जोधपुर. वंदे भारत अभी तक इंटरसिटी एक्सप्रेस की तर्ज पर सीटिंग चेयर कार की सुविधा के साथ संचालित हो रही है, लेकिन अब जल्द ही इसमें स्लीपर कोच की सुविधाएं भी उपलब्ध होंगी. इससे इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि नई तकनीक के कोच के साथ कई ट्रेनों को वंदे भारत में परिवर्तित किया जाएगा. साथ ही स्लीपर कोच के रखरखाव के लिए जोधपुर में डिपो व वर्कशॉप भी बनेगी, जिसका शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए शिलान्यास किया.
वहीं, इस प्रोजेक्ट पर 167 करोड़ की लागत आएगी और इसका संचालन रेलवे के 20 विभाग संयुक्त रूप से करेंगे. जोधपुर रेल मंडल प्रबंधक पंकज सिंह ने बताया कि प्रदेश के पहले वंदे भारत ट्रेन के रख रखाव डिपो के साथ ही वर्कशॉप भी संचालित होगी. उन्होंने बताया कि डिपो के भवन में प्री इंजीनियरिंग टेक्नोलॉजी वर्क होगा, जिसमें पूरा ढांचा अलग-अलग भाग में तैयार होते हैं और यहां उसे असंबल किया जाएगा.
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उन्होंने बताया कि पीएम मोदी ने जोधपुर रेल मंडल को शुक्रवार को कुल 577 करोड़ की सौगात दी है. इसमें जोधपुर से बीकानेर 277 किमी, जोधपुर-फलोदी 137 किलोमीटर इलेक्ट्रिफिकेशन कामों का लोकार्पण शामिल रहा. साथ ही भगत की कोठी स्टेशन पर आयोजित कार्यक्रम में राज्यसभा सांसद राजेंद्र गहलोत समेत रेलवे के अधिकारी मौजूद रहे. इस दौरान सीएम भजनलाल शर्मा भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में जुड़े थे.
वर्कशॉप में होगी ट्रेनिंग : भगत की कोठी में तैयार होने वाले डिपो व वर्कशॉप सिर्फ प्रदेश के लिए सीमित नहीं होंगे. आने वाली नई वंदे भारत के लिए इस वर्कशॉप को सेंट्रलाइज वर्कशॉप और ट्रेनिंग सेंटर के रूप में तैयार किया जाएगा. सेंट्रलाइज्ड वर्कशॉप में वंदे भारत का संचालन करने वाले रेल कर्मियों और इंजीनियरों को ट्रेनिंग दी जाएगी. इसके अलावा पूरे देश में संचालित होने वाली स्लीपर ट्रेन चलाने के लिए यहां ट्रेनिंग होगी. डिपो में कुल 20 तरह के विभाग संचालित होंगे.
पर्यावरण को होगा लाभ : डीआरएम ने बताया कि जोधपुर मंडल इलेक्ट्रिफिकेशन का काम तेजी से हो रहा है. इससे डिजल का उपयोग धीरे-धीरे बंद हो जाएगा. यह पर्यावरण के लिए बहुत लाभदायक होगा. इससे देश को डिजल का निर्यात धीरे-धीरे कम करना पड़ेगा. उन्होंने बताया कि जयपुर और जोधपुर के बीच दोहरीकरण का काम अब अंतिम चरण में है और ये इसी वर्ष पूरा हो जाएगा.