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नोटा ने बढ़ाई राजनीतिक दलों की चिंता, कई सीटों पर हार-जीत के अंतर से अधिक आते रहे नोटा के वोट! - Politicians worried about NOTA - POLITICIANS WORRIED ABOUT NOTA

NOTA यानी राइट टू रिजेक्ट, जिसके माध्यम से मतदाता अपना मत जाहिर कर किसी को भी नहीं चुनते हैं. पिछले दो लोकसभा चुनावों में झारखंड में नोटा का खूब इस्तेमाल हुआ है. कई सीटों पर तो आलम ऐसा रहा कि हार जीत के अंतर से ज्यादा नोटा में वोट पड़े. इसको लेकर झारखंड के राजनीति दल चिंतित हैं.

Political parties worried about use of NOTA during last Lok Sabha Elections in Jharkhand
लोकसभा चुनावों में हार जीत के अंतर से ज्यादा नोटा में वोट से झारखंड के राजनीतिक दल चिंतित
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Apr 11, 2024, 7:52 AM IST

Updated : Apr 11, 2024, 9:34 AM IST

नोटा को लेकर चिंता जाहिर करते भाजपा और कांग्रेस के नेता

रांचीः चुनाव के दौरान प्रत्येक मतदाता को यह अधिकार है कि अपने पसंदीदा प्रत्याशी के पक्ष में मतदान करे. इतना ही नहीं अगर निर्धारित प्रत्याशियों की सूची में कोई मनपसंद प्रत्याशी उसे नजर नहीं आता है तो इसके लिए NOTA यानी उपरोक्त में से नहीं का इस्तेमाल किया जाता है. सुप्रीम कोर्ट ने 2013 में राइट टू रिजेक्ट के तहत यह अधिकार मतदाताओं को दिया था. जिसके बाद देश में 2014 के लोकसभा चुनाव से ईवीएम में प्रत्याशी की सूची में नोटा का बटन भी शामिल हो गया. 2024 के लोकसभा चुनाव में तीसरी बार इस बटन का उपयोग होगा.

झारखंड में नोटा का होता रहा है इस्तेमाल

पिछले आम चुनाव पर नजर दौड़ाएं तो 2014 के बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में देश में नोटा के इस्तेमाल में वृद्धि हुई है. हालांकि झारखंड में कमी देखी गई मगर झारखंड के कुछ ऐसे भी लोकसभा क्षेत्र पाए गए जहां हार जीत का अंतर से अधिक नोटा में हुए मतों की संख्या थी. चुनाव आयोग के आंकड़ों से पता चलता है कि 2014 में झारखंड की 14 में से 5 ऐसी सीट थी, जहां करीब तीन फीसदी मत नोटा के तहत पड़े थे, मगर 2024 में ऐसी सीटों की संख्या घटकर तीन रह गई.

political-parties-worried-about-use-of-nota-during-last-lok-sabha-elections-in-jharkhand
झारखंड में नोटा के आंकड़े

लोहरदगा सीट पर 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी सुदर्शन भगत से 10 हजार 357 वोट से कांग्रेस प्रत्याशी सुखदेव भगत हारे. यहां नोटा में 10 हजार 770 वोट पड़े. खूंटी लोकसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी अर्जुन मुंडा सिर्फ 1 हजार 445 वोटों से जीत दर्ज की. यहां 21 हजार 245 मतदाताओं ने नोटा का प्रयोग किया. कोडरमा में सबसे अधिक 31 हजार 164 वोटरों ने नोटा को चुना. इसके बाद सिंहभूम में 24261, गिरिडीह में 19669, गोड्डा में 18650, राजमहल में 12898 और दुमका में 14365 मतदाताओं ने नोटा का विकल्प चुना.

नोटा के इस्तेमाल से बढ़ी राजनीतिक दलों की चिंता

लोकसभा चुनाव के दौरान नोटा के बढ़ रहे इस्तेमाल ने राजनीतिक दलों की चिंता बढ़ा दी है. चुनाव मैदान में खड़े होने वाले प्रत्याशी को पसंद नहीं कर नोटा के हो रहे इस्तेमाल पर सियासी दलों ने नेताओं ने अपनी चिंता प्रकट की है. पूर्व स्पीकर और बीजेपी विधायक सीपी सिंह कहते हैं कि नोटा का प्रयोग वही लोग करते हैं जो कहीं ना कहीं व्यवस्था से नाराज हैं, हालांकि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता. भारतीय जनता पार्टी के वोटर नोटा का इस्तेमाल नहीं करते, जो नोटा का प्रयोग करते हैं उसका दुष्परिणाम दूसरे कैंडिडेट को होता है.

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झारखंड में नोटा के आंकड़े

वहीं कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता सोनल शांति ने नोटा के बढ़ रहे इस्तेमाल पर चिंता जताई है. वो कहते हैं कि यह लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं है, जिस क्षेत्र में नोटा का इस्तेमाल सर्वाधिक हो रहा है, वहां के कारणों के बारे में जानना आवश्यक होगा. यह राजनीतिक दलों के लिए भी चिंता का कारण है कि आखिर उनके द्वारा चयनित प्रत्याशी को आम जनता पसंद क्यों नहीं करती है.

इसे भी पढे़ं- लोहरदगा लोकसभा सीट पर निर्दलीय प्रत्याशियों पर नोटा भारी, रोचक हैं आंकड़े - lok sabha election 2024

इसे भी पढ़ें- NOTA के सामने AIMIM भी पिछड़ा, 3649 वोटरों ने सभी प्रत्याशी को नकारा

इसे भी पढ़ें- हजारीबाग संवेदक संघ का चुनाव संपन्न, नोटा पर भी लोगों ने डाला वोट

नोटा को लेकर चिंता जाहिर करते भाजपा और कांग्रेस के नेता

रांचीः चुनाव के दौरान प्रत्येक मतदाता को यह अधिकार है कि अपने पसंदीदा प्रत्याशी के पक्ष में मतदान करे. इतना ही नहीं अगर निर्धारित प्रत्याशियों की सूची में कोई मनपसंद प्रत्याशी उसे नजर नहीं आता है तो इसके लिए NOTA यानी उपरोक्त में से नहीं का इस्तेमाल किया जाता है. सुप्रीम कोर्ट ने 2013 में राइट टू रिजेक्ट के तहत यह अधिकार मतदाताओं को दिया था. जिसके बाद देश में 2014 के लोकसभा चुनाव से ईवीएम में प्रत्याशी की सूची में नोटा का बटन भी शामिल हो गया. 2024 के लोकसभा चुनाव में तीसरी बार इस बटन का उपयोग होगा.

झारखंड में नोटा का होता रहा है इस्तेमाल

पिछले आम चुनाव पर नजर दौड़ाएं तो 2014 के बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में देश में नोटा के इस्तेमाल में वृद्धि हुई है. हालांकि झारखंड में कमी देखी गई मगर झारखंड के कुछ ऐसे भी लोकसभा क्षेत्र पाए गए जहां हार जीत का अंतर से अधिक नोटा में हुए मतों की संख्या थी. चुनाव आयोग के आंकड़ों से पता चलता है कि 2014 में झारखंड की 14 में से 5 ऐसी सीट थी, जहां करीब तीन फीसदी मत नोटा के तहत पड़े थे, मगर 2024 में ऐसी सीटों की संख्या घटकर तीन रह गई.

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झारखंड में नोटा के आंकड़े

लोहरदगा सीट पर 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी सुदर्शन भगत से 10 हजार 357 वोट से कांग्रेस प्रत्याशी सुखदेव भगत हारे. यहां नोटा में 10 हजार 770 वोट पड़े. खूंटी लोकसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी अर्जुन मुंडा सिर्फ 1 हजार 445 वोटों से जीत दर्ज की. यहां 21 हजार 245 मतदाताओं ने नोटा का प्रयोग किया. कोडरमा में सबसे अधिक 31 हजार 164 वोटरों ने नोटा को चुना. इसके बाद सिंहभूम में 24261, गिरिडीह में 19669, गोड्डा में 18650, राजमहल में 12898 और दुमका में 14365 मतदाताओं ने नोटा का विकल्प चुना.

नोटा के इस्तेमाल से बढ़ी राजनीतिक दलों की चिंता

लोकसभा चुनाव के दौरान नोटा के बढ़ रहे इस्तेमाल ने राजनीतिक दलों की चिंता बढ़ा दी है. चुनाव मैदान में खड़े होने वाले प्रत्याशी को पसंद नहीं कर नोटा के हो रहे इस्तेमाल पर सियासी दलों ने नेताओं ने अपनी चिंता प्रकट की है. पूर्व स्पीकर और बीजेपी विधायक सीपी सिंह कहते हैं कि नोटा का प्रयोग वही लोग करते हैं जो कहीं ना कहीं व्यवस्था से नाराज हैं, हालांकि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता. भारतीय जनता पार्टी के वोटर नोटा का इस्तेमाल नहीं करते, जो नोटा का प्रयोग करते हैं उसका दुष्परिणाम दूसरे कैंडिडेट को होता है.

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झारखंड में नोटा के आंकड़े

वहीं कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता सोनल शांति ने नोटा के बढ़ रहे इस्तेमाल पर चिंता जताई है. वो कहते हैं कि यह लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं है, जिस क्षेत्र में नोटा का इस्तेमाल सर्वाधिक हो रहा है, वहां के कारणों के बारे में जानना आवश्यक होगा. यह राजनीतिक दलों के लिए भी चिंता का कारण है कि आखिर उनके द्वारा चयनित प्रत्याशी को आम जनता पसंद क्यों नहीं करती है.

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Last Updated : Apr 11, 2024, 9:34 AM IST
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