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धर्मांतरण पर सियासी पारा हाई, हिंदू संगठनों के घर वापसी अभियान पर सवाल, ईसाई फोरम ने दी खुली चुनौती - POLITICS OVER CONVERSION

छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण के खिलाफ हिंदू संगठन घर वापसी अभियान चला रहे हैं,जिसे कांग्रेस और ईसाई फोरम ने आडंबर बताया है.

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हिंदू संगठनों के घर वापसी अभियान पर सवाल (ETV BHARAT CHHATTISGARH)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jan 6, 2025, 5:03 PM IST

Updated : Jan 7, 2025, 11:33 AM IST

रायपुर : छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण का मुद्दा इन दिनों गर्माया हुआ है.इसे रोकने के लिए प्रदेश में तेजी से घर वापसी का अभियान चलाया जा रहा है. जिसके तहत अलग-अलग जिलों में काफी संख्या में लोगों को वापस हिंदू धर्म में लाया जा रहा है. हिंदू संगठन धर्मांतरित लोगों के पैर धोकर हिंदू धर्म में वापसी करा रहे हैं.दावा किया जा रहा है कि यह वे लोग हैं, जो हिंदू थे और इन्होंने धर्म बदलकर ईसाई या फिर अन्य धर्म को अपना लिया था. इस अभियान का नेतृत्व अखिल भारतीय घर वापसी के प्रमुख प्रबल प्रताप सिंह जूदेव कर रहे हैं. लेकिन दूसरी तरफ धर्मांतरण को लेकर आदिवासी समाज का कहना है कि वे किसी भी धर्म को नहीं मानते, आदिवासी समाज का अपना अलग धर्म है.

धर्मांतरण पर राजनीति : अब इस मामले को लेकर प्रदेश में राजनीति तेज हो गई है. पक्ष और विपक्ष एक दूसरे पर धर्मांतरण में शामिल होने का आरोप लगा रहे हैं. विपक्ष का कहना है कि भाजपा सरकार में सबसे ज्यादा धर्मांतरण हुए हैं. घर वापसी करने वालों को किस वर्ण में शामिल किया जाएगा, यह स्पष्ट करें. इस बीच सरकार ने भी धर्मांतरण को लेकर कानून बनाए जाने के संकेत दिए हैं. हालांकि ईसाई समाज का कहना है कि प्रदेश में कही भी धर्मांतरण नहीं हो रहे हैं. यहां तक की ईसाई समाज ने घर वापसी अभियान का नेतृत्व करने वालों को चर्च में आने की भी चुनौती दी है. उन्होंने कहा है कि वे यहां भी अपना भाषण दे,इसके बाद जो जाना चाहते हैं उन्हें ले जाएं.

छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण (ETV BHARAT CHHATTISGARH)


हिंदू संगठनों का घर वापसी अभियान : छत्तीसगढ़ में अखिल भारतीय घर वापसी के प्रमुख प्रबल प्रताप सिंह जूदेव के नेतृत्व में तेजी से घर वापसी अभियान चलाया जा रहा है.हाल ही में सक्ती जिले में भी लगभग 700 से ज्यादा लोगों की घर वापसी किए जाने का दावा किया गया है. ये वे लोग थे जो हिंदू धर्म से धर्म परिवर्तन कर ईसाई या फिर अन्य समुदाय में चले गए थे. इसके पहले भी कई जिलों में घर वापसी अभियान के तहत सैकड़ों लोगों को वापस लाने का दावा किया जा रहा है. इस अभियान का नेतृत्व अखिल भारतीय घर वापसी के प्रमुख प्रबल प्रताप सिंह जूदेव कर रहे हैं. उनके द्वारा घर वापसी अभियान के तहत जशपुर से लेकर रायपुर तक पदयात्रा का भी ऐलान किया गया है.

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हिंदू संगठनों के घर वापसी अभियान पर सवाल (ETV BHARAT CHHATTISGARH)

डीलिस्टिंग होना बहुत जरूरी है. वनवासी समाज जो कन्वर्ट हो गया है, उसका आरक्षण बंद होना चाहिए. इसके लिए वे जशपुर से लेकर रायपुर तक पदयात्रा भी करेंगे. मिशनरीज धर्म परिवर्तन के लिए प्रोजेक्ट चला रहे हैं. गरीब लोग मतांतरित होकर अपने मूल संस्कृति को छोड़ रहे हैं. उन्हें असभ्य और सनातन धर्म विरोधी बनाया जा रहा है, जो समाज और देश के लिए खतरनाक है.आज जनजातीय समाज की पहचान पर भी संकट आ गया है. प्रबल प्रताप सिंह जूदेव, प्रमुख, अखिल भारतीय घर वापसी अभियान, छत्तीसगढ़

