रायपुर: राज्योत्सव में रेशम की खेती को लेकर लगाए गए स्टॉल पर लोगों की भीड़ उमड़ रही है. ग्रामोद्योग विकास विभाग की तरफ से शिल्पग्राम में रेशम उत्पादन की प्रक्रिया समझाने के लिए स्टॉल लगाया गया है. यहां रेशम की खेती को समझने के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंच रहे हैं. जिसमें किसान, आम नागरिक, महिलाएं और अन्य लोग शामिल हैं. इस स्टॉल से लोगों को फायदा भी हो रहा है.
रेशम के कीड़े से संवर रहा जीवन: ग्रामोद्योग विकास विभाग के विभागीय स्टॉल में प्राकृतिक स्वरुप में रेशम के कीड़ों को देखने के लिए हर वर्ग के लोग पहुंच रहे हैं. इसमें बच्चे भी विशेष रूचि दिखा रहे. यहां बनाए गए स्टॉल में तरह-तरह के रेशम बीजों का भी प्रदर्शन किया गया है, जिनमें विशेष रूप से मलबरी सफेद कोया, मलबरी रंगीन कोया, मलबरी पीला मैसूर, मलबरी सफेद रिल्ड का प्रदर्शन किया गया है. इसके अलावा टसर स्पन धागा, टसर बाना धागा, डाबा पालित कोसा एवं रैली साबू बीजों को भी प्रदर्शित किया गया है. इससे कोसा सिल्क, मलबरी सिल्क, बनारसी और कांजीवरम की साड़ियां बनाई जाती हैं.
कोसा से मिल रहा रोजगार: ग्रामोद्योग विकास विभाग के अधिकारी ने बताया कि छत्तीसगढ़ कोसा उत्पादन एवं कोसा वस्त्र निर्माण के क्षेत्र में अग्रणी राज्य के रूप में प्रगति कर रहा है. विष्णु देव साय के नेतृत्व में वन आधारित ग्रामोद्योग को बढ़ावा दिया जा रहा है. इसके संकल्प को पूरा करते हुए छत्तीसगढ़ टसर उत्पादन के क्षेत्र में परम्परागत रूप से विशिष्ट स्थान रख रहा है. रेशम प्रभाग के योजनाओं के जरिए ग्रामीण इलाकों में लोगों को रोजगार मिल रहा है. स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध हो रहे हैं. टसर रेशम विकास एवं विस्तार कार्यक्रम के जरिए पालित डाबा टसर ककून उत्पादन योजना, नैसर्गिक बीज प्रगुणन एवं कोसा उत्पादन योजना, टसर धागाकरण योजना चलाई जा रही है.
रेशम के कीट पालन की लोग ले रहे जानकारी: शहतूत पौधरोपण एवं कीटपालन को लेकर भी यहां पहुंचने वाले लोगों को जानकारी दी जा रही है. प्रदेश में शहतूत रेशम को बढ़ावा देने एवं ग्रामीण क्षेत्र में रेशम पालन के जरिए स्थायी रोजगार का सर्जन हो रहा है. शहतूत पौधरोपण एवं कीटपालन के लिए नवीन योजना शहतूत रेशम बाड़ी योजना चलाई जा रही है. इस योजना के तहत शहतूत का पौधरोपण और कीटपालन और उससे रेशम निकालने की ट्रेनिंग लोगों को दी जाती है.
रेशम से जुड़ी योजनाओं के बारे में जानिए: इस योजना से जुड़े किसानों को उनके निजी भूमि में शहतूत के पौधरोपण से जुड़ी जानकारी दी जा रही है. इसके जरिए उन्हें पौधरोपण एवं रेशम कीटपालन से संबंधित सभी तकनीक की जानकारी उपलब्ध कराई जा रही है. सरकार की तरफ से इसकी एक महीने की मुफ्त ट्रेनिंग कराई जा रही है. इस योजना में सरकार की तरफ से पांच लाख रुपये की राशि मुहैया कराई जाती है. यह राशि मदवार आधार पर दी जाती है. इस तरह छत्तीसगढ़ सरकार ग्रामीण अंचल और वनांचल में रह रहे किसानों को रोजगार का साधन उपलब्ध करा रही है.