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एक लड़ाई नशे की खेती के खिलाफ! अक्टूबर नवंबर से शुरू होती है पोस्ता की खेती - CAMPAIGN AGAINST POPPY CULTIVATION

पलामू में पुलिस के द्वारा पोस्ता की खेती के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है. इसके दुष्परिणाम भी लोगों को बताजया जा रहा है.

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पोस्ता की खेती के खिलाफ पुलिस द्वारा जागरुकता अभियान (ईटीवी भारत)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Oct 8, 2024, 1:16 PM IST

पलामू: झारखंड में नक्सल के बाद दूसरी सबसे बड़ी चुनौती बनी है पोस्ता की खेती को रोकना. सभी स्तर पर पोस्ता की खेती को रोकने के लिए पहल की जा रही है. लेकिन इसका नेटवर्क बढ़ता जा रहा है. पुलिस ने एक बार फिर से पोस्ता की खेती के खिलाफ लड़ाई शुरू की है. अक्सर ऐसी खबर आती है कि पोस्ता की खेती को नष्ट करने के लिए अभियान चलाया जाता है. झारखंड-बिहार सीमा पर बड़े पैमाने पर पोस्ता की खेती होती रही है. लेकिन इस बार पोस्ता की खेती की शुरुआत होने से पहले ही पुलिस द्वारा जागरुकता अभियान शुरू किया गया है.

जागरूकता अभियान के दौरान पुलिस पोस्ता से प्रभावित इलाकों में जा कर, एक-एक आदमी से संपर्क कर रही है. पलामू के मनातू थाना की पुलिस ने अभियान शुरू किया है. मनातू पुलिस घर-घर जा रही है और लोगों से बातचीत एवं बैठक कर रही है. इस दौरान पुलिस माइकिंग का सहारा ले रही है और लोगों से यह भी आग्रह कर रही है कि ग्रामीण पोस्ता की खेती से दूर रहें.

पोस्ता की खेती के खिलाफ पुलिस का अभियान (ईटीवी भारत)
ग्रामीणों को बताया जा रहा है पोस्ता की खेती के दुष्परिणाम

ग्रामीणों को बताया जा रहा है कि पोस्ता के खेती के दुष्परिणाम क्या हैं. मनातू थाना के प्रभारी निर्मल उरांव खुद से माइकिंग कर रहे हैं और ग्रामीणो को एक एक बिंदु की जानकारी दे रहे हैं. ग्रामीणों को यह बताया जा रहा है कि पोस्ता की खेती करने वालो के खिलाफ कौन कौन से कानूनी प्रावधान हैं. इसकी जानकारी दी जा रही है.

वैसे इलाके जहां पोस्ता की खेती हुई और इसका इतिहास रहा है, उन इलाकों में जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है. यह अच्छी बात है कि कुछ वर्ष पहले कई इलाकों में पोस्ता की खेती शुरू हुई थी लेकिन उस इलाके में दोबारा खेती नहीं हुई. पुलिस पुस्तक की खेती के खिलाफ अभियान चला रही है और लोगों को जागरूक भी कर रही है. - रीष्मा रमेशन , एसपी पलामू

सैकड़ों ग्रामीणों पर दर्ज हैं पोस्ता की खेती को लेकर एफआईआर

पलामू के मनातू, पांकी, पिपराटांड़, तरहसी समेत कई इलाकों के सैकड़ों ग्रामीणों पर पोस्ता की खेती करने के आरोप में एफआईआर दर्ज हैं. मनातू के कई ऐसे गांव हैं जहां 20 से 25 लोगों पर एफआईआर दर्ज है. पुलिस के द्वारा प्रतिवर्ष पोस्ता की खेती के खिलाफ अभियान चलाया जाता है. अक्टूबर नवंबर के महीने से पोस्ता की खेती की शुरुआत होती है. फरवरी मार्च तक तैयार हो जाता है.

