लखनऊ : सामाजिक संगठनों ने मिलकर 14 साल की किशोरी की शादी रुकवा दी. मामला माल इलाके के एक गांव का है. नाबालिग की 6 दिसंबर को तिलक आनी थी, जबकि 10 दिसंबर को शादी होनी थी. शादी के कार्ड भी बंट गए थे. जिला बाल संरक्षण इकाई, चाइल्ड हेल्पलाइन, वन स्टाप सेंटर, थाना माल पुलिस और संवाद सामाजिक संस्था ने यह बाल विवाह रुकवा दिया.
उपनिरीक्षक सालिनी सोनकर ने बताया कि भारत सरकार ने 27 नवंबर से बाल विवाह मुक्त भारत बनाने का अभियान शुरू किया था. इसी अभियान के क्रम में विकास खंड माल के एक गांव में 14 वर्षीय नाबालिग लड़की की शादी की सूचना प्राप्त हुई. चाइल्ड हेल्पलाइन की टीम ने विभिन्न माध्यम से इस सूचना की पुष्टि की. लड़की के नाबालिग होने के प्रमाण एकत्र किए. इसके अनुसार किशोरी की उम्र 13 वर्ष 11 माह थी.
इसके बाद चाइल्ड लाइन जिला प्रोबेशन अधिकारी को सूचना दी गई. उनके निर्देशानुसार सभी से समन्वय स्थापित किया और तत्काल बाल विवाह रोकने की रणनीति बनाई गई. तिलक चढ़ने से पहले संवाद सामाजिक संस्थान के आलोक मिश्रा, आकाश, चाइल्ड लाइन को आर्डिनेटर जया सिंह, अर्चना सिंह, केंद्र प्रबंधक, वन स्टाप सेंटर जिला बाल संरक्षण इकाई की सोशल वर्कर, नीलिमा शुक्ला, काउंसलर सोनल श्रीवास्तव, उपनिरीक्षक सालिनी सोनकर एवं थानाध्यक्ष माल की संयुक्त टीम किशोरी के घर पहुंच गई.
सभी ने परिवार को बताया कि नाबालिक बच्ची की शादी कानूनन अपराध है. इसमें दो वर्ष का सश्रम कारावास या एक लाख रूपये तक का जुर्माना या दोनों हो सकता है. काफी समझाने के उपरांत परिवार के लोग शादी रोकने पर राजी हो गए. टीम को आश्वस्त करने के साथ ही लिखित रूप से आश्वासन भी दिया कि वे 18 वर्ष की उम्र पूरी करने से पहले बेटी की शादी नहीं करेंगे. टीम ने परिवार को किशोरी को पढ़ाने का सुझाव दिया. परिवार को सरकार द्वारा शादी अनुदान योजना के बारे में भी बताया.
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