आदिवासियों की किसी विशेष धर्म में आस्था नहीं : वहीं धर्मांतरण के मुद्दे को लेकर सर्व आदिवासी समाज के प्रदेश अध्यक्ष बीएस रावटे का कहना है कि आदिवासियों का किसी विशेष धर्म पर आस्था नहीं है. उनका खुद का धर्म और परंपरा है. उसके हिसाब से ही वे चलते हैं. लेकिन आजकल पूरे भारत में भारतीय संविधान के अनुसार सभी को अपने आस्था के अनुसार धर्म को मनाने की छूट है. विशेष रूप से आदिवासियों को भी मिला हुआ है. जिसे जो धर्म अच्छा लगता है वह उसे मानने लगता है. इससे कोई बैर नहीं है. लेकिन आदिवासियों के हो रहे धर्मांतरण को रोकने के लिए हम लोग लगातार प्रयास कर रहे हैं-

हम इन आदिवासियों को वापस अपने घर मिलने का प्रयास कर रहे हैं. लेकिन जो चार वर्ण व्यवस्था बनाई गई है, उसकी वजह से यह प्रताड़ित हो रहे हैं .प्रताड़ित होने के कारण वह इधर-उधर झांकने की कोशिश कर रहे हैं. उसके लिए समाज लगातार प्रयास कर रहा है. वह कम से कम अपनी आदिवासी परंपराओं पर कायम रहे- बीएस रावटे, प्रदेश अध्यक्ष ,सर्व आदिवासी समाज , छत्तीसगढ़

घर वापसी अभियान पर सवाल : घर वापसी अभियान को लेकर बीएस रावटे ने कहा कि अपनी ओर से यह लोग प्रयास कर रहे हैं, घर वापसी होता है तो क्या वापस आने वाले आदिवासियों को वे लोग ठाकुर, ब्राह्मण, वैश्य बना देते हैं क्या. नहीं बनाते, वह आदिवासी ही रहते हैं तो वह घर वापसी कैसे हुआ. वे आदिवासी के आदिवासी ही रहेंगे. कुल मिलाकर यह आधुनिक रूप में लोगों की भावनाओं से खेला जा रहा है.इसके कोई मायने नही हैं.

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हिंदू संगठनों के घर वापसी अभियान पर सवाल (ETV BHARAT CHHATTISGARH)

वहीं घर वापसी अभियान को लेकर छत्तीसगढ़ ईसाई फोरम के अध्यक्ष अरुण पन्नालाल ने जुदेव को खुली चुनौती दी है. पन्नालाल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश पारित किया है ,जिसमें बताया गया है कि सिर्फ खाली बोलने या पैर धोने होने से घर वापसी नहीं होती है. घर वापसी के लिए हिंदू रीति रिवाज का भी अनुपालन करना होता है. यदि ऐसा वे नहीं करेंगे , तो सुप्रीम कोर्ट की अवमानना हो जाएगी. इसे लेकर छत्तीसगढ़ फोरम अवमानना का केस सुप्रीम कोर्ट में लगाएगा. इतना ही नही अरुण लाल पन्नालाल ने जूदेव को चर्च में आने का न्योता भी दिया, और कहा कि वहां जाकर भाषण दीजिए , जितनो कि घर वापसी करना है उन्हें साथ लेकर चले जाइए.

धर्मांतरण पर दर्ज FIR को लेकर क्या रणनीति : धर्मांतरण को लेकर एफआईआर पर अरुण पन्नालाल ने कहा कि हमारे पास इस तरह की जो भी जानकारी आती है उसे हम कानून तौर पर लड़ते हैं. कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट जाते हैं. अभी तक हमारी जानकारी के अनुसार कोई भी धर्मांतरण को लेकर एफआईआर नहीं हुआ है. और जो धर्मांतरण को लेकर एफआईआर किया भी गया है, बाद में उन धाराओं को हटाना पड़ा है. रायगढ़ में दर्ज धर्मांतरण के चार मामलों पर अरुण पन्नालाल का कहना है कि उस समय जितने मामले दर्ज हुए थे, उसमें सिर्फ मारपीट सामाजिक सौहार्द बिगड़ने के दर्ज हुए हैं. धर्मांतरण के जो केस दर्ज किए गए थे.उन पर केस चल रहा है और बहुत जल्दी वो समाप्त हो जाएगा

