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गुलाबी सुंडी के प्रकोप से किसानों को नुकसान, हरियाणा-पंजाब-राजस्थान में नष्ट हो रही कपास की फसल, कृषि वैज्ञानिक कर रहे रिसर्च - Pink Bollworm Effect on Crops

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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Jul 23, 2024, 8:12 PM IST

Pink Bollworm Effect on Crops: हिसार में बारिश और जलभराव की वजह से किसानों की फसलें लगभग खराब हो चुकी हैं. किसानों ने सरकार से फौरन विशेष गिरदावरी करवाकर मुआवजा देने की मांग की है. बता दें कि जिला हिसार के उकलाना, बरवाला, नारनौद आदि क्षेत्र में नरमा के साथ-साथ बाजरा,ग्वार व कई स्थानों पर धान की फसल भी नष्ट हुई.

Pink Bollworm Effect on Crops
Pink Bollworm Effect on Crops (Etv Bharat)

हिसार: उतर भारत में गुलाबी सुंडी का कुछ राज्यों में प्रकोप बढ़ता जा रहा है. गुलाबी सुंडी के कारण किसानों को परेशानी हो रही है. हरियाणा, राजस्थान, पंजाब में गुलाबी सुंडी कपास की फसल पर बढ़ रही है. किसान सूबे सिंह ने बताया कि हरियाणा के हिसार, सिरसा, फतेहाबाद, फतेहाबाद, भिवानी चरखी दादरी, जींद में गुलाबी सुंडी का लगातार जा रही है. किसान नेता शमशेर नंबरदार, सूबे सिंह सतबीर ने बताया कि हरियाणा के कई जिलो में गुलाबी सुंडी कपास में बढ रही है. उन्होंने बताया कि पिछले साल किसानों का 90 प्रतिशत गुलाबी सुंडी के कारण नुकसान हुआ था. खेतों में कपास की खेती के लिए 25 से 30 हजार खर्च आता है.

40 गांवों का किया सर्वे: वहीं, कृषि वैज्ञानिक भी अपने सेमिनार के माध्यम से किसानों को जागरूक कर है. लेकिन सेमिनार का असर कितना पड़ेगा, वह आगे देखना होगा. भिवानी के कृषि विभाग के डिप्टी डायरेक्टर विनोद कुमार फोगाट ने बताया कि गांव में जाकर किसानों को जागरूक करने का काम कर रहे हैं. गुलाबी सुंडी से कैसे बचाव किया जा सकता है, हिसार की चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय की टीमों ने चालीस गांव में सर्वे किया है.

गुलाबी सुंडी की रोकथाम के लिए शोध जारी: कृषि वैज्ञानिकों ने बताया कि कपास की फसल में रासायनिक उर्वरकों एवं कीटनाशकों का प्रयोग करना चाहिए. उन्होंने बताया कि कपास फसल में आने वाली विभिन्न प्रकार की बीमारियों की रोकथाम को लेकर पंजाब, हरियाणा व राजस्थान के कृषि विश्वविद्यालय आपसी तालमेल के साथ सजगता से अपना कार्य कर रहे हैं. कपास उत्पादन को बढ़ाने और कीट एवं रोग मुक्त करने के लिए विश्वविद्यालय, प्रदेश का कृषि विभाग, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, केंद्रीय कपास शोध संस्थान, (सीएसआर, सिरसा) और कपास से जुड़ी कंपनियों को संयुक्त रूप से एकजुट होकर कार्य करना होगा.

कीट प्रबंधन संबंधी सलाह: नरमा फसल में गुलाबी सुंडी की निगरानी के लिए दो फेरोमोन ट्रेप प्रति एकड़ लगाएं या साप्ताहिक अंतराल पर कम से कम 150-200 फूलों का निरीक्षण करें. टिण्डे बनने की अवस्था में 20 टिण्डे प्रति एकड़ के हिसाब से तोडक़र उन्हें फाड़कर गुलाबी सुंडी का निरीक्षण करें. 12-15 गुलाबी सुंडी प्रौढ प्रति ट्रेप तीन रातों में या पांच से दस प्रतिशत फूल या टिंडा ग्रसित मिलने पर कीटनाशकों का प्रयोग करें. कीटनाशकों में प्रोफेनोफॉस 50 ईसी की 3 मिली मात्रा प्रति लीटर पानी या क्यूनालफॉस 25 ईसी की 3 से 4 मिली मात्रा प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिडक़ाव करें. सफेद मक्खी एवं हरा तेला का प्रकोप होने पर फ्लोनिकामिड 50 डब्ल्यू जी 60 ग्राम या एफिडोपायरोप्रेन 50 जी/एल की 400 मिली मात्रा प्रति एकड़ का छिड़काव करें.