ये भी पढ़ें- पोस्ता की खेती करने वाले गांव पर एफआईआर के बाद बदली तस्वीर, अफगानिस्तान की राह पर चल रहे थे ग्रामीण! - Poppy Cultivation

पलामू में पोस्ता की खेती न करने की शपथ ले रहे ग्रामीण, पुलिस बढ़ा रही लोगों का हौसला

झारखंड-बिहार सीमा पर टीएसपीसी की मदद से पोस्ता की खेती! पहली बार संगठन ने किया पुलिस पर घात लगाकर हमला

पलामू: झारखंड में नक्सल के बाद दूसरी सबसे बड़ी चुनौती बनी है पोस्ता की खेती को रोकना. सभी स्तर पर पोस्ता की खेती को रोकने के लिए पहल की जा रही है. लेकिन इसका नेटवर्क बढ़ता जा रहा है. पुलिस ने एक बार फिर से पोस्ता की खेती के खिलाफ लड़ाई शुरू की है. अक्सर ऐसी खबर आती है कि पोस्ता की खेती को नष्ट करने के लिए अभियान चलाया जाता है. झारखंड-बिहार सीमा पर बड़े पैमाने पर पोस्ता की खेती होती रही है. लेकिन इस बार पोस्ता की खेती की शुरुआत होने से पहले ही पुलिस द्वारा जागरुकता अभियान शुरू किया गया है.

जागरूकता अभियान के दौरान पुलिस पोस्ता से प्रभावित इलाकों में जा कर, एक-एक आदमी से संपर्क कर रही है. पलामू के मनातू थाना की पुलिस ने अभियान शुरू किया है. मनातू पुलिस घर-घर जा रही है और लोगों से बातचीत एवं बैठक कर रही है. इस दौरान पुलिस माइकिंग का सहारा ले रही है और लोगों से यह भी आग्रह कर रही है कि ग्रामीण पोस्ता की खेती से दूर रहें.

पोस्ता की खेती के खिलाफ पुलिस का अभियान (ईटीवी भारत)
ग्रामीणों को बताया जा रहा है पोस्ता की खेती के दुष्परिणाम

ग्रामीणों को बताया जा रहा है कि पोस्ता के खेती के दुष्परिणाम क्या हैं. मनातू थाना के प्रभारी निर्मल उरांव खुद से माइकिंग कर रहे हैं और ग्रामीणो को एक एक बिंदु की जानकारी दे रहे हैं. ग्रामीणों को यह बताया जा रहा है कि पोस्ता की खेती करने वालो के खिलाफ कौन कौन से कानूनी प्रावधान हैं. इसकी जानकारी दी जा रही है.

वैसे इलाके जहां पोस्ता की खेती हुई और इसका इतिहास रहा है, उन इलाकों में जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है. यह अच्छी बात है कि कुछ वर्ष पहले कई इलाकों में पोस्ता की खेती शुरू हुई थी लेकिन उस इलाके में दोबारा खेती नहीं हुई. पुलिस पुस्तक की खेती के खिलाफ अभियान चला रही है और लोगों को जागरूक भी कर रही है. - रीष्मा रमेशन , एसपी पलामू

सैकड़ों ग्रामीणों पर दर्ज हैं पोस्ता की खेती को लेकर एफआईआर

पलामू के मनातू, पांकी, पिपराटांड़, तरहसी समेत कई इलाकों के सैकड़ों ग्रामीणों पर पोस्ता की खेती करने के आरोप में एफआईआर दर्ज हैं. मनातू के कई ऐसे गांव हैं जहां 20 से 25 लोगों पर एफआईआर दर्ज है. पुलिस के द्वारा प्रतिवर्ष पोस्ता की खेती के खिलाफ अभियान चलाया जाता है. अक्टूबर नवंबर के महीने से पोस्ता की खेती की शुरुआत होती है. फरवरी मार्च तक तैयार हो जाता है.

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