लखनऊ: आमतौर पर आज के समय पर हड्डियों और मसल्स में दर्द हर उम्र वर्ग के लोगों की समस्या बन गई है. चाहे बुजुर्ग हो या युवा, हर कोई मसल्स दर्द और जोड़ों के दर्द से परेशान है. फिजियोथैरेपी वह विधि है, जिसके द्वारा मरीज को दर्द से निजात मिलती है. फिजियोथैरेपी कई तरह की होती है. आमतौर पर लोग समझ नहीं पाते हैं, कि उनकी मसल्स और हड्डीयों के दर्द को फिजियोथैरेपी दूर कर सकती है. इन दोनों शहर के सभी जिला अस्पतालों में फिजियोथेरेपी की व्यवस्था उपलब्ध है.
सिविल के थेरेपी वार्ड में लगेंगी नई मशीनें: बता दें, कि सिविल अस्पताल में बने फिजियोथेरेपी वार्ड का विस्तार नवंबर 2023 में किया जाने का प्रस्ताव पास किया गया था. इसके लिए बजट भी जारी हुआ था, जिससे नए उपकरण खरीदे जाने थे. लेकिन पांच माह से अधिक समय बीतने के बाद भी न तो वार्ड का विस्तार किया जा सका और न ही मशीनें लग सकीं. कुछ महीनों पहले यहां निम्न ग्रेड की मशीनें भेजी गई थी. जिनकी उपयोगिता बेहतर न होने के कारण वापस लौटा दिया गया था.
अब यहां फिजियोथेरेपी के लिए शॉर्ट वेव डायथर्मी, लंबर ट्रैकर और सर्वाइकल ट्रैकर की मशीन भेजी गई हैं. इससे पहले सिविल अस्पताल में शॉर्ट वेव डायथर्मी मशीन नहीं थी. इस कारण यहां रीढ़ की हड्डी के मरीजों की फिजियोथेरेपी नहीं हो पाती थी. अब इन मरीजों को दूसरे अस्पताल नहीं जाना पड़ेगा. वहीं, बलरामपुर जिला अस्पताल में पहले से ही फिजियोथैरेपी का वार्ड संचालित है. यहां रोजाना 50 से अधिक मरीजों को फिजियोथैरेपी दी जाती है.
फिजियोथैरेपी से दूर होगा हड्डियों में दर्द: सिविल अस्पताल के आर्थोपेडिक विशेषज्ञ डॉ. रमेश कुमार ने बताया, कि फिजियोथैरेपी की मदद से बहुत सारे मरीजों को राहत मिलती है. फिजियोथैरेपी की जरूरत अलग-अलग दिक्कत के कारण पड़ती है. किसी मरीज को मसल्स में तकलीफ होती है, तो किसी मरीज को कमर की, तो किसी को घुटनों की हड्डियों में दर्द की समस्या होती है. ऐसे मरीजों के लिए फिजियोथैरेपी काफी मददगार होती है.
फिजियोथेरेपी से किसी भी अंग में हुए सूजन को समाप्त किया जा सकता है. अगर किसी मरीज के कमर, पीठ, जांघ, घुटनों में तकलीफ है तो उस दर्द को भी फिजियोथेरेपी के जरिए दूर किया जा सकता है. उन्होंने कहा, कि लगभग सभी अस्पतालों में फिजियोथैरेपी मशीन होती है. कोई भी मरीज आसानी से नजदीकी सरकारी जिला अस्पताल में जाकर फिजियोथैरेपी कर सकता हैं.
वरिष्ठ आर्थोपेडिक विशेषज्ञ डॉक्टर डीके गंगवार ने बताया, कि ऑर्थोपेडिक में फिजियोथैरेपी का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है. फिजियोथैरेपी वह तकनीक है. जिसके जरिए किसी भी अंग की थेरेपी हो सकती है. फिजियोथेरेपी कई अलग-अलग प्रकार की होती हैं. वरिष्ठ नागरिकों के लिए सबसे अच्छी शैली उनकी जरुरतों और स्वास्थ्य स्थिति पर निर्भर करेगी.
डॉक्टर डीके गंगवार ने कहा, कि आज के समय में युवा वर्ग के लोग भी गठिया से पीड़ित हो रहे हैं. कोविड के बाद से भारी संख्या में लोग अर्थराइटिस के शिकार हो रहे हैं. जिसके कारण अब यह कहना उचित नहीं होगा, कि सिर्फ वरिष्ठ नागरिक ही गठिया से पीड़ित होते हैं. अब हर उम्र वर्ग के लोग गठिया से पीड़ित हो रहे हैं. इसका सबसे बड़ा कारण है बदलती जीवन शैली. अगर युवा वर्ग के लोग अपनी जीवन शैली पर ध्यान दे तो उन्हें गठिया जैसी बीमारी अपनी गिरफ्त में नहीं लेगी.
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गठिया प्रबंधन: डॉ. डीके गंगवार ने बताया कि फिजियोथेरेपी गठिया से प्रभावित जोड़ों में दर्द और सूजन को कम करने में मदद कर सकती है. यह जोड़ों की गति की सीमा को बेहतर बनाने और जोड़ों के आसपास की मांसपेशियों को मजबूत करने में भी मदद कर सकती है.
ऑस्टियोपोरोसिस प्रबंधन: उन्होंने बताया कि ऑस्टियोपोरोसिस एक ऐसी स्थिति है जिसके कारण हड्डियां कमज़ोर और भंगुर हो जाती हैं. फिजियोथेरेपी हड्डियों के घनत्व को बेहतर बनाने और फ्रैक्चर को रोकने में मदद कर सकती है. यह बुजुर्गों को अपना संतुलन बनाए रखने और गिरने से बचाने में भी मदद कर सकती है.
संतुलन प्रशिक्षण: उन्होंने बताया कि उम्र बढ़ने के साथ-साथ लोग अक्सर संतुलन बनाने की अपनी क्षमता खो देते हैं. इससे गिरने और चोट लगने की संभावना बढ़ जाती है. संतुलन प्रशिक्षण बुजुर्गों को अपना संतुलन वापस पाने और गिरने से बचने में मदद करता है. फिजियोथेरेपी शुरू करने वाले लोगों को अपने डॉक्टर या फिजियोथेरेपिस्ट से बात करनी चाहिए. ताकि, यह निर्धारित किया जा सके कि उनके लिए किस प्रकार की थेरेपी सर्वोत्तम होगी.
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