अयोध्या: अभिलेखों में हेरफेर कर उसी आधार पर न्यायालय को गुमराह कर एक गांव के आबादी की 31 बिस्वा भूमि अपने नाम बाग दर्ज करवा लेने का मामला 45 साल बाद निस्तारित हो गया है. भूमि को फिर से आबादी के खाते में दर्ज करने का आदेश अपर आयुक्त (प्रशासन) अयोध्या की कोर्ट ने गुरुवार को दिया है.
मामला ग्राम पंचायत रसूलाबाद परगना अमसिन का है. यहां पुरानी आबादी गाटा संख्या 676 ( नई गाटा संख्या 374) है, जिसमें गांव बसा हुआ है. उसमें एक व्यक्ति के द्वारा अपने पिता के नाम से अभिलेखों में गलत व फर्जी तरीके से एक कोर्ट के आर्डर को आधार बनाकर एक दूसरी कोर्ट से अपने पक्ष में आदेश पारित करवाया, जिससे आबादी की 31 बिस्वा जमीन उसके नाम बाग दर्ज हो गई.
आदेश के 45 साल बाद गांव के पीड़ित लोगों के अनुरोध पर कलेक्टर जनपद न्यायाधीश और मुख्य राजस्व अधिकारी के यहां से जांच हुई तो पता चला पूरी तरह मामला फ्रॉड पाया गया था. तब जिला मजिस्ट्रेट के आदेश पर कमिश्नर के यहां डीजीसी ने अपील किया, जिसमें फर्जी मामले का पूरी तरह से खुलासा हुआ. कमिश्नर ने पूरे मामले में उत्तर प्रदेश सरकार और गांव सभा के पक्ष को सुनकर प्रतिवादियों को नोटिस कर उनके पूरे पक्ष को सुना और निचले कोर्ट के आदेश को शून्य घोषित किया. जमीन पुनः आबादी दर्ज होने के आदेश से अब रसूलाबाद गांव में खुशी की लहर है.
45 साल बाद अयोध्या के एक गांव के लोगों को मिला न्याय, जानें पूरा मामला - AYODHYA NEWS
रामनगरी अयोध्या के एक गांव को 45 साल बाद न्याय मिला है. गांव की जमीन को धोखे से एक व्यक्ति ने अपने नाम दर्ज करवा ली थी. जिसे दोबारा आबादी के नाम कर दिया गया.
By ETV Bharat Uttar Pradesh Team
Published : Sep 26, 2024, 10:31 PM IST
अयोध्या: अभिलेखों में हेरफेर कर उसी आधार पर न्यायालय को गुमराह कर एक गांव के आबादी की 31 बिस्वा भूमि अपने नाम बाग दर्ज करवा लेने का मामला 45 साल बाद निस्तारित हो गया है. भूमि को फिर से आबादी के खाते में दर्ज करने का आदेश अपर आयुक्त (प्रशासन) अयोध्या की कोर्ट ने गुरुवार को दिया है.
मामला ग्राम पंचायत रसूलाबाद परगना अमसिन का है. यहां पुरानी आबादी गाटा संख्या 676 ( नई गाटा संख्या 374) है, जिसमें गांव बसा हुआ है. उसमें एक व्यक्ति के द्वारा अपने पिता के नाम से अभिलेखों में गलत व फर्जी तरीके से एक कोर्ट के आर्डर को आधार बनाकर एक दूसरी कोर्ट से अपने पक्ष में आदेश पारित करवाया, जिससे आबादी की 31 बिस्वा जमीन उसके नाम बाग दर्ज हो गई.
आदेश के 45 साल बाद गांव के पीड़ित लोगों के अनुरोध पर कलेक्टर जनपद न्यायाधीश और मुख्य राजस्व अधिकारी के यहां से जांच हुई तो पता चला पूरी तरह मामला फ्रॉड पाया गया था. तब जिला मजिस्ट्रेट के आदेश पर कमिश्नर के यहां डीजीसी ने अपील किया, जिसमें फर्जी मामले का पूरी तरह से खुलासा हुआ. कमिश्नर ने पूरे मामले में उत्तर प्रदेश सरकार और गांव सभा के पक्ष को सुनकर प्रतिवादियों को नोटिस कर उनके पूरे पक्ष को सुना और निचले कोर्ट के आदेश को शून्य घोषित किया. जमीन पुनः आबादी दर्ज होने के आदेश से अब रसूलाबाद गांव में खुशी की लहर है.