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लोकसभा चुनाव में कैसा रहा संथाल के मंत्रियों का प्रदर्शन, कौन रहा हिट और किसने किया निराश, जानिए विस्तार से - Lok Sabha election 2024 - LOK SABHA ELECTION 2024

Performance of Jharkhand ministers. लोकसभा चुनाव के दौरान झारखंड सरकार में संथाल से चार मंत्री थे. इनमें से दो मंत्रियों का प्रदर्शन शानदार रहा, जबकि दो मंत्रियों का प्रदर्शन निराशाजनक रहा. वे अपने क्षेत्र से भी अपने उम्मीदवार को ज्यादा वोट नहीं दिला पाए. आइए जानते हैं किस मंत्री का प्रदर्शन कैसा रहा.

Performance of Jharkhand ministers
कोलाज इमेज (ईटीवी भारत)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jun 12, 2024, 7:12 AM IST

गोड्डा: झारखंड के संथाल परगना में इंडिया गठबंधन के शानदार प्रदर्शन से इसके घटक दल खासे उत्साहित हैं. संथाल क्षेत्र एनडीए और इंडिया दोनों ही गठबंधन के लिए महत्वपूर्ण था. लेकिन, इसमें इंडिया गठबंधन ने बाजी मार ली. तीन लोकसभा सीटों में से ये मुकाबला 2-1 का रहा. चुनाव में इंडिया गठबंधन को जीत दिलाने का दारोमदार झारखंड सरकार के मंत्रियों पर अधिक था. इसमें कौन मंत्री पास हुए और कौन फेल, इसके बारे में जानते हैं.

झारखंड में संथाल की अहमियत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि राज्य में कुल 11 मंत्री हैं, जिनमें से तीन संथाल परगना से हैं. इससे पहले भी जब हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री थे, तब भी सीएम समेत तीन मंत्री इसी क्षेत्र से थे. जबकि राज्य में कुल पांच प्रमंडल हैं.

गौरतलब हो कि लोकसभा चुनाव के दौरान झारखंड सरकार में संथाल से चार मंत्री थे. इनमें पाकुड़ के विधायक आलमगीर आलम, दुमका के विधायक बसंत सोरेन, जरमुंडी के विधायक बादल पत्रलेख और मधुपुर के विधायक हफीजुल हसन शामिल हैं. लेकिन अब चुंकि आलमगीर आलम ने इस्तीफा दे दिया है. इसलिए यह आंकड़ा अब तीन हो गया है.

आम तौर पर मंत्रियों का काम पूरे राज्य में विकास और काम करना होता है. लेकिन चुनाव के दौरान यह उम्मीद की जाती है कि उनकी अपने क्षेत्र में अच्छी पकड़ हो और उनके दल या गठबंधन के उम्मीदवार चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करें. ऐसे में उनके क्षेत्र से उनके प्रत्याशी को कितने वोट मिलते हैं, इससे क्षेत्र में उनके प्रभाव का भी पता चलता है.

संथाल की तीन सीटों पर मत्रियों का प्रदर्शन

राजमहल लोकसभा सीट

राजमहल सीट से जेएमएम प्रत्याशी विजय हांसदा चुनाव मैदान में थे. उन्होंने इस चुनाव में 1,53,000 वोटों से जीत दर्ज की. पाकुड़ विधानसभा राजमहल लोकसभा सीट में आता है, यहां से आलमगीर आलम विधायक है, जो चुनाव के समय सरकार में मंत्री भी थे. पाकुड़ से विजय हांसदा को करीब 79,000 वोटों की बढ़त मिली. इस तरह आलमगीर आलम का भी प्रदर्शन सराहनीय माना जा रहा है.

दुमका लोकसभा सीट

दुमका लोकसभा सीट से एनडीए की ओर से जहां सीता सोरेन चुनाव मैदान में थी. वहीं झामुमो की ओर से नलिन सोरेन चुनाव लड़ रहे थे, इसमें नलिन सोरेन ने बाजी मारते हुए 27 हजार वोटों से जीत दर्ज की. दुमका विधानसभा से हेमंत सोरेन के भाई बसंत सोरेन विधायक हैं और झारखंड सरकार में मंत्री भी हैं. लेकिन अपने क्षेत्र से वे नलिन सोरेन को बढ़त नहीं दिला पाए. दुमका विधानसभा से सीता सोरेन करीब 10433 वोटों से आगे रहीं.

