नई दिल्ली/नोएडा: ब्रिटिश राज के औपनिवेशिक अपराध कानून का दौर आज से खत्म हो गया है. भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली में व्यापक बदलाव लाते हुए तीन नए कानून भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) आज से लागू हो गया है. इसको लेकर नोएडा के सभी थानों में जागरुकता कार्यक्रम चलाया गया. पुलिस कमिश्नर ने सेक्टर 39 थाने से इसकी शुरुआत की.
कार्यक्रम के दौरान पुलिस कमिश्नर लक्ष्मी सिंह ने कहा कि इस कानून के तहत अपराधियों को सजा दिलवाने के साथ-साथ पीड़ित को भी न्याय दिलवाया जाएगा. उन्होंने कहा कि नई संहिता में आईपीसी की 175 मौजूदा प्रावधानों में बदलाव किया गया है और 9 नई धाराएं जोड़ी गई हैं. इसमें 358 धाराएं हैं. पुरानी आईपीसी में 511 धाराएं थी. नए कानून में राजद्रोह को खत्म कर देशद्रोह को शामिल किया गया है. इसकी धारा 150 भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कृत्यों से संबंधित है.
उन्होंने कहा कि सीआरपीसी के 9 प्रावधान खत्म किए गए हैं. 107 प्रावधानों में बदलाव के साथ 9 नए प्रावधान पेश किए गए हैं. मौजूदा साक्ष्य अधिनियम के पांच मौजूदा प्रावधान निरस्त किए गए हैं. 23 प्रावधानों में बदलाव और एक नया प्रावधान जोड़ा गया है. कुल 170 धाराएं नए साक्ष्य कानून में है, जो पुरानी में 167 थी. उन्होंने कहा कि महिलाओं के खिलाफ अपराधों में कानून ज्यादा संवेदनशील बनाए गए हैं. पीड़िता जहां चाहेगी पुलिस को वहां बयान दर्ज करना होगा. दुष्कर्म के मामले में न्यूनतम 10 साल से लेकर अधिकतम फांसी तक की सजा होगी. सामूहिक दुष्कर्म में 20 साल से फांसी तक का प्रावधान है.
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पुलिस कमिश्नर ने कहा कि छोटी सी छोटी शिकायत दर्ज कराने के लिए अब थानों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे. हत्या, लूट, दुष्कर्म की भी ऑनलाइन एफआईआर दर्ज होगी. एक जिले में हुए अपराध की जीरो रिपोर्ट दूसरे जिले में भी कराई जा सकेगी. थाना क्षेत्र का हवाला देकर पुलिस अब मुकदमा लिखने से इनकार नहीं कर सकती. रिपोर्ट दर्ज कराने के बाद जांच से लेकर आगे की कार्रवाई तक सारी सूचना मोबाइल पर एसएमएस के जरिए पीड़ित को दी जाएगी.
पुलिस आयुक्त ने एक सवाल के जवाब में कहा कि नए कानून की धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज करने के लिए पुलिस अधिकारियों से लेकर थानों में तैनात कांस्टेबल, क्लर्क तक को प्रशिक्षित किया गया है. 6 चरणों में एक विशेष अभियान के तहत पुलिस कर्मियों को प्रशिक्षित किया गया है. उन्होंने कहा कि इस दौरान कानून के जानकारों की भी मदद ली गई है. शुरुआती दौर में मुकदमा दर्ज करने के बाद धाराओं में कोई कमी न हो इसके लिए प्रत्येक डीसीपी के ऑफिस में एक सेल बनाया गया है, जहां पर कुछ जानकर लोग बैठेंगे. थाना स्तर पर एफआईआर दर्ज करते समय उनसे सलाह ली जाएगी तथा फिर एफआईआर में उचित धारा लगाई जाएगी. इस अवसर पर नोएडा के रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन के पदाधिकारी, डॉक्टर, समाज संभ्रांत लोग तथा कानून के जानकार मौजूद थे.
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