रायपुर: कलकत्ता हाईकोर्ट के साल 2010 के बाद बनी ओबीसी सूची को रद्द करने वाले फैसले की छत्तीसगढ़ के सीएम ने सराहना की है. वहीं, विपक्ष इस फैसले पर बीजेपी को लगातार घेरता नजर आ रहा है. छत्तीसगढ़ कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने भी बीजेपी को इसे लेकर घेरा है.
कांग्रेस प्रवक्ता ने बीजेपी को घेरा: सुरेन्द्र वर्मा ने कहा, "प्रधानमंत्री मोदी ने एक साक्षात्कार में स्वंय ही स्वीकार किया है कि गुजरात के मुख्यमंत्री रहते मुस्लिम संप्रदाय के लगभग 70 जातियों को ओबीसी आरक्षण उन्होंने का लाभ दिया. अब चुनावी लाभ के लिए भाजपाईयों के सुर बदल गए. विष्णुदेव साय की सरकार को छत्तीसगढ़ की जनता ने चुना है. अन्य प्रदेशों के मामले में बयानबाजी करने के बजाय यह बताए कि छत्तीसगढ़ के सर्वहारा वर्ग का अधिकार कब तक राजभवन में कैद रहेगा?"
पिछले डेढ़ साल से नवीन आरक्षण विधेयक लंबित: सुरेन्द्र वर्मा ने कहा कि, "भाजपा की बदनियती के कारण पूर्ववर्ती कांग्रेस की सरकार की ओर से पारित 76 प्रतिशत नवीन आरक्षण विधेयक पिछले डेढ साल से राजभवन में लंबित है. भाजपा के नेताओं के षडयंत्रों के कारण ही छत्तीसगढ़ के बहुसंख्यक अबादी अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग सहित सामान्य वर्ग के गरीबों को उनके शिक्षा और रोजगार के अधिकार को सीधे तौर पर प्रभावित करने वाले प्रावधान के 76 प्रतिशत आरक्षण से वंचित रखा गया है.तमाम संवैधानिक संस्थानों सहित राजभवन को भी अपनी पार्टी कार्यालय के रूप में संचालित करने का प्रयास करने वाले भाजपाईयों को छत्तीसगढ़ के नवीन आरक्षण विधेयक पर अपनी स्थिति स्पष्ट करना चाहिए."
युवाओं के रोजगार को खत्म करना चाहती है बीजेपी:प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने आगे कहा है कि, "भाजपा मूलतः आरक्षण विरोधी है. केंद्र में मोदी की सरकार ने विगत 10 वर्षों में आरक्षित वर्ग के युवाओं को बड़ा नुकसान पहुंचा है. सार्वजनिक उपक्रमों और देश के संसाधनों को बेचकर युवाओं के सरकारी नौकरी के रोजगार के अवसर को खत्म करने का काम केंद्र की मोदी सरकार ने किया है. एक तरफ लाखों की संख्या में केंद्रीय विभाग में पद खाली हैं, दूसरी तरफ यूपीएससी को बाईपास करके बिना आरक्षण रोस्टर का पालन किए केंद्रीय सचिवालय में संयुक्त सचिव के पद पर अपने पूंजीपति मित्रों के कर्मचारियों की सीधी भर्ती की गई.
"भाजपा का मूल चरित्र ही सामाजिक न्याय विरोधी है. आरएसएस और भारतीय जनता पार्टी के नेता यह नहीं चाहते कि स्थानीय आबादी को उनका हक और अधिकार मिले. भाजपा की सरकारें केवल चंद पूंजीपति मित्रों के मुनाफे के लिए काम करती है. भाजपा ने छत्तीसगढ़ में बालको बेचा, नंदराज पर्वत बेचे, एनएमडीसी के नगरनार प्लांट को बेचने के लिए दीपम की सरकारी साइट पर सेल लगाकर रखे हैं. डबल इंजन की सरकार आते ही हसदेव के जंगल साय साय काटे जा रहे हैं, लेकिन आरक्षण विधेयक पर मौन हैं. दूसरे प्रदेशों के मामलों में आतुरता दिखाने वाले छत्तीसगढ़ के मंत्री और भाजपा नेताओं को छत्तीसगढ़ में लंबित आरक्षण विधेयक पर अपना स्टैंड क्लियर करना चाहिए."
छत्तीसगढ़ में पूर्ववर्ती भाजपा की सरकार ने अनुसूचित जाति वर्ग के आरक्षण में कटौती की थी. पूर्ववर्ती कांग्रेस की सरकार ने पिछड़ा वर्ग के लिए 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत, अनूसूचित जनजाति के लिए 20 प्रतिशत से बढ़ाकर 32 प्रतिशत अनुसूचित जाति के लिए 12 से बढ़ाकर उनके सेंसेक्स के अनुसार 13 प्रतिशत और सामान्य कमजोर आय वर्ग के लोगों के लिए भी चार प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की, उसे दुर्भावनापूर्वक भाजपा के नेताओं के षड्यंत्र के चलते आज तक राजभवन की आड़ में लंबित रखा गया है. अब तो प्रदेश में डबल इंजन की सरकार है, भाजपा बताएं कि छत्तीसगढ़ की जनता के हक और अधिकार कब तक राजभवन में कैद रहेगा?- सुरेन्द्र वर्मा, प्रवक्ता, कांग्रेस
सीएम साय ने हाईकोर्ट के फैसले की सराहना की: वहीं, सीएम साय ने कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश की सराहना की है. ममता बनर्जी सरकार के इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने पर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा कि, "कलकत्ता हाईकोर्ट ने धर्म आधारित आरक्षण पर जो निर्णय दिया है, वह स्वागत योग्य है, निर्णय का हम स्वागत करते हैं. यह निर्णय धर्म आधारित आरक्षण देकर वोट बैंक की जो राजनीति करते हैं, तुष्टिकरण की राजनीति करते हैं, उनके गाल पर एक तमाचा है.
जानिए क्या है कलकत्ता हाईकोर्ट का फैसला: बता दें कि कलकत्ता हाईकोर्ट ने बंगाल में अन्य पिछड़ा वर्ग यानी ओबीसी के आरक्षण को लेकर एक बड़ा फैसला दिया है. हाईकोर्ट ने अपने फैसले में 2010 में कई वर्गों को दिए गए इस आरक्षण को रद्द कर दिया है. कलकत्ता हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि राज्य में सेवाओं और पदों पर रिक्तियों में इस तरह के आरक्षण को देना अवैध है.