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नाबालिग के साथ दुष्कर्म के दोषी को अदालत ने सुनाई 20 साल की सजा - Punishment for the rapist

जयपुर में पॉक्सो मामलों की विशेष अदालत ने एक नाबालिग के साथ दुष्कर्म के मामले में दोषी युवक को 20 साल की सजा सुनाई है.

दुष्कर्म के दोषी को सजा
दुष्कर्म के दोषी को सजा (ETV Bharat GFX)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jun 17, 2024, 8:40 PM IST

जयपुर. पॉक्सो मामलों की विशेष अदालत ने 15 साल की नाबालिग को बहला-फुसलाकर अपने साथ ले जाने और उसके साथ दुष्कर्म करने वाले अभियुक्त को बीस साल की सजा सुनाई है. इसके साथ ही अदालत ने 21 वर्षीय इस अभियुक्त पर 70 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है. पीठासीन अधिकारी हेमराज गौड़ ने अपने आदेश में कहा कि नाबालिग की सहमति कानून में कोई महत्व नहीं रखती है.

अभियोजन पक्ष की ओर से विशेष लोक अभियोजक रचना मान ने अदालत को बताया कि घटना को लेकर पीड़िता के पिता ने 17 जुलाई 2023 को सांगानेर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी. रिपोर्ट में कहा गया कि उसकी 15 साल की पुत्री स्कूल के कार्य के लिए सहेली से कॉपी लेने का कहकर घर से निकली थी, लेकिन वह वापस नहीं आई. देर रात तक इंतजार करने के बाद सहेलियों से पूछताछ करने पर पता चला कि वह एक युवक के साथ गई है.

इसे भी पढ़ें-नाबालिग से दुष्कर्म के दोषी को अदालत ने सुनाई 20 साल की सजा - punishment for the rapist

पीड़िता की सहमति महत्व नहीं रखती : रिपोर्ट पर कार्रवाई करते हुए पुलिस ने अभियुक्त को 21 जुलाई को गिरफ्तार कर अदालत में आरोप पत्र पेश किया. सुनवाई के दौरान अभियुक्त ने अपने बचाव में कहा कि पीड़िता सोचने-समझने में सक्षम है और अपनी मर्जी से घर छोड़कर उसके पास आई थी. उसने पीड़िता से दुष्कर्म नहीं किया. ऐसे में उसे दोषमुक्त किया जाए. इस पर अदालत ने पीड़िता के नाबालिग होने का हवाला देते हुए कहा कि पीड़िता की सहमति कानून में कोई महत्व नहीं रखती है, इसलिए यदि घटना में पीड़िता की सहमति होने पर भी इसे अपराध की श्रेणी में ही माना जाएगा.

जयपुर. पॉक्सो मामलों की विशेष अदालत ने 15 साल की नाबालिग को बहला-फुसलाकर अपने साथ ले जाने और उसके साथ दुष्कर्म करने वाले अभियुक्त को बीस साल की सजा सुनाई है. इसके साथ ही अदालत ने 21 वर्षीय इस अभियुक्त पर 70 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है. पीठासीन अधिकारी हेमराज गौड़ ने अपने आदेश में कहा कि नाबालिग की सहमति कानून में कोई महत्व नहीं रखती है.

अभियोजन पक्ष की ओर से विशेष लोक अभियोजक रचना मान ने अदालत को बताया कि घटना को लेकर पीड़िता के पिता ने 17 जुलाई 2023 को सांगानेर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी. रिपोर्ट में कहा गया कि उसकी 15 साल की पुत्री स्कूल के कार्य के लिए सहेली से कॉपी लेने का कहकर घर से निकली थी, लेकिन वह वापस नहीं आई. देर रात तक इंतजार करने के बाद सहेलियों से पूछताछ करने पर पता चला कि वह एक युवक के साथ गई है.

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पीड़िता की सहमति महत्व नहीं रखती : रिपोर्ट पर कार्रवाई करते हुए पुलिस ने अभियुक्त को 21 जुलाई को गिरफ्तार कर अदालत में आरोप पत्र पेश किया. सुनवाई के दौरान अभियुक्त ने अपने बचाव में कहा कि पीड़िता सोचने-समझने में सक्षम है और अपनी मर्जी से घर छोड़कर उसके पास आई थी. उसने पीड़िता से दुष्कर्म नहीं किया. ऐसे में उसे दोषमुक्त किया जाए. इस पर अदालत ने पीड़िता के नाबालिग होने का हवाला देते हुए कहा कि पीड़िता की सहमति कानून में कोई महत्व नहीं रखती है, इसलिए यदि घटना में पीड़िता की सहमति होने पर भी इसे अपराध की श्रेणी में ही माना जाएगा.

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