धर्मांतरण को लेकर सरकार के बयान पर कांग्रेस का पलटवार : जगदलपुर में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा था कि बस्तर जैसे क्षेत्र के लिए धर्मांतरण एक बड़ी समस्या हो गई है, इस वजह से शव दफन को लेकर लगातार दो समुदाय के बीच विवाद की स्थिति बढ़ रही है, सीएम ने कहा था कि धर्मांतरण रुकेगा तभी बस्तर में स्थिति सामान्य होगी और इसके लिए सरकार प्रयास कर रही है. वहीं मुख्यमंत्री के इस बयान पर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज ने पलटवार किया था. बैज ने कहा कि शव दफन जैसे मामले में भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता और नेता बस्तर में लगातार विवाद करवाकर माहौल खराब कर रहे हैं. इस पर शासन प्रशासन भी बीच का रास्ता निकालने में पूरी तरह से विफल साबित हो रही है. धर्मान्तरण रुके इसके लिए सरकार को किसी ने नहीं रोका है. बस्तर में धर्मांतरण रोकने के लिए सरकार को इसे गंभीरता से लेना चाहिए.


पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने भी सरकार को घेरा : वहीं पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी धर्मांतरण के मुद्दे को लेकर राज्य की सरकार पर जोरदार हमला बोला है. भूपेश बघेल ने कहा कि इस सरकार में धर्मांतरण बहुत ज्यादा हो रहा है, सभी जिलों में धर्मांतरण हो रहा है. मैंने विधानसभा में एक प्रश्न पूछा था कि प्रदेश में कितने रोहिंग्या है, क्या उन्हें आईडेंटिफाई किया गया है ,अब सरकार जागी है ,पता लगाने में. लेकिन सरकार अब तक जानकारी एकत्रित नहीं कर सकी है. यह राजनीतिक मुद्दा है, जब छत्तीसगढ़ में चुनाव आता है, तब रोहिंग्या आता है ,झारखंड में जब चुनाव होगा तो रोहिंग्या का मामला आएगा, अब दिल्ली में चुनाव है वहां भी रोहिंग्या आएगा.यह सरकार की स्थिति है. वहीं घर वापसी अभियान को लेकर भूपेश बघेल ने कहा कि यह दिखावा है, इसके अलावा कुछ नहीं है. क्या इसका कोई रजिस्टर मेंटेन है. कितने लोग की घर वापसी की गई है.और घर वापसी के बाद उन्हें किस समाज और किस जाति में मिलाया गया.

धर्मांतरण को लेकर क्या है कानून : वही कानून के जानकार और हाईकोर्ट के सीनियर एडवोकेट दिवाकर सिन्हा का कहना है कि धर्मांतरण को लेकर जो मूल कानून बनाया गया था. वो 2021 के पहले का बनाया हुआ है. धर्मांतरण समाज का एक हिस्सा भी हो गया है. इस मामले को लेकर फिर राजनीति शुरू हो गई और हर राज्य सरकार अपने अनुसार कानून बनाने लगी है.इसमें साल 2022 के बाद काफी चेंज देखने को मिले . जितने भाजपा शासित प्रदेश थे वहां पर कानून अच्छा बना. लेकिन जो गैर भाजपा शासित राज्य थे , वहां पर कानून थोड़ा ढीला बनाया गया. उसके कारण चाहे जो भी रहा हो. इस कानून के तहत पहले काफी नॉमिनल प्रावधान किए गए थे. 500 से 1000 रुपए तक का फाइन था. 6 महीने से 1 साल तक की सजा का प्रावधान था. इसका फायदा धार्मिक और सामाजिक संस्थाएं उठती थी और धर्मांतरण करा देते थे. इस बीच हुए सर्वे के दौरान यह बात देखने को मिले कि छत्तीसगढ़ में भी काफी संख्या में धर्मांतरण हुए हैं.

