रायपुर: साय सरकार ने एक बार फिर चरण पादुका योजना शुरू किए जाने का ऐलान किया है. इसकी घोषणा मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने की है. योजना के शुरु किए जाने पर कांग्रेस ने चुटकी लेते हुए कहा कि ''सरकार ध्यान रखें की लोगों को एक पैर में पांच नंबर और दूसरे पैर में सात नंबर की पादुका ना दी जाए''. कांग्रेस ने कहा कि ''योजना में भ्रष्टाचार नहीं किया जाए इस बात का भी सरकार ध्यान रखे''. कांग्रेस के आरोपों पर बीजेपी ने पलटवार किया है. बीजेपी ने कहा कि ''जो घोटालों में पांच साल घिरे रहे कम से कम वो हमें नसीहत नहीं दें.''
चरण पादुका योजना पर सियासत शुरु: योजना शुरु किए जाने के ऐलान पर खुद पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने तंज कसा. बघेल ने कहा कि एक आदमी को एक पैर में पांच नंबर का जूता और दूसरे में सात नंबर का जूता ये लोग न दे दें. भूपेश बघेल के वार पर बीजेपी ने भी तत्काल पलटवार किया. बीजेपी की ओर से अमित चिमनानी ने मोर्चा संभालते हुए कांग्रेस को उनके भ्रष्टाचार गिनाए. चिमनानी ने कहा कि ''पूर्व सीएम को ये याद रखना चाहिए कि उनके निज सचिव सहित कई अधिकारी आज भी जेल में हैं.''
''चरण पादुका योजना शुरु कर रहे हैं करें. पर हम सरकार से ये कहना चाहते हैं कि वो एक पैर में पांच नंबर और दूसरे पैर में सात नंबर की पादुका बांटते हैं. बहुत सारे भ्रष्टाचार होते हैं जो ठीक नहीं है. पूरा परिवार तेंदूपत्ता तोड़ने जाता है पर ये परिवार के एक लोग को ही पादुका देंगे''. - भूपेश बघेल, पूर्व सीएम
''भूपेश बघेल कहते हैं कि भ्रष्टाचार नहीं होना चाहिए तो लोग हंसते हैं. जिनके नेतृत्व में सरकार ने भ्रष्टाचार के सारे कीर्तिमान तोड़ दिए. उनकी खुद की उप सचिव डेढ़ साल से ज्यादा समय से जेल में बंद हैं. कई अधिकारी जेल में बंद हैं. उनके निजी सहयोगी वो भी जेल में बंद हैं. जांच में ये बात सामने आई है. पूर्व मुख्यमंत्री जिनके नेतृत्व में छत्तीसगढ़ की गरीब जनता का पैसा लूट गया वह भ्रष्टाचार पर सीख ना दें, उन्होंने जो भ्रष्टाचार किया है उसके बारे में बताएं''. - अमित चिमनानी, मीडिया प्रमुख, भाजपा
क्या है चरण पादुका योजना: रमन सरकार में साल 2005 में चरण पादुका योजना शुरू की गई. 2018 में भूपेश सरकार आने के बाद इसे बंद कर दिया गया. तब से लेकर अब तक यह योजना बंद रही. एक बार फिर भाजपा ने चरण पादुका योजना को दोबारा शुरू किए जाने का ऐलान किया है. योजना के तहत परिवार के सिर्फ एक पुरुष सदस्य को साल में एक बार एक जोड़ी जूते दिए जाते थे. साल 2008 में इस योजना के दायरे में महिलाओं को भी लाया गया और साल 2008-09 और 2009-10 के दौरान इस योजना के तहत सिर्फ महिलाओं को राज्य सरकार की ओर से जूते दिए गए. महिलाओं के अनुरोध पर साल 2013 में जूते की जगह चप्पल दिए गए.