गोड्डा लोकसभा सीट

गोड्डा लोकसभा सीट से भाजपा के निशिकांत दुबे का मुकाबला कांग्रेस के प्रदीप यादव से था. इस क्षेत्र से झारखंड सरकार के दो मंत्री आते हैं. बादल पत्रलेख और हफीजुल हसन. बावजूद इसके निशिकांत दुबे को करीब एक लाख वोटों से जीत मिली. बादल पत्रलेख के इलाके जरमुंडी में निशिकांत दुबे का ज्यादा फायदा मिला. यहां से वे करीब 45 हजार वोटों से आगे रहे. हालांकि हफीजुल हसन के क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी को बढ़त जरूर मिली. यहां से प्रदीप यादव करीब 9000 वोटों से बढ़त बनाने में कामयाब रहे.

इस तरह अगर लोकसभा चुनाव में संथाल के मंत्रियों के प्रदर्शन की बात करें तो आलमगीर आलम और हफीजुल हसन का प्रदर्शन अच्छा रहा. वे अपने प्रत्याशी को वोट दिलाने में कामयाब रहे. लेकिन बादल पत्रलेख और बसंत सोरेन का प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा. दोनों के क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी आगे रहे. वहीं उनके प्रत्याशी पिछड़ गए.

पत्रकार हेमचंद्र कहते हैं कि अल्पसंख्यक मंत्री आलमगीर के जेल में रहने के बावजूद एक विधानसभा में 79 हजार की बढ़त सराहनीय है, हफीजुल ने भी अपनी इज्जत बचा ली, लेकिन बादल पत्रलेख के क्षेत्र में भाजपा प्रत्याशी को 45 हजार की बढ़त उनके खुद के भविष्य पर सवाल खड़ा करती है. बसंत हाल ही में मंत्री बने हैं, ऐसे में उनके क्षेत्र दुमका में झामुमो का पिछड़ना चिंता का विषय है.

यह भी पढ़ें: आज के झारखंड का कुर्मी नेता कौन 'टाइगर या सुदेश', आजसू के गढ़ में जेबीकेएसएस लगा चुका है सेंध, चुनावी आंकड़े दे रहे हैं गवाही - Kurmi leader in Jharkhand

यह भी पढ़ें: क्या झारखंड के दलित वोटर्स ने इंडिया गठबंधन को नकारा, सभी 09 एससी आरक्षित विधानसभा सीटों पर भाजपा रही आगे! - Lok Sabha election 2024

यह भी पढ़ें: संथाल परगना की लोकसभा सीटों पर इंडिया गठबंधन को बढ़त, पर विधानसभावार हो गया तीन सीटों का नुकसान, जानिए कैसे हुआ ये खेल - Jharkhand Lok Sabha Election Result 2024

गोड्डा: झारखंड के संथाल परगना में इंडिया गठबंधन के शानदार प्रदर्शन से इसके घटक दल खासे उत्साहित हैं. संथाल क्षेत्र एनडीए और इंडिया दोनों ही गठबंधन के लिए महत्वपूर्ण था. लेकिन, इसमें इंडिया गठबंधन ने बाजी मार ली. तीन लोकसभा सीटों में से ये मुकाबला 2-1 का रहा. चुनाव में इंडिया गठबंधन को जीत दिलाने का दारोमदार झारखंड सरकार के मंत्रियों पर अधिक था. इसमें कौन मंत्री पास हुए और कौन फेल, इसके बारे में जानते हैं.

झारखंड में संथाल की अहमियत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि राज्य में कुल 11 मंत्री हैं, जिनमें से तीन संथाल परगना से हैं. इससे पहले भी जब हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री थे, तब भी सीएम समेत तीन मंत्री इसी क्षेत्र से थे. जबकि राज्य में कुल पांच प्रमंडल हैं.