धर्मांतरण दो तरीके से होता है, पहला जो खुद से धर्मांतरित होना चाहते हैं , उसके लिए धारा 25 के तहत संविधान में प्रावधान है. आप डीएम को पत्र लिखेंगे कि आप अपनी इच्छा से धर्मांतरण करना चाहता है.आप किस धर्म में जाना चाह रहे हैं. वो सारी जानकारी डीएम के समक्ष प्रस्तुत करेगा. 7 दिन का समय दिया गया है. 7 दिन में डीएम उसकी जांच करेगे,कहीं जोर जबरदस्ती या प्रलोभन देकर तो धर्मांतरण नहीं कराया जा रहा है.इसके बाद संबंधित व्यक्ति धर्म बदल सकता है. वहीं दूसरी कैटेगरी होती है सामूहिक धर्मांतरण. यह धर्मांतरण संस्थाओं के द्वारा किया जाता है. उस पर रोक लगाने की आवश्यकता है- दिवाकर सिन्हा, सीनियर एडवोकेट, हाईकोर्ट, बिलासपुर

छत्तीसगढ़ में कैसा हो सकता है कानून : दिवाकर सिन्हा की माने तो आज की स्थिति में छत्तीसगढ़ में शासन ने जब सर्वे किया, तो उन्होंने देखा कि छत्तीसगढ़ में भी बहुत ज्यादा धर्मांतरण बढ़ गया है. उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा धर्मांतरण होते हैं और वहां का कानून भी इसलिए कड़क बनाया गया है. अब जो छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण को लेकर कानून बनाया जा रहा है , उसमें यूपी के कानून का कुछ हिस्सा को शामिल किया जा रहा है. कानून अभी बनने की प्रक्रिया में है. संभावना है कि जल्द ही इसे लागू कर दिया जाएगा. इसका कानून के तहत यदि जोर जबरदस्ती से धर्मांतरण कराया जाता है, जुर्माने की राशि 10 लाख तक कर दी गई है. 14 साल तक की सजा का प्रावधान हो सकता है. कुछ मामलों में यदि डरा धमका और प्रताड़ित करके धर्मांतरण किया जाता है, तो उसमें आजीवन सजा तक का प्रावधान भी हो सकता है.


बीजेपी शासन काल में धर्मांतरण के कितने मामले : सूत्रों की माने तो बीजेपी सरकार के 11 महीने के कार्यकाल में ही लगभग 13 एफआईआर इन मामले में दर्ज की गई है. जिसमें से चार मामले अकेले नवम्बर महीने के हैं. उत्तर छत्तीसगढ़ के सरगुजा, सूरजपुर और बलरामपुर जिले में धर्मांतरण का खुलकर विरोध हो रहा है. धर्मांतरण के लिए प्रलोभन के आरोप पर बलरामपुर जिले में चार अपराधिक प्रकरण दर्ज किए गए हैं. इनमें से तीन प्रकरण राजपुर थाना और एक प्रकरण बसंतपुर थाना से जुड़ा हुआ है.

सरगुजा जिले के उदयपुर थाना क्षेत्र के केदमा इलाके में चंगाई सभा की आड़ में धर्मांतरण के लिए प्रलोभन के आरोपों पर प्रशासनिक हस्तक्षेप से आयोजन बंद कराया जा चुका है.

अंबिकापुर शहर में राष्ट्रीय क्रिश्चियन मोर्चा का कार्यक्रम भारी विरोध के कारण नहीं हो सका.भिलाई के पुलगांव इलाके में सास-बहू के बीच धर्मांतरण को लेकर लड़ाई दिखी.बहू गीता यादव ने सास के मना करने के बावजूद घर पर प्रार्थना सभा आयोजित की तो पुलिस ने पादरी डीके देशमुख समेत 10 लोगों को गिरफ़्तार किया था.

जनवरी 2024 से नवम्बर 2024 तक बस्तर संभाग के कांकेर को छोड़कर के छह जिलों बस्तर, सुकमा, दंतेवाड़ा, नारायणपुर, कोंडागांव में पुलिस के पास 23 शिकायतें प्राप्त हुई हैं. हालांकि किसी पर एफआईआर नहीं किया गया. वहीं पूर्ववर्ती कांग्रेस की भूपेश सरकार के पांच साल के कार्यकाल में महज 10 मामलों पर एफआईआर हुई थी.


छत्तीसगढ़ में कितनी है ईसाई आबादी : जानकारी के मुताबिक राज्य की करीब 32 प्रतिशत आबादी आदिवासी है. इनमें सरगुजा, बस्तर के ग्रामीण इलाकों में रहने वाले आदिवासियों के लिए धर्मांतरण बहुत बड़ा मुद्दा है. 2011 की जनगणना के अनुसार छत्तीसगढ़ की कुल आबादी 2.55 करोड़ है. जिनमें ईसाइयों की संख्या 4.90 लाख है. यानी ईसाई कुल आबादी के 1.92 फ़ीसदी हैं.राज्य में रोमन कैथोलिक वर्ग की जनसंख्या 2.25 लाख और मेनलाइन चर्च, जिसमें चर्च ऑफ़ नार्थ इंडिया, मेनोनाइट्स, ईएलसी, लुथरन आदि शामिल हैं, इनकी जनसंख्या 1.5 लाख है.

