धमतरी : पैगंबर हजरत मोहम्मद के जन्मदिन के रूप में ईद मिलाद उन नबी का त्योहार मनाया जाता है. ईद मिलाद-उन-नबी का महत्व इस्लामिक धर्म में बहुत अधिक है. यह त्योहार पैगंबर हजरत मुहम्मद साहब के जन्मदिन के अवसर के रूप में मनाया जाता है, जिन्हें इस्लामिक धर्म का आखिरी पैगंबर माना जाता है. साथ ही, यह त्योहार इस्लामिक लोगों को एकता के सूत्र में बांधता है और उन्हें पैगंबर की शिक्षाओं को याद करने का अवसर प्रदान करता है. इसके अलावा, यह त्योहार मुस्लिम लोगों को समाज सेवा के लिए प्रेरित करता है .साथ ही गरीबों, जरूरतमंदों की मदद करने के लिए प्रोत्साहित करता है.
सभी धर्मों के लोग हुए शामिल : ईद मिलादुन्नवी का पर्व इस्लाम धर्म में खास होता है, इस दिन एक दूसरे को बधाई देकर जश्न को दोगुना किया जाता है. धमतरी में ईद मिलादुन्नबी को बड़े ही उल्लास के साथ मनाया जाता है. इसके पूर्व ही सोमवार को मुस्लिम समुदाय ने भव्य बाइक रैली निकाली. इस रैली में बड़े बुजुर्ग, युवा बड़ी संख्या में शामिल हुए और एकता का परिचय देते हुए सुख शांति और समृद्धि की कामना की .
क्यों मनाया जाता है ईद मिलाद उन नबी : ईद मिलाद-उन-नबी का महत्व इस्लामिक धर्म में बहुत अधिक है. यह त्योहार पैगंबर हजरत मुहम्मद साहब के जन्मदिन के अवसर के रूप में मनाया जाता है, जिन्हें इस्लामिक धर्म का आखिरी पैगंबर माना जाता है. साथ ही, यह त्योहार इस्लामिक लोगों को एकता के सूत्र में बांधता है और उन्हें पैगंबर की शिक्षाओं को याद करने का मौका देता है. इस दिन रात भर प्रार्थनाएं होती हैं और जगह-जगह जुलूस भी निकाले जाते हैं. घरों और मस्जिदों में कुरान पढ़ी जाती है. इस दिन गरीबों को दान भी किया जाता है. ऐसी मान्यता है कि ईद मिलाद-उन-नबी के दिन दान और जकात करने से अल्लाह खुश होते हैं.
कौन था पैगंबर हजरत मुहम्मद साहब ?: ये त्यौहार इस्लामिक धर्म के पैगंबर हजरत मुहम्मद साहब के जन्म से जुड़ा हुआ है. हजरत मुहम्मद साहब का जन्म 570 ईसवी में मक्का में हुआ था. सुन्नी लोग पैगंबर हजरत मुहम्मद साहब के जन्म को रबी अल-अव्वल की 12वीं तारीख को मनाते हैं जबकि, शिया लोग इस त्योहार को 17वें दिन मनाते हैं. यह दिन न केवल पैगम्बर हजरत मुहम्मद के जन्म का प्रतीक है, बल्कि उनकी मृत्यु के शोक में भी इस दिन को याद किया जाता है. पैगंबर साहब के जन्म से पहले ही उनके पिता का निधन हो चुका था. जब वह 6 वर्ष के थे तो उनकी मां की भी मृत्यु हो गई. मां के निधन के बाद पैगंबर मोहम्मद अपने चाचा अबू तालिब और दादा अबू मुतालिब के साथ रहने लगे. इनके पिता का नाम अब्दुल्लाह और माता का नाम बीबी आमिना था. अल्लाह ने सबसे पहले पैगंबर हजरत मोहम्मद को ही पवित्र कुरान अता की थी. इसके बाद ही पैगंबर साहब ने पवित्र कुरान का संदेश दुनिया के कोने-कोने तक पहुंचाया.