगा. एक अप्रैल से प्लानिंग करने के बजाय सरकारों को जनवरी से ही तालाबों के संरक्षण का काम शुरू कर देना चाहिए. इससे मानसूनी सीजन में तालाबों में बारिश का पानी भी एकत्र हो सके. रामवीर तंवर ने रविवार को छत्रपति शाहू जी महाराज विवि (सीएसजेएमयू) में बने तालाब को भी देखा. इस दौरान वीसी प्रो.विनय पाठक, शुभांग गर्ग व अमित झा उनके साथ मौजूद रहे.
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