हमीरपुर: जिला हमीरपुर में मक्की की फसल में लग रहे फॉल आर्मीवर्म कीड़े को लेकर कृषि विभाग ने कीटनाशक दवाइयां को लेकर किसानों को जागरूक करना शुरू कर दिया है. कृषि उपनिदेशक हमीरपुर डॉ. शशिपाल अत्री ने बताया की जिले में मक्की की फसल को बचाने के लिए कृषि विभाग के पास कोराजन कीटनाशक सभी विकास खंडों में उपलब्ध है.
कैसे करें कोराजन की स्प्रे?
कोराजन का पहला स्प्रे बुआई के दस दिन बाद मक्की के पत्तों के भंवर में करें. स्प्रे को सुबह के शुरुआती घंटों में या शाम के समय में करना चाहिए और स्प्रे नोजल को पत्ती भंवर की ओर रखा जाना चाहिए, जिसमें लार्वा आमतौर पर फीड करते हैं. बुआई के 18-22 दिन के बाद स्प्रे को दोहराएं.
एक बार में 50 से 200 अंडे देती है ये मादा कीट
डॉ. शशिपाल अत्री ने बताया कि खरीफ मक्का की फसल में फॉल आर्मीवर्म का अधिक प्रकोप दिखाई दे रहा है. इसका अधिक प्रकोप होने पर फसल को एक ही रात में भारी नुकसान पहुंच सकता है. इस कीट की व्यस्क मादा पौधों की पत्तियों और तनों पर अंडे देती है. एक बार में मादा 50-200 अंडे देती है. यह अंडे 3-4 दिन में फूट जाते हैं और इनसे निकलने वाले लार्वा 14-22 दिन तक इस अवस्था में रहता है. कीट के लार्वा के जीवन चक्र की तीसरी अवस्था तक इसकी पहचान करना मुश्किल है, लेकिन चौथी अवस्था में इसकी पहचान आसानी से की जा सकती है.
फॉल आर्मीवर्म की पहचान
डॉ. अत्री ने बताया कि चौथी अवस्था में लार्वा के सिर पर अंग्रेजी के उल्टे ‘Y’ आकार का सफेद निशान दिखाई देता है. इसके लार्वा पौधों की पत्तियों को खुरचकर खाता है, जिससे पत्तियों पर सफेद धारियां दिखाई देती हैं. जैसे-जैसे लार्वा बड़ा होता है, पौधों की ऊपरी पत्तियों को खाता है और बाद में पौधों के भुट्टे में घुसकर अपना भोजन प्राप्त करता है.
80 से अधिक फसलों को पहुंचाता है नुकसान
कृषि उपनिदेशक हमीरपुर ने बताया कि फॉल आर्मीवर्म बहु फसल भक्षी कीट है, जो 80 से अधिक फसलों को नुकसान पहुंचाता है. अगर समय रहते फॉल आर्मीवर्मकीट की पहचान कर इस पर नियंत्रण नहीं किया गया, तो आने वाले समय में मक्की एवं अन्य फसलों में भारी तबाही हो सकती है. फसल के लिए लार्वा अवस्था हानिकारक होती है. उन्होंने किसानों से कहा कि भूमि की गहरी जुताई करें, ताकि कीट की लार्वा अवस्था या प्यूपा भूमि में गहरा दब जाए.
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