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समाजवादी पार्टी के पोस्टर पर बसपा संस्थापक कांशीराम की तस्वीर, रणनीति या विचारधारा में बदलाव? - LUCKNOW NEWS

दलित वोटों को साधने की दिशा में एक कदम और आगे बढ़ी सपा, लखनऊ में हुए कार्यक्रम में दिखाई दी झलक

समाजवादी पार्टी के पोस्टर पर बसपा संस्थापक कांशीराम की तस्वीर.
समाजवादी पार्टी के पोस्टर पर बसपा संस्थापक कांशीराम की तस्वीर. (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 1, 2025, 7:58 PM IST

Updated : Jan 1, 2025, 10:05 PM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में आगामी विधनसभा चुनाव की तैयारी के मद्देनजर समाजवादी पार्टी (सपा) अपनी रणनीति में बदलाव के संकेत दे रही है. बुधवार को लखनऊ के सहकारिता भवन में आयोजित एक कार्यक्रम में पार्टी के पोस्टरों और बैनरों पर बसपा के संस्थापक कांशीराम की तस्वीर देखी गई. यह पहल सपा की नई राजनीतिक रणनीति के रूप में देखी जा रही है, जिसे दलित, पिछड़े और वंचित समाज को जोड़ने के उद्देश्य से किया गया है.


कार्यक्रम में मुख्य अतिथि, मोहनलालगंज के सांसद आरके चौधरी ने कांशीराम के योगदान को याद करते हुए कहा कि उन्होंने दलित, पिछड़े और वंचित वर्ग के हक के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया. यह भी कहा कि समाजवादी पार्टी कांशीराम की विचारधारा को आगे बढ़ाने के लिए काम कर रही है. पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव इस दिशा में संघर्षरत हैं.

इसी क्रम में समाजवादी पार्टी के पूर्व मंत्री और लखनऊ मध्य से विधायक रविदास मेहरोत्रा ने कहा कि सपा हमेशा से मान्यवर कांशीराम का सम्मान करती आई है. अब पार्टी उनके योगदान को पोस्टर और बैनरों में जगह देकर दिखा रही है. अखिलेश यादव दलित, पिछड़े और वंचित समाज के अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे हैं.

जानकारी देते आरके चौधरी (Video Credit; ETV Bharat)

राजनीति में बदलाव की झलक : राजनीति विश्लेषक जैद अहमद फारुकी का मानना है कि सपा का यह कदम 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले अपनी राजनीतिक ताकत को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है. कांशीराम और बाबा साहब भीमराव आंबेडकर की तस्वीरें लगाकर सपा ने स्पष्ट संकेत दिया है कि वह दलितों और पिछड़ों को पार्टी के साथ जोड़ने की पुरजोर कोशिश कर रही है. 2024 के लोकसभा चुनाव में भी समाजवादी पार्टी ने दलित उम्मीदवारों को मैदान में उतार कर नेतृत्व दिया था. अब 2027 में भी इसी नक्शेकदम पर चलने की संकेत दे रही है.

क्या यह 2027 की रणनीति है? : फारुकी का मानना है कि 2027 के विधानसभा चुनावों के लिए भी पार्टी की रणनीति का हिस्सा हो सकता है. सपा का यह कदम यह दिखाता है कि पार्टी अब व्यापक सामाजिक गठबंधन बनाने की दिशा में कदम बढ़ा रही है. समाजवादी पार्टी के इस नए रुख ने उत्तर प्रदेश की राजनीति में नए समीकरणों की शुरुआत कर दी है.

यह भी पढ़ें : सपा सांसद अवधेश प्रसाद ने BJP सरकार पर साधा निशाना, बोले-अयोध्या में लोगों को उजाड़ा गया - MIRZAPUR NEWS

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में आगामी विधनसभा चुनाव की तैयारी के मद्देनजर समाजवादी पार्टी (सपा) अपनी रणनीति में बदलाव के संकेत दे रही है. बुधवार को लखनऊ के सहकारिता भवन में आयोजित एक कार्यक्रम में पार्टी के पोस्टरों और बैनरों पर बसपा के संस्थापक कांशीराम की तस्वीर देखी गई. यह पहल सपा की नई राजनीतिक रणनीति के रूप में देखी जा रही है, जिसे दलित, पिछड़े और वंचित समाज को जोड़ने के उद्देश्य से किया गया है.


कार्यक्रम में मुख्य अतिथि, मोहनलालगंज के सांसद आरके चौधरी ने कांशीराम के योगदान को याद करते हुए कहा कि उन्होंने दलित, पिछड़े और वंचित वर्ग के हक के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया. यह भी कहा कि समाजवादी पार्टी कांशीराम की विचारधारा को आगे बढ़ाने के लिए काम कर रही है. पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव इस दिशा में संघर्षरत हैं.

इसी क्रम में समाजवादी पार्टी के पूर्व मंत्री और लखनऊ मध्य से विधायक रविदास मेहरोत्रा ने कहा कि सपा हमेशा से मान्यवर कांशीराम का सम्मान करती आई है. अब पार्टी उनके योगदान को पोस्टर और बैनरों में जगह देकर दिखा रही है. अखिलेश यादव दलित, पिछड़े और वंचित समाज के अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे हैं.

जानकारी देते आरके चौधरी (Video Credit; ETV Bharat)

राजनीति में बदलाव की झलक : राजनीति विश्लेषक जैद अहमद फारुकी का मानना है कि सपा का यह कदम 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले अपनी राजनीतिक ताकत को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है. कांशीराम और बाबा साहब भीमराव आंबेडकर की तस्वीरें लगाकर सपा ने स्पष्ट संकेत दिया है कि वह दलितों और पिछड़ों को पार्टी के साथ जोड़ने की पुरजोर कोशिश कर रही है. 2024 के लोकसभा चुनाव में भी समाजवादी पार्टी ने दलित उम्मीदवारों को मैदान में उतार कर नेतृत्व दिया था. अब 2027 में भी इसी नक्शेकदम पर चलने की संकेत दे रही है.

क्या यह 2027 की रणनीति है? : फारुकी का मानना है कि 2027 के विधानसभा चुनावों के लिए भी पार्टी की रणनीति का हिस्सा हो सकता है. सपा का यह कदम यह दिखाता है कि पार्टी अब व्यापक सामाजिक गठबंधन बनाने की दिशा में कदम बढ़ा रही है. समाजवादी पार्टी के इस नए रुख ने उत्तर प्रदेश की राजनीति में नए समीकरणों की शुरुआत कर दी है.

यह भी पढ़ें : सपा सांसद अवधेश प्रसाद ने BJP सरकार पर साधा निशाना, बोले-अयोध्या में लोगों को उजाड़ा गया - MIRZAPUR NEWS

Last Updated : Jan 1, 2025, 10:05 PM IST
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