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ईदगाह पार्क में लक्ष्मीबाई की मूर्ति को लेकर दायर याचिका निस्तारित - EIDGAH PARK JHANSI KI RANI STATUE

ईदगाह पार्क में झांसी की रानी की मूर्ति लगाने को लेकर दायर याचिका का हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस मनमोहन की बेंच ने निस्तारण कर दिया.

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : 3 hours ago

ईदगाह पार्क में लक्ष्मीबाई की मूर्ति को लेकर दायर याचिका निस्तारित
ईदगाह पार्क में लक्ष्मीबाई की मूर्ति को लेकर दायर याचिका निस्तारित (ETV BHARAT)

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने ईदगाह पार्क में झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की मूर्ति लगाने को लेकर दायर याचिका का निपटारा कर दिया. आज चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच को बताया गया झांसी की रानी की मूर्ति को उचित ढंग से बाउंड्री वाल बनाकर कर लगाई है. ईदगाह की दीवार से दो सौ मीटर की दूरी पर झांसी की मूर्ति को स्थापित किया गया है.

हाईकोर्ट ने 4 अक्टूबर को ईदगाह प्रबंधन कमेटी को अपने तीन प्रतिनिधि 5 अक्टूबर को ईदगाह पार्क जाकर देखने को कहा था कि क्या झांसी की रानी की मूर्ति स्थापित करने का कोई वैकल्पिक स्थान हो सकता है. सुनवाई के दौरान डीडीए ने कहा था कि हम सबकी धार्मिक भावनाओं का सम्मान करते हैं. इसलिए मूर्ति को पार्क के कोने में स्थापित किया गया है और उस मूर्ति के चारों तरफ दीवार भी है.

इसके पहले हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने ईदगाह पार्क में झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की मूर्ति लगाने की इजाजत देने वाले दिल्ली हाईकोर्ट के सिंगल जज के फैसले को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ता को फटकार लगाई थी. चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा था कि हम महिला सशक्तिकरण की बात करते हैं और आप एक महिला सेनानी की मूर्ति लगाने पर आपत्ति जता रहे हैं.

हाईकोर्ट ने कहा था कि झांसी की रानी लक्ष्मीबाई राष्ट्रीय हीरो हैं. उसको धार्मिक रूप नहीं देना चाहिए, वो सभी धार्मिक सीमाओं के परे वह एक राष्ट्रीय हीरो हैं. आप इसको धार्मिक रंग देने की कोशिश कर रहे हैं. डिवीजन बेंच ने कहा था कि याचिकाकर्ता सांप्रदायिक राजनीति कर रहे हैं और वे कोर्ट का इस्तेमाल कर रहे हैं. ये दुर्भाग्यपूर्ण है. सिंगल बेंच ने जो कहा है उसे पढ़िए. आप माफी मांगिए.

याचिका शाही ईदगाह प्रबंधन कमेटी ने दायर की थी. याचिका में कहा गया था कि शाही ईदगाह की जमीन पर अतिक्रमण पर रोक लगाई जाए क्योंकि ये एक वक्फ संपत्ति है. याचिका में 1970 के गजट नोटिफिकेशन का जिक्र किया गया था, जिसमें शाही ईदगाह पार्क को प्राचीन संपत्ति बताया गया था जो मुगल काल में बनी थी और वहां नमाज अदा की जाती है. सिंगल बेंच ने याचिका खारिज करते हुए कहा था कि ईदगाह के बाउंड्री के चारों ओर का खुला इलाका और ईदगाह पार्क डीडीए की संपत्ति है.

ये भी पढ़ें : दिल्लीः शाही ईदगाह पार्क में रानी लक्ष्मीबाई की मूर्ति स्थापित -

ये भी पढ़ें : झांसी की रानी लक्ष्मीबाई राष्ट्रीय हीरो, आप माफी मांगें, शाही ईदगाह कमेटी को दिल्ली हाईकोर्ट ने लगाई फटकार

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने ईदगाह पार्क में झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की मूर्ति लगाने को लेकर दायर याचिका का निपटारा कर दिया. आज चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच को बताया गया झांसी की रानी की मूर्ति को उचित ढंग से बाउंड्री वाल बनाकर कर लगाई है. ईदगाह की दीवार से दो सौ मीटर की दूरी पर झांसी की मूर्ति को स्थापित किया गया है.

हाईकोर्ट ने 4 अक्टूबर को ईदगाह प्रबंधन कमेटी को अपने तीन प्रतिनिधि 5 अक्टूबर को ईदगाह पार्क जाकर देखने को कहा था कि क्या झांसी की रानी की मूर्ति स्थापित करने का कोई वैकल्पिक स्थान हो सकता है. सुनवाई के दौरान डीडीए ने कहा था कि हम सबकी धार्मिक भावनाओं का सम्मान करते हैं. इसलिए मूर्ति को पार्क के कोने में स्थापित किया गया है और उस मूर्ति के चारों तरफ दीवार भी है.

इसके पहले हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने ईदगाह पार्क में झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की मूर्ति लगाने की इजाजत देने वाले दिल्ली हाईकोर्ट के सिंगल जज के फैसले को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ता को फटकार लगाई थी. चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा था कि हम महिला सशक्तिकरण की बात करते हैं और आप एक महिला सेनानी की मूर्ति लगाने पर आपत्ति जता रहे हैं.

हाईकोर्ट ने कहा था कि झांसी की रानी लक्ष्मीबाई राष्ट्रीय हीरो हैं. उसको धार्मिक रूप नहीं देना चाहिए, वो सभी धार्मिक सीमाओं के परे वह एक राष्ट्रीय हीरो हैं. आप इसको धार्मिक रंग देने की कोशिश कर रहे हैं. डिवीजन बेंच ने कहा था कि याचिकाकर्ता सांप्रदायिक राजनीति कर रहे हैं और वे कोर्ट का इस्तेमाल कर रहे हैं. ये दुर्भाग्यपूर्ण है. सिंगल बेंच ने जो कहा है उसे पढ़िए. आप माफी मांगिए.

याचिका शाही ईदगाह प्रबंधन कमेटी ने दायर की थी. याचिका में कहा गया था कि शाही ईदगाह की जमीन पर अतिक्रमण पर रोक लगाई जाए क्योंकि ये एक वक्फ संपत्ति है. याचिका में 1970 के गजट नोटिफिकेशन का जिक्र किया गया था, जिसमें शाही ईदगाह पार्क को प्राचीन संपत्ति बताया गया था जो मुगल काल में बनी थी और वहां नमाज अदा की जाती है. सिंगल बेंच ने याचिका खारिज करते हुए कहा था कि ईदगाह के बाउंड्री के चारों ओर का खुला इलाका और ईदगाह पार्क डीडीए की संपत्ति है.

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