रुद्रप्रयाग: केदारनाथ यात्रा का अहम पड़ाव सोनप्रयाग-गौरीकुंड राजमार्ग आपदा के बाद से ठीक नहीं हो पाया है. राजमार्ग के सोनप्रयाग-गौरीकुंड के बीच कई स्थानों पर ध्वस्त होने से जहां तीर्थ यात्री परेशान हैं. वहीं स्थानीय लोगों को भी भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में यात्रा पड़ावों में समय पर जरुरी सामग्री नहीं पहुंच पा रही है. हालांकि एनएच विभाग की ओर से राजमार्ग को दुरुस्त करने को लेकर रात-दिन काम किया जा रहा है, लेकिन केदारघाटी में लगातार बिगड़ते मौसम के कारण कार्य करने में दिक्कतें आ रही हैं.
31 जुलाई की रात केदारनाथ पैदल मार्ग पर आई आपदा ने भारी नुकसान पहुंचाया. आपदा के बाद से जहां गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग अभी भी कई स्थानों में डेंजर स्थिति में है. वहीं सोनप्रयाग से गौरीकुंड के बीच राजमार्ग भी जगह-जगह ध्वस्त होने से आवाजाही बंद है. ऐसे में तीर्थयात्रियों को सोनप्रयाग से पैदल चलकर पहले गौरीकुंड पहुंचना पड़ रहा है और फिर 19 किमी का सफर तय करना पड़ रहा है. राजमार्ग के बंद होने से केदारनाथ यात्रा पड़ावों में समय से जरूरी सामान भी नहीं पहुंच पा रहा है. ट्रेड यूनियन के अध्यक्ष अवतार सिंह नेगी ने कहा कि सोनप्रयाग-गौरीकुंड राजमार्ग पर 21 दिनों से आवाजाही बंद है.
जिस कारण गौरीकुंड से लेकर केदारनाथ धाम तक रोजगार कर रहे व्यापारियों के साथ ही स्थानीय ग्रामीण जनता भी परेशान है. उन्होंने कहा कि राजमार्ग को दुरूस्त किया जाना बेहद जरूरी है. देश-विदेश से तीर्थयात्री केदारनाथ धाम आना चाहते हैं, लेकिन राजमार्ग के कई जगहों पर क्षतिग्रस्त होने से गिनती के तीर्थयात्री ही धाम पहुंच पा रहे हैं. उन्होंने सरकार और शासन-प्रशासन से जल्द राजमार्ग को दुरूस्त करने की मांग की है, जिससे यात्रा पड़ावों में प्रभावित व्यापारियों को राहत मिल सके और उनका रोजगार पुनः चल सके. वहीं एनएच विभाग के अधिशासी अभियंता निर्भय सिंह ने बताया कि सोनप्रयाग-गौरीकुंड के बीच राजमार्ग कई जगहों पर क्षतिग्रस्त है, जिसे बनाने के लिए 20 से 25 करोड़ रूपए का खर्च आ रहा है.
फिलहाल व्यवस्था के तौर पर कार्य तेजी से किया जा रहा है, लेकिन यहां राजमार्ग का स्थायी समाधान किया जाना जरूरी है. इसको लेकर 208 करोड़ का स्टीमेट बनाया गया है. जिससे मंदाकिनी नदी से राजमार्ग को खतरा नहीं होगा और स्थायी समाधान हो सकेगा.
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