सीएम विष्णुदेव साय का जांजगीर चांपा दौरा, करोड़ों के विकासकार्यों का लोकार्पण और भूमिपूजन

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रायपुर : छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण का मुद्दा इन दिनों गर्माया हुआ है.इसे रोकने के लिए प्रदेश में तेजी से घर वापसी का अभियान चलाया जा रहा है. जिसके तहत अलग-अलग जिलों में काफी संख्या में लोगों को वापस हिंदू धर्म में लाया जा रहा है. हिंदू संगठन धर्मांतरित लोगों के पैर धोकर हिंदू धर्म में वापसी करा रहे हैं.दावा किया जा रहा है कि यह वे लोग हैं, जो हिंदू थे और इन्होंने धर्म बदलकर ईसाई या फिर अन्य धर्म को अपना लिया था. इस अभियान का नेतृत्व अखिल भारतीय घर वापसी के प्रमुख प्रबल प्रताप सिंह जूदेव कर रहे हैं. लेकिन दूसरी तरफ धर्मांतरण को लेकर आदिवासी समाज का कहना है कि वे किसी भी धर्म को नहीं मानते, आदिवासी समाज का अपना अलग धर्म है.

धर्मांतरण पर राजनीति : अब इस मामले को लेकर प्रदेश में राजनीति तेज हो गई है. पक्ष और विपक्ष एक दूसरे पर धर्मांतरण में शामिल होने का आरोप लगा रहे हैं. विपक्ष का कहना है कि भाजपा सरकार में सबसे ज्यादा धर्मांतरण हुए हैं. घर वापसी करने वालों को किस वर्ण में शामिल किया जाएगा, यह स्पष्ट करें. इस बीच सरकार ने भी धर्मांतरण को लेकर कानून बनाए जाने के संकेत दिए हैं. हालांकि ईसाई समाज का कहना है कि प्रदेश में कही भी धर्मांतरण नहीं हो रहे हैं. यहां तक की ईसाई समाज ने घर वापसी अभियान का नेतृत्व करने वालों को चर्च में आने की भी चुनौती दी है. उन्होंने कहा है कि वे यहां भी अपना भाषण दे,इसके बाद जो जाना चाहते हैं उन्हें ले जाएं.

छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण (ETV BHARAT CHHATTISGARH)


हिंदू संगठनों का घर वापसी अभियान : छत्तीसगढ़ में अखिल भारतीय घर वापसी के प्रमुख प्रबल प्रताप सिंह जूदेव के नेतृत्व में तेजी से घर वापसी अभियान चलाया जा रहा है.हाल ही में सक्ती जिले में भी लगभग 700 से ज्यादा लोगों की घर वापसी किए जाने का दावा किया गया है. ये वे लोग थे जो हिंदू धर्म से धर्म परिवर्तन कर ईसाई या फिर अन्य समुदाय में चले गए थे. इसके पहले भी कई जिलों में घर वापसी अभियान के तहत सैकड़ों लोगों को वापस लाने का दावा किया जा रहा है. इस अभियान का नेतृत्व अखिल भारतीय घर वापसी के प्रमुख प्रबल प्रताप सिंह जूदेव कर रहे हैं. उनके द्वारा घर वापसी अभियान के तहत जशपुर से लेकर रायपुर तक पदयात्रा का भी ऐलान किया गया है.

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हिंदू संगठनों के घर वापसी अभियान पर सवाल (ETV BHARAT CHHATTISGARH)

डीलिस्टिंग होना बहुत जरूरी है. वनवासी समाज जो कन्वर्ट हो गया है, उसका आरक्षण बंद होना चाहिए. इसके लिए वे जशपुर से लेकर रायपुर तक पदयात्रा भी करेंगे. मिशनरीज धर्म परिवर्तन के लिए प्रोजेक्ट चला रहे हैं. गरीब लोग मतांतरित होकर अपने मूल संस्कृति को छोड़ रहे हैं. उन्हें असभ्य और सनातन धर्म विरोधी बनाया जा रहा है, जो समाज और देश के लिए खतरनाक है.आज जनजातीय समाज की पहचान पर भी संकट आ गया है. प्रबल प्रताप सिंह जूदेव, प्रमुख, अखिल भारतीय घर वापसी अभियान, छत्तीसगढ़

