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केदारनाथ की पहली महिला MLA, पार्टी से बगावत, अब फिर प्रत्याशी, जानें आशा नौटियाल का राजनीतिक करियर

2002 और 2007 में जीतीं विधानसभा चुनाव, 2017 में की बीजेपी से बगावत, इस बार फिर मैदान में

KEDARNATH ASSEMBLY SEAT BY ELECTION
बीजेपी प्रत्याशी आशा नौटियाल (ETV Bharat Graphics)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Oct 28, 2024, 10:47 AM IST

Updated : Oct 28, 2024, 3:05 PM IST

देहरादून: केदारनाथ विधानसभा सीट उपचुनाव के लिए बीजेपी और कांग्रेस प्रत्याशियों की घोषणा हो चुकी है. बीजेपी ने आशा नौटियाल को कांग्रेस के मनोज रावत के मुकाबले मैदान में उतारा है. आइए आपको बताते हैं दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी बीजेपी ने जिसे अपना प्रत्याशी घोषित किया है, उनका अब तक का राजनीतिक सफर.

बीजेपी प्रत्याशी आशा नौटियाल का राजनीतिक सफर: आशा नौटियाल केदारनाथ विधानसभा क्षेत्र की एक लोकप्रिय महिला नेता हैं. जब 9 नवंबर 2000 को उत्तराखंड राज्य बना, तो तब अंतरिम सरकार बनी थी. उसके बाद 2002 में जब पहले विधानसभा चुनाव हुए, तो आशा नौटियाल उन 70 विधायकों में से एक थीं, जिन्होंने पहली बार में ही उत्तराखंड विधानसभा में प्रवेश किया था.

जिला पंचायत सदस्यता से शुरू हुआ राजनीतिक करियर: वैसे आशा नौटियाल का राजनीतिक जीवन जिला पंचायत की राजनीति से शुरू हुआ था. साल 1996 में आशा नौटियाल पहली बार पंचायत चुनाव के मैदान में उतरी थीं. ऊखीमठ वार्ड से वो निर्विरोध जिला पंचायत सदस्य चुनी गई थीं. आशा नौटियाल की इस सफलता ने उन्हें तब की देश की दूसरी सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व की नजरों में ला दिया था. जिला पंचायत सदस्य बनने के एक साल बाद ही यानी 1997-98 में आशा नौटियाल को बीजेपी ने जिला उपाध्यक्ष बना दिया. आशा ने इतना अच्छा काम किया कि उन्हें साल 1999 में उपाध्यक्ष से पदोन्नति देकर महिला मोर्चा जिलाध्यक्ष बना दिया गया.

KEDARNATH ASSEMBLY SEAT BY ELECTION
आशा नौटियाल प्रोफाइल (ETV Bharat Graphics)

2002 में पहली बार बनीं विधायक: पार्टी में अपने बढ़ते कद से उत्साहित आशा नौटियाल ने क्षेत्रीय जनता में अपनी और मजबूत पकड़ बना ली. इसका नतीजा ये रहा कि 2002 में जब उत्तराखंड में पहली बार विधानसभा चुनाव हुए, तो बीजेपी ने आशा नौटियाल को केदारनाथ विधानसभा सीट से अपना उम्मीदवार बना दिया. आशा नौटियाल ने भी अपनी पार्टी बीजेपी को निराश नहीं किया. दिलचस्प बात ये है कि शैलारानी रावत (अब दिवंगत) तब कांग्रेस की नेता हुआ करती थीं. आशा नौटियाल ने शैलारानी रावत को हराकर केदारनाथ विधानसभा सीट की पहली महिला विधायक होने का गौरव हासिल किया.

KEDARNATH ASSEMBLY SEAT BY ELECTION
केदारनाथ विधानसभा सीट पर वोटर (ETV Bharat Graphics)

2007 में भी लहराया जीत का परचम: 2007 में जब उत्तराखंड विधानसभा के दूसरे चुनाव हुए, तो तब भी बीजेपी ने आशा नौटियाल पर ही विश्वास बनाए रखा. आशा नौटियाल ने इस बार भी पार्टी को निराश नहीं किया. इस बार कांग्रेस ने शैलारानी रावत की जगह कुंवर सिंह नेगी को टिकट दिया. लेकिन आशा नौटियाल ने कुंवर सिंह नेगी को भी हरा दिया.

2012 में मिली पराजय: 2002 और 2007 में लगातार दो बार विधानसभा चुनाव जीतने वाली आशा नौटियाल को 2012 में भी बीजेपी ने अपना उम्मीदवार बनाया. लेकिन इस बार आशा नौटियाल हैट्रिक बनाने से चूक गई थीं. इस बार कांग्रेस ने शैलारानी रावत को टिकट दिया, जिन्होंने आशा नौटियाल को हराकर 2002 विधानसभा चुनाव की हार का बदला ले लिया.