ये भी पढ़ें: ये भी पढ़ें- हरियाणा में फसल विविधीकरण प्रोग्राम स्कीम के तहत किसानों से मांगे आवेदन, जानें कैसे उठा सकते हैं फायदा - Crop Diversification Scheme

ये भी पढ़ें: फसल अवशेष प्रबंधन योजना के तहत कृषि यंत्रों पर किसानों को मिलेगा 50 प्रतिशत का अनुदान, जानें कैसे करें आवेदन - Subsidy On Agricultural Equipment

हिसार: उतर भारत में गुलाबी सुंडी का कुछ राज्यों में प्रकोप बढ़ता जा रहा है. गुलाबी सुंडी के कारण किसानों को परेशानी हो रही है. हरियाणा, राजस्थान, पंजाब में गुलाबी सुंडी कपास की फसल पर बढ़ रही है. किसान सूबे सिंह ने बताया कि हरियाणा के हिसार, सिरसा, फतेहाबाद, फतेहाबाद, भिवानी चरखी दादरी, जींद में गुलाबी सुंडी का लगातार जा रही है. किसान नेता शमशेर नंबरदार, सूबे सिंह सतबीर ने बताया कि हरियाणा के कई जिलो में गुलाबी सुंडी कपास में बढ रही है. उन्होंने बताया कि पिछले साल किसानों का 90 प्रतिशत गुलाबी सुंडी के कारण नुकसान हुआ था. खेतों में कपास की खेती के लिए 25 से 30 हजार खर्च आता है.

40 गांवों का किया सर्वे: वहीं, कृषि वैज्ञानिक भी अपने सेमिनार के माध्यम से किसानों को जागरूक कर है. लेकिन सेमिनार का असर कितना पड़ेगा, वह आगे देखना होगा. भिवानी के कृषि विभाग के डिप्टी डायरेक्टर विनोद कुमार फोगाट ने बताया कि गांव में जाकर किसानों को जागरूक करने का काम कर रहे हैं. गुलाबी सुंडी से कैसे बचाव किया जा सकता है, हिसार की चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय की टीमों ने चालीस गांव में सर्वे किया है.

गुलाबी सुंडी की रोकथाम के लिए शोध जारी: कृषि वैज्ञानिकों ने बताया कि कपास की फसल में रासायनिक उर्वरकों एवं कीटनाशकों का प्रयोग करना चाहिए. उन्होंने बताया कि कपास फसल में आने वाली विभिन्न प्रकार की बीमारियों की रोकथाम को लेकर पंजाब, हरियाणा व राजस्थान के कृषि विश्वविद्यालय आपसी तालमेल के साथ सजगता से अपना कार्य कर रहे हैं. कपास उत्पादन को बढ़ाने और कीट एवं रोग मुक्त करने के लिए विश्वविद्यालय, प्रदेश का कृषि विभाग, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, केंद्रीय कपास शोध संस्थान, (सीएसआर, सिरसा) और कपास से जुड़ी कंपनियों को संयुक्त रूप से एकजुट होकर कार्य करना होगा.

कीट प्रबंधन संबंधी सलाह: नरमा फसल में गुलाबी सुंडी की निगरानी के लिए दो फेरोमोन ट्रेप प्रति एकड़ लगाएं या साप्ताहिक अंतराल पर कम से कम 150-200 फूलों का निरीक्षण करें. टिण्डे बनने की अवस्था में 20 टिण्डे प्रति एकड़ के हिसाब से तोडक़र उन्हें फाड़कर गुलाबी सुंडी का निरीक्षण करें. 12-15 गुलाबी सुंडी प्रौढ प्रति ट्रेप तीन रातों में या पांच से दस प्रतिशत फूल या टिंडा ग्रसित मिलने पर कीटनाशकों का प्रयोग करें. कीटनाशकों में प्रोफेनोफॉस 50 ईसी की 3 मिली मात्रा प्रति लीटर पानी या क्यूनालफॉस 25 ईसी की 3 से 4 मिली मात्रा प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिडक़ाव करें. सफेद मक्खी एवं हरा तेला का प्रकोप होने पर फ्लोनिकामिड 50 डब्ल्यू जी 60 ग्राम या एफिडोपायरोप्रेन 50 जी/एल की 400 मिली मात्रा प्रति एकड़ का छिड़काव करें.

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