आदिवासियों की किसी विशेष धर्म में आस्था नहीं : वहीं धर्मांतरण के मुद्दे को लेकर सर्व आदिवासी समाज के प्रदेश अध्यक्ष बीएस रावटे का कहना है कि आदिवासियों का किसी विशेष धर्म पर आस्था नहीं है. उनका खुद का धर्म और परंपरा है. उसके हिसाब से ही वे चलते हैं. लेकिन आजकल पूरे भारत में भारतीय संविधान के अनुसार सभी को अपने आस्था के अनुसार धर्म को मनाने की छूट है. विशेष रूप से आदिवासियों को भी मिला हुआ है. जिसे जो धर्म अच्छा लगता है वह उसे मानने लगता है. इससे कोई बैर नहीं है. लेकिन आदिवासियों के हो रहे धर्मांतरण को रोकने के लिए हम लोग लगातार प्रयास कर रहे हैं-

हम इन आदिवासियों को वापस अपने घर मिलने का प्रयास कर रहे हैं. लेकिन जो चार वर्ण व्यवस्था बनाई गई है, उसकी वजह से यह प्रताड़ित हो रहे हैं .प्रताड़ित होने के कारण वह इधर-उधर झांकने की कोशिश कर रहे हैं. उसके लिए समाज लगातार प्रयास कर रहा है. वह कम से कम अपनी आदिवासी परंपराओं पर कायम रहे- बीएस रावटे, प्रदेश अध्यक्ष ,सर्व आदिवासी समाज , छत्तीसगढ़

घर वापसी अभियान पर सवाल : घर वापसी अभियान को लेकर बीएस रावटे ने कहा कि अपनी ओर से यह लोग प्रयास कर रहे हैं, घर वापसी होता है तो क्या वापस आने वाले आदिवासियों को वे लोग ठाकुर, ब्राह्मण, वैश्य बना देते हैं क्या. नहीं बनाते, वह आदिवासी ही रहते हैं तो वह घर वापसी कैसे हुआ. वे आदिवासी के आदिवासी ही रहेंगे. कुल मिलाकर यह आधुनिक रूप में लोगों की भावनाओं से खेला जा रहा है.इसके कोई मायने नही हैं.

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हिंदू संगठनों के घर वापसी अभियान पर सवाल (ETV BHARAT CHHATTISGARH)

वहीं घर वापसी अभियान को लेकर छत्तीसगढ़ ईसाई फोरम के अध्यक्ष अरुण पन्नालाल ने जुदेव को खुली चुनौती दी है. पन्नालाल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश पारित किया है ,जिसमें बताया गया है कि सिर्फ खाली बोलने या पैर धोने होने से घर वापसी नहीं होती है. घर वापसी के लिए हिंदू रीति रिवाज का भी अनुपालन करना होता है. यदि ऐसा वे नहीं करेंगे , तो सुप्रीम कोर्ट की अवमानना हो जाएगी. इसे लेकर छत्तीसगढ़ फोरम अवमानना का केस सुप्रीम कोर्ट में लगाएगा. इतना ही नही अरुण लाल पन्नालाल ने जूदेव को चर्च में आने का न्योता भी दिया, और कहा कि वहां जाकर भाषण दीजिए , जितनो कि घर वापसी करना है उन्हें साथ लेकर चले जाइए.

धर्मांतरण पर दर्ज FIR को लेकर क्या रणनीति : धर्मांतरण को लेकर एफआईआर पर अरुण पन्नालाल ने कहा कि हमारे पास इस तरह की जो भी जानकारी आती है उसे हम कानून तौर पर लड़ते हैं. कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट जाते हैं. अभी तक हमारी जानकारी के अनुसार कोई भी धर्मांतरण को लेकर एफआईआर नहीं हुआ है. और जो धर्मांतरण को लेकर एफआईआर किया भी गया है, बाद में उन धाराओं को हटाना पड़ा है. रायगढ़ में दर्ज धर्मांतरण के चार मामलों पर अरुण पन्नालाल का कहना है कि उस समय जितने मामले दर्ज हुए थे, उसमें सिर्फ मारपीट सामाजिक सौहार्द बिगड़ने के दर्ज हुए हैं. धर्मांतरण के जो केस दर्ज किए गए थे.उन पर केस चल रहा है और बहुत जल्दी वो समाप्त हो जाएगा