कांग्रेस की बगावत से आशा को हुआ नुकसान: 2012 में उत्तराखंड में कांग्रेस की सरकार बनी. विजय बहुगुणा को कांग्रेस ने हरीश रावत पर तवज्जो देकर मुख्यमंत्री बना दिया. इसी बीच जून 2013 में केदारनाथ आपदा आ गई. इस भीषण आपदा में विजय बहुगुणा सरकार पर आपदा से निपटने में विफल होने के आरोप लगे. विजय बहुगुणा के विरोधी हरीश रावत ने देहरादून से लेकर दिल्ली तक इतना हल्ला मचाया कि कांग्रेस आलाकमान को मजबूर होकर मुख्यमंत्री बदलना पड़ा और हरीश रावत सीएम बनाए गए. लेकिन विजय बहुगुणा वाला गुट इस बदलाव को भूल नहीं सका. सतपाल महाराज तो तत्काल पार्टी छोड़ गए. मई 2016 में कांग्रेस के असंतुष्ट विधायकों ने भी बगावत कर दी और कांग्रेस छोड़ 9 विधायक बीजेपी में शामिल हो गए. इन 9 विधायकों में शैलारानी रावत भी शामिल थीं.

2017 में टिकट नहीं मिला तो निर्दलीय लड़ीं: जब 2017 के विधानसभा चुनाव हुए तो बीजेपी ने शैलारानी रावत को केदारनाथ विधानसभा सीट से अपना प्रत्याशी बना दिया. इससे नाराज होकर आशा नौटियाल ने बगावत कर दी. आशा ने निर्दलीय चुनाव लड़ा. इससे कांग्रेस प्रत्याशी मनोज रावत चुनाव जीत गए. आशा नौटियाल तीसरे स्थान पर रहीं.

बीजेपी में की वापसी: 2017 के विधानसभा चुनाव परिणामों के कुछ समय बाद आशा नौटियाल ने बीजेपी में वापसी की. 2022 में उत्तराखंड विधानसभा के 5वें चुनाव हुए तो बीजेपी ने एक बार फिर शैलारानी रावत को अपना प्रत्याशी बनाया. शैला चुनाव जीत गईं. आशा नौटियाल को उत्तराखंड बीजेपी महिला मोर्चा का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया गया.

2024 केदारनाथ विधानसभा उपचुनाव में हैं बीजेपी प्रत्याशी: शैलारानी रावत के निधन के बाद केदारनाथ विधानसभा सीट पर उपचुनाव हो रहा है. 20 नवंबर को केदारनाथ उपचुनाव के लिए वोट डाले जाएंगे. बीजेपी ने तमाम कयासों और भविष्यवाणियों के इतर आशा नौटियाल को पार्टी का उम्मीदवार बनाया है.
ये भी पढ़ें:

Conclusion:

देहरादून: केदारनाथ विधानसभा सीट उपचुनाव के लिए बीजेपी और कांग्रेस प्रत्याशियों की घोषणा हो चुकी है. बीजेपी ने आशा नौटियाल को कांग्रेस के मनोज रावत के मुकाबले मैदान में उतारा है. आइए आपको बताते हैं दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी बीजेपी ने जिसे अपना प्रत्याशी घोषित किया है, उनका अब तक का राजनीतिक सफर.

बीजेपी प्रत्याशी आशा नौटियाल का राजनीतिक सफर: आशा नौटियाल केदारनाथ विधानसभा क्षेत्र की एक लोकप्रिय महिला नेता हैं. जब 9 नवंबर 2000 को उत्तराखंड राज्य बना, तो तब अंतरिम सरकार बनी थी. उसके बाद 2002 में जब पहले विधानसभा चुनाव हुए, तो आशा नौटियाल उन 70 विधायकों में से एक थीं, जिन्होंने पहली बार में ही उत्तराखंड विधानसभा में प्रवेश किया था.

जिला पंचायत सदस्यता से शुरू हुआ राजनीतिक करियर: वैसे आशा नौटियाल का राजनीतिक जीवन जिला पंचायत की राजनीति से शुरू हुआ था. साल 1996 में आशा नौटियाल पहली बार पंचायत चुनाव के मैदान में उतरी थीं. ऊखीमठ वार्ड से वो निर्विरोध जिला पंचायत सदस्य चुनी गई थीं. आशा नौटियाल की इस सफलता ने उन्हें तब की देश की दूसरी सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व की नजरों में ला दिया था. जिला पंचायत सदस्य बनने के एक साल बाद ही यानी 1997-98 में आशा नौटियाल को बीजेपी ने जिला उपाध्यक्ष बना दिया. आशा ने इतना अच्छा काम किया कि उन्हें साल 1999 में उपाध्यक्ष से पदोन्नति देकर महिला मोर्चा जिलाध्यक्ष बना दिया गया.

