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दुर्गा सोरेन को ही गुरुजी का उत्तराधिकारी मानते थे लोग, सीता सोरेन के फैसले का पड़ सकता है दूरगामी परिणाम

Impact of Sita Soren resignation from JMM. भले ही झामुमो दावा कर रहा है कि सीता सोरेन के भाजपा में जाने से पार्टी पर कोई असर नहीं पड़ेगा, लेकिन राजनीति की समझ रखने वाले लोग सीता के इस फैसले को झारखंड और झामुमो की राजनीति में दूरगामी परिणाम से जोड़कर देख रहे हैं.

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Durga Soren As Guruji Successor
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Mar 19, 2024, 8:23 PM IST

Updated : Mar 21, 2024, 11:32 AM IST

बोकारो: झारखंड मुक्ति मोर्चा के सुप्रीमो शिबू सोरेन की बड़ी बहू सीता सोरेन भाजपा में शामिल हो गईं हैं. इस फैसले का झारखंड की राजनीति और जेएमएम के लिए दूरगामी परिणाम साबित हो सकता है. इसकी मुख्य वजह यह है कि सीता सोरेन झारखंड मुक्ति मोर्चा के दिग्गज नेता रहे दिवंगत दुर्गा सोरेन की पत्नी हैं और दुर्गा सोरेन आज भी झारखंड के लाखों लोगों के दिलों में बसे हुए हैं.

बोकारो के लोग गुरुजी का उत्तराधिकारी दुर्गा को ही मानते थे

बताते चलें कि दुर्गा सोरेन झामुमो के दिग्गज नेता थे और एक समय उनकी तूती बोलती थी. झारखंड आंदोलन में उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता है. बोकारो के लोग गुरुजी शिबू सोरेन का उत्तराधिकारी दुर्गा सोरेन को ही मानते थे. बोकारो से दुर्गा सोरेन का गहरा नाता था. उनको जानने वाले और राजनीतिक जानकारों की माने तो वह लड़ाके थे, बेबाक थे, निडर थे और पार्टी के प्रति पूरी तरह से समर्पित थे. दुर्गा सोरेन ही गुरुजी के असली उत्तराधिकारी थे. दुर्गा सोरेन के असामयिक निधन ने झामुमो के साथ-साथ उन्हें चाहने वाले लाखों लोगों को झकझोर कर रख दिया था. उनके प्रशंसक आज भी उस सदमे से उबर नहीं पाए हैं. वह बोकारो से ही पूरे राज्य की राजनीति पर पकड़ रखते थे.

कई बार सीता कर चुकी थीं पीड़ा सार्वजनिक

दुर्गा सोरेन के निधन के बाद सीता सोरेन राजनीति में सक्रिय हुईं और यह उम्मीद जताई जा रही थी कि पार्टी में उन्हें प्रमुख जिम्मेदारी और तरजीह मिलेगी, लेकिन दुर्गा सोरेन के निधन के लंबे समय बाद भी उनके चाहने वालों को ऐसा कुछ देखने को नहीं मिला. सीता सोरेन इस मामले में