धर्मांतरण को लेकर सरकार के बयान पर कांग्रेस का पलटवार : जगदलपुर में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा था कि बस्तर जैसे क्षेत्र के लिए धर्मांतरण एक बड़ी समस्या हो गई है, इस वजह से शव दफन को लेकर लगातार दो समुदाय के बीच विवाद की स्थिति बढ़ रही है, सीएम ने कहा था कि धर्मांतरण रुकेगा तभी बस्तर में स्थिति सामान्य होगी और इसके लिए सरकार प्रयास कर रही है. वहीं मुख्यमंत्री के इस बयान पर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज ने पलटवार किया था. बैज ने कहा कि शव दफन जैसे मामले में भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता और नेता बस्तर में लगातार विवाद करवाकर माहौल खराब कर रहे हैं. इस पर शासन प्रशासन भी बीच का रास्ता निकालने में पूरी तरह से विफल साबित हो रही है. धर्मान्तरण रुके इसके लिए सरकार को किसी ने नहीं रोका है. बस्तर में धर्मांतरण रोकने के लिए सरकार को इसे गंभीरता से लेना चाहिए.


पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने भी सरकार को घेरा : वहीं पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी धर्मांतरण के मुद्दे को लेकर राज्य की सरकार पर जोरदार हमला बोला है. भूपेश बघेल ने कहा कि इस सरकार में धर्मांतरण बहुत ज्यादा हो रहा है, सभी जिलों में धर्मांतरण हो रहा है. मैंने विधानसभा में एक प्रश्न पूछा था कि प्रदेश में कितने रोहिंग्या है, क्या उन्हें आईडेंटिफाई किया गया है ,अब सरकार जागी है ,पता लगाने में. लेकिन सरकार अब तक जानकारी एकत्रित नहीं कर सकी है. यह राजनीतिक मुद्दा है, जब छत्तीसगढ़ में चुनाव आता है, तब रोहिंग्या आता है ,झारखंड में जब चुनाव होगा तो रोहिंग्या का मामला आएगा, अब दिल्ली में चुनाव है वहां भी रोहिंग्या आएगा.यह सरकार की स्थिति है. वहीं घर वापसी अभियान को लेकर भूपेश बघेल ने कहा कि यह दिखावा है, इसके अलावा कुछ नहीं है. क्या इसका कोई रजिस्टर मेंटेन है. कितने लोग की घर वापसी की गई है.और घर वापसी के बाद उन्हें किस समाज और किस जाति में मिलाया गया.

धर्मांतरण को लेकर क्या है कानून : वही कानून के जानकार और हाईकोर्ट के सीनियर एडवोकेट दिवाकर सिन्हा का कहना है कि धर्मांतरण को लेकर जो मूल कानून बनाया गया था. वो 2021 के पहले का बनाया हुआ है. धर्मांतरण समाज का एक हिस्सा भी हो गया है. इस मामले को लेकर फिर राजनीति शुरू हो गई और हर राज्य सरकार अपने अनुसार कानून बनाने लगी है.इसमें साल 2022 के बाद काफी चेंज देखने को मिले . जितने भाजपा शासित प्रदेश थे वहां पर कानून अच्छा बना. लेकिन जो गैर भाजपा शासित राज्य थे , वहां पर कानून थोड़ा ढीला बनाया गया. उसके कारण चाहे जो भी रहा हो. इस कानून के तहत पहले काफी नॉमिनल प्रावधान किए गए थे. 500 से 1000 रुपए तक का फाइन था. 6 महीने से 1 साल तक की सजा का प्रावधान था. इसका फायदा धार्मिक और सामाजिक संस्थाएं उठती थी और धर्मांतरण करा देते थे. इस बीच हुए सर्वे के दौरान यह बात देखने को मिले कि छत्तीसगढ़ में भी काफी संख्या में धर्मांतरण हुए हैं.

धर्मांतरण दो तरीके से होता है, पहला जो खुद से धर्मांतरित होना चाहते हैं , उसके लिए धारा 25 के तहत संविधान में प्रावधान है. आप डीएम को पत्र लिखेंगे कि आप अपनी इच्छा से धर्मांतरण करना चाहता है.आप किस धर्म में जाना चाह रहे हैं. वो सारी जानकारी डीएम के समक्ष प्रस्तुत करेगा. 7 दिन का समय दिया गया है. 7 दिन में डीएम उसकी जांच करेगे,कहीं जोर जबरदस्ती या प्रलोभन देकर तो धर्मांतरण नहीं कराया जा रहा है.इसके बाद संबंधित व्यक्ति धर्म बदल सकता है. वहीं दूसरी कैटेगरी होती है सामूहिक धर्मांतरण. यह धर्मांतरण संस्थाओं के द्वारा किया जाता है. उस पर रोक लगाने की आवश्यकता है- दिवाकर सिन्हा, सीनियर एडवोकेट, हाईकोर्ट, बिलासपुर

छत्तीसगढ़ में कैसा हो सकता है कानून : दिवाकर सिन्हा की माने तो आज की स्थिति में छत्तीसगढ़ में शासन ने जब सर्वे किया, तो उन्होंने देखा कि छत्तीसगढ़ में भी बहुत ज्यादा धर्मांतरण बढ़ गया है. उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा धर्मांतरण होते हैं और वहां का कानून भी इसलिए कड़क बनाया गया है. अब जो छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण को लेकर कानून बनाया जा रहा है , उसमें यूपी के कानून का कुछ हिस्सा को शामिल किया जा रहा है. कानून अभी बनने की प्रक्रिया में है. संभावना है कि जल्द ही इसे लागू कर दिया जाएगा. इसका कानून के तहत यदि जोर जबरदस्ती से धर्मांतरण कराया जाता है, जुर्माने की राशि 10 लाख तक कर दी गई है. 14 साल तक की सजा का प्रावधान हो सकता है. कुछ मामलों में यदि डरा धमका और प्रताड़ित करके धर्मांतरण किया जाता है, तो उसमें आजीवन सजा तक का प्रावधान भी हो सकता है.


बीजेपी शासन काल में धर्मांतरण के कितने मामले : सूत्रों की माने तो बीजेपी सरकार के 11 महीने के कार्यकाल में ही लगभग 13 एफआईआर इन मामले में दर्ज की गई है. जिसमें से चार मामले अकेले नवम्बर महीने के हैं. उत्तर छत्तीसगढ़ के सरगुजा, सूरजपुर और बलरामपुर जिले में धर्मांतरण का खुलकर विरोध हो रहा है. धर्मांतरण के लिए प्रलोभन के आरोप पर बलरामपुर जिले में चार अपराधिक प्रकरण दर्ज किए गए हैं. इनमें से तीन प्रकरण राजपुर थाना और एक प्रकरण बसंतपुर थाना से जुड़ा हुआ है.

सरगुजा जिले के उदयपुर थाना क्षेत्र के केदमा इलाके में चंगाई सभा की आड़ में धर्मांतरण के लिए प्रलोभन के आरोपों पर प्रशासनिक हस्तक्षेप से आयोजन बंद कराया जा चुका है.

अंबिकापुर शहर में राष्ट्रीय क्रिश्चियन मोर्चा का कार्यक्रम भारी विरोध के कारण नहीं हो सका.भिलाई के पुलगांव इलाके में सास-बहू के बीच धर्मांतरण को लेकर लड़ाई दिखी.बहू गीता यादव ने सास के मना करने के बावजूद घर पर प्रार्थना सभा आयोजित की तो पुलिस ने पादरी डीके देशमुख समेत 10 लोगों को गिरफ़्तार किया था.

जनवरी 2024 से नवम्बर 2024 तक बस्तर संभाग के कांकेर को छोड़कर के छह जिलों बस्तर, सुकमा, दंतेवाड़ा, नारायणपुर, कोंडागांव में पुलिस के पास 23 शिकायतें प्राप्त हुई हैं. हालांकि किसी पर एफआईआर नहीं किया गया. वहीं पूर्ववर्ती कांग्रेस की भूपेश सरकार के पांच साल के कार्यकाल में महज 10 मामलों पर एफआईआर हुई थी.


छत्तीसगढ़ में कितनी है ईसाई आबादी : जानकारी के मुताबिक राज्य की करीब 32 प्रतिशत आबादी आदिवासी है. इनमें सरगुजा, बस्तर के ग्रामीण इलाकों में रहने वाले आदिवासियों के लिए धर्मांतरण बहुत बड़ा मुद्दा है. 2011 की जनगणना के अनुसार छत्तीसगढ़ की कुल आबादी 2.55 करोड़ है. जिनमें ईसाइयों की संख्या 4.90 लाख है. यानी ईसाई कुल आबादी के 1.92 फ़ीसदी हैं.राज्य में रोमन कैथोलिक वर्ग की जनसंख्या 2.25 लाख और मेनलाइन चर्च, जिसमें चर्च ऑफ़ नार्थ इंडिया, मेनोनाइट्स, ईएलसी, लुथरन आदि शामिल हैं, इनकी जनसंख्या 1.5 लाख है.

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Last Updated : Jan 7, 2025, 11:33 AM IST
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