KEDARNATH ASSEMBLY SEAT BY ELECTION
आशा नौटियाल प्रोफाइल (ETV Bharat Graphics)

2002 में पहली बार बनीं विधायक: पार्टी में अपने बढ़ते कद से उत्साहित आशा नौटियाल ने क्षेत्रीय जनता में अपनी और मजबूत पकड़ बना ली. इसका नतीजा ये रहा कि 2002 में जब उत्तराखंड में पहली बार विधानसभा चुनाव हुए, तो बीजेपी ने आशा नौटियाल को केदारनाथ विधानसभा सीट से अपना उम्मीदवार बना दिया. आशा नौटियाल ने भी अपनी पार्टी बीजेपी को निराश नहीं किया. दिलचस्प बात ये है कि शैलारानी रावत (अब दिवंगत) तब कांग्रेस की नेता हुआ करती थीं. आशा नौटियाल ने शैलारानी रावत को हराकर केदारनाथ विधानसभा सीट की पहली महिला विधायक होने का गौरव हासिल किया.

KEDARNATH ASSEMBLY SEAT BY ELECTION
केदारनाथ विधानसभा सीट पर वोटर (ETV Bharat Graphics)

2007 में भी लहराया जीत का परचम: 2007 में जब उत्तराखंड विधानसभा के दूसरे चुनाव हुए, तो तब भी बीजेपी ने आशा नौटियाल पर ही विश्वास बनाए रखा. आशा नौटियाल ने इस बार भी पार्टी को निराश नहीं किया. इस बार कांग्रेस ने शैलारानी रावत की जगह कुंवर सिंह नेगी को टिकट दिया. लेकिन आशा नौटियाल ने कुंवर सिंह नेगी को भी हरा दिया.

2012 में मिली पराजय: 2002 और 2007 में लगातार दो बार विधानसभा चुनाव जीतने वाली आशा नौटियाल को 2012 में भी बीजेपी ने अपना उम्मीदवार बनाया. लेकिन इस बार आशा नौटियाल हैट्रिक बनाने से चूक गई थीं. इस बार कांग्रेस ने शैलारानी रावत को टिकट दिया, जिन्होंने आशा नौटियाल को हराकर 2002 विधानसभा चुनाव की हार का बदला ले लिया.

कांग्रेस की बगावत से आशा को हुआ नुकसान: 2012 में उत्तराखंड में कांग्रेस की सरकार बनी. विजय बहुगुणा को कांग्रेस ने हरीश रावत पर तवज्जो देकर मुख्यमंत्री बना दिया. इसी बीच जून 2013 में केदारनाथ आपदा आ गई. इस भीषण आपदा में विजय बहुगुणा सरकार पर आपदा से निपटने में विफल होने के आरोप लगे. विजय बहुगुणा के विरोधी हरीश रावत ने देहरादून से लेकर दिल्ली तक इतना हल्ला मचाया कि कांग्रेस आलाकमान को मजबूर होकर मुख्यमंत्री बदलना पड़ा और हरीश रावत सीएम बनाए गए. लेकिन विजय बहुगुणा वाला गुट इस बदलाव को भूल नहीं सका. सतपाल महाराज तो तत्काल पार्टी छोड़ गए. मई 2016 में कांग्रेस के असंतुष्ट विधायकों ने भी बगावत कर दी और कांग्रेस छोड़ 9 विधायक बीजेपी में शामिल हो गए. इन 9 विधायकों में शैलारानी रावत भी शामिल थीं.

2017 में टिकट नहीं मिला तो निर्दलीय लड़ीं: जब 2017 के विधानसभा चुनाव हुए तो बीजेपी ने शैलारानी रावत को केदारनाथ विधानसभा सीट से अपना प्रत्याशी बना दिया. इससे नाराज होकर आशा नौटियाल ने बगावत कर दी. आशा ने निर्दलीय चुनाव लड़ा. इससे कांग्रेस प्रत्याशी मनोज रावत चुनाव जीत गए. आशा नौटियाल तीसरे स्थान पर रहीं.

बीजेपी में की वापसी: 2017 के विधानसभा चुनाव परिणामों के कुछ समय बाद आशा नौटियाल ने बीजेपी में वापसी की. 2022 में उत्तराखंड विधानसभा के 5वें चुनाव हुए तो बीजेपी ने एक बार फिर शैलारानी रावत को अपना प्रत्याशी बनाया. शैला चुनाव जीत गईं. आशा नौटियाल को उत्तराखंड बीजेपी महिला मोर्चा का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया गया.

2024 केदारनाथ विधानसभा उपचुनाव में हैं बीजेपी प्रत्याशी: शैलारानी रावत के निधन के बाद केदारनाथ विधानसभा सीट पर उपचुनाव हो रहा है. 20 नवंबर को केदारनाथ उपचुनाव के लिए वोट डाले जाएंगे. बीजेपी ने तमाम कयासों और भविष्यवाणियों के इतर आशा नौटियाल को पार्टी का उम्मीदवार बनाया है.
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Conclusion:

Last Updated : Oct 28, 2024, 3:05 PM IST
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