गौरतलब हो कि लोकसभा चुनाव के दौरान झारखंड सरकार में संथाल से चार मंत्री थे. इनमें पाकुड़ के विधायक आलमगीर आलम, दुमका के विधायक बसंत सोरेन, जरमुंडी के विधायक बादल पत्रलेख और मधुपुर के विधायक हफीजुल हसन शामिल हैं. लेकिन अब चुंकि आलमगीर आलम ने इस्तीफा दे दिया है. इसलिए यह आंकड़ा अब तीन हो गया है.

आम तौर पर मंत्रियों का काम पूरे राज्य में विकास और काम करना होता है. लेकिन चुनाव के दौरान यह उम्मीद की जाती है कि उनकी अपने क्षेत्र में अच्छी पकड़ हो और उनके दल या गठबंधन के उम्मीदवार चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करें. ऐसे में उनके क्षेत्र से उनके प्रत्याशी को कितने वोट मिलते हैं, इससे क्षेत्र में उनके प्रभाव का भी पता चलता है.

संथाल की तीन सीटों पर मत्रियों का प्रदर्शन

राजमहल लोकसभा सीट

राजमहल सीट से जेएमएम प्रत्याशी विजय हांसदा चुनाव मैदान में थे. उन्होंने इस चुनाव में 1,53,000 वोटों से जीत दर्ज की. पाकुड़ विधानसभा राजमहल लोकसभा सीट में आता है, यहां से आलमगीर आलम विधायक है, जो चुनाव के समय सरकार में मंत्री भी थे. पाकुड़ से विजय हांसदा को करीब 79,000 वोटों की बढ़त मिली. इस तरह आलमगीर आलम का भी प्रदर्शन सराहनीय माना जा रहा है.

दुमका लोकसभा सीट

दुमका लोकसभा सीट से एनडीए की ओर से जहां सीता सोरेन चुनाव मैदान में थी. वहीं झामुमो की ओर से नलिन सोरेन चुनाव लड़ रहे थे, इसमें नलिन सोरेन ने बाजी मारते हुए 27 हजार वोटों से जीत दर्ज की. दुमका विधानसभा से हेमंत सोरेन के भाई बसंत सोरेन विधायक हैं और झारखंड सरकार में मंत्री भी हैं. लेकिन अपने क्षेत्र से वे नलिन सोरेन को बढ़त नहीं दिला पाए. दुमका विधानसभा से सीता सोरेन करीब 10433 वोटों से आगे रहीं.

गोड्डा लोकसभा सीट

गोड्डा लोकसभा सीट से भाजपा के निशिकांत दुबे का मुकाबला कांग्रेस के प्रदीप यादव से था. इस क्षेत्र से झारखंड सरकार के दो मंत्री आते हैं. बादल पत्रलेख और हफीजुल हसन. बावजूद इसके निशिकांत दुबे को करीब एक लाख वोटों से जीत मिली. बादल पत्रलेख के इलाके जरमुंडी में निशिकांत दुबे का ज्यादा फायदा मिला. यहां से वे करीब 45 हजार वोटों से आगे रहे. हालांकि हफीजुल हसन के क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी को बढ़त जरूर मिली. यहां से प्रदीप यादव करीब 9000 वोटों से बढ़त बनाने में कामयाब रहे.

इस तरह अगर लोकसभा चुनाव में संथाल के मंत्रियों के प्रदर्शन की बात करें तो आलमगीर आलम और हफीजुल हसन का प्रदर्शन अच्छा रहा. वे अपने प्रत्याशी को वोट दिलाने में कामयाब रहे. लेकिन बादल पत्रलेख और बसंत सोरेन का प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा. दोनों के क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी आगे रहे. वहीं उनके प्रत्याशी पिछड़ गए.

पत्रकार हेमचंद्र कहते हैं कि अल्पसंख्यक मंत्री आलमगीर के जेल में रहने के बावजूद एक विधानसभा में 79 हजार की बढ़त सराहनीय है, हफीजुल ने भी अपनी इज्जत बचा ली, लेकिन बादल पत्रलेख के क्षेत्र में भाजपा प्रत्याशी को 45 हजार की बढ़त उनके खुद के भविष्य पर सवाल खड़ा करती है. बसंत हाल ही में मंत्री बने हैं, ऐसे में उनके क्षेत्र दुमका में झामुमो का पिछड़ना चिंता का विषय है.

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