नई दिल्लीः दिल्ली हाईकोर्ट पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) पर प्रतिबंध लगाने के आदेश के खिलाफ याचिका पर 11 सितंबर को सुनवाई करेगा. याचिका PFI ने दायर की है. कार्यकारी चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने PFI के वकील को संक्षिप्त नोट दाखिल करने का निर्देश दिया. सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से पेश एएसजी चेतन शर्मा ने याचिका में लिखे कुछ वाक्यों पर आपत्ति जताई थी.
याचिका में लिखा गया था कि PFI को प्रतिबंधित करने का नोटिफिकेशन कानून का दुरुपयोग है और वो गैरकानूनी और मानवाधिकारों के उल्लंघन वाला है. इन वाक्यों पर शर्मा ने आपत्ति जताई. PFI की ओर से पेश वकील अदीत एस पुजारी ने कहा था कि याचिका में लिखे गए ये वाक्य उन गवाहों के बयान पर आधारित है, जो ट्रिब्यूनल के समक्ष पेश हुए थे.
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से किया था इनकारः PFI ने प्रतिबंध के खिलाफ पहले सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. सुप्रीम कोर्ट ने 6 नवंबर 2023 को याचिका पर सुनवाई करने से इनकार करते हुए हाईकोर्ट जाने को कहा था. इसके बाद संगठन हाईकोर्ट पहुंचा है. दरअसल, PFI को केंद्र सरकार ने गैरकानूनी संगठन अधिनियम की धारा 3(1) में दिए गए अधिकार का इस्तेमाल करते हुए प्रतिबंधित करार दिया था. 21 मार्च को दिल्ली हाईकोर्ट के जज जस्टिस दिनेश शर्मा की अध्यक्षता वाली यूएपीए ट्रिब्युनल ने पीएफआई और उससे जुड़े दूसरे संगठनों पर प्रतिबंध लगाने के केंद्र सरकार के फैसले पर मुहर लगाई थी.
5 साल का लगा है प्रतिबंधः 28 सितंबर 2022 को केंद्र सरकार ने पीएफआई और उसके सहयोगी संगठनों को पांच सालों के लिए प्रतिबंधित कर दिया था. केंद्र ने पीएफआई के सहयोगी संगठनों रिहैब इंडिया फाउंडेशन (आरआईएफ), कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (सीएफआई), ऑल इंडिया इमाम्स काउंसिल (एआईसीसी), नेशनल कंफेडरेशन ऑफ ह्यूमन राईट्स आर्गनाइजेशन (एनसीएचआरओ) नेशनल वुमंस फ्रंट, जूनियर फ्रंट, एम्पावर इंडिया फाउंडेशन और रिहैब फाउंडेशन, केरल को भी प्रतिबंधित किया है.