पूर्णिया: पुराने सामानों का कलेक्शन रखने का शौक कई लोगों को होता है. इस शौक के कारण कई बार वह फेमस भी हो जाते हैं. ऐसे ही एक शख्स बिहार के पूर्णिया के मरंगा थाना क्षेत्र निवासी दिनेश पंडित हैं. दिनेश पंडित के पास पुराने सिक्कों का कलेक्शन है,जिसे देखने के लिए लोग इनके पास आते हैं.
पुराने सिक्कों का कलेक्शन: ईटीवी भारत से खास बातचीत में दिनेश पंडित ने बताया कि उनके पास पुराने भारतीय सिक्कों का कलेक्शन है. 1835 से लेकर 2024 तक के सिक्के उनके पास है. उन्होंने कहा कि सिर पर कर्ज का बोझ है, इसलिए अब वह पुराने सिक्कों को बेचना चाहते हैं. बचपन से ही उन्हें पुराने सिक्कों को जमा करने का शौक था. उन्होंने छोटी सी उम्र से ही पुराने से पुराने सिक्कों को जमा करना शुरू कर दिया था. दिनेश ने कुछ पुराने सिक्के बेचे हैं और उससे अपने परिवार की परवरिश कर रहे हैं.
180 साल पुराने सिक्के: पूर्णिया मरंगा के निवासी दिनेश पंडित ने अपने जीवन काल से ही इन पुराने से पुराने सिक्कों को संभाल कर रखा है. दिनेश पंडित के पास 180 साल से भी ज्यादा पुराने सिक्कों का कलेक्शन है. दिनेश पंडित बताते हैं कि उन्हें पुराने सिक्का रखने का शौक बचपन से ही था.
इस कारण जम करते हैं सिक्के: उन्होंने पुराने सिक्कों का कलेक्शन जमा करने की मुख्य वजह बताई कि बचपन में बड़े बुजुर्ग से सुनने को मिलता था कि पुराने जमाने के सिक्के बहुमूल्य होते हैं और उनकी अच्छी कीमत मिलती है. साथ ही साथ देश एवं विदेश में एग्जीबिशन लगने पर लोगों की भीड़ उमड़ती है. उस समय से दिनेश ने पुराने सिक्कों को जमा करने की ठान ली.
"मैंने निर्णय लिया कि जो भी पुराने सिक्के जमा करूंगा उसे खर्च नहीं करेंगे बल्कि उसे जमा करेंगे. आर्थिक तंगी खराब होने के चलते मजबूरी में मुझे सिक्के बेचने पड़ रहे हैं. मुझे कई कॉल भी सिक्के बेचने के लिए आ रहे हैं."- दिनेश पंडित, पुराने सिक्कों के शौकीन
आर्थिक तंगी बनी बड़ी समस्या: वहीं दिनेश पंडित के मित्र मुरलीधर ने भी कहा कि दिनेश का शौक पूरे इलाके में चर्चा का विषय बना हुआ है. मुझे दो साल पहले ही पता चला कि उनके पास पुराने सिक्कों का कलेक्शन है. लेकिन तंगी के कारण उन्हें सिक्के बेचने पड़ रहे हैं.
"दिनेश ने कुछ पुराने सिक्के बेचे हैं. उसका भी सही मूल्य उन्हें नहीं मिल पाया. अब बचे हुए सिक्के उन्होंने अभी रखे हुए हैं. उनकी एक लाडली बेटी है और साल 2 साल के बाद उसकी शादी करेंगे. तब बचे हुए पुराने सिक्के बेचने पर उन्हें कुछ सहयोग मिल पाएगा. परिवार के लोगों से सहयोग की कोई भी उम्मीद नहीं है."- मुरलीधर, दिनेश पंडित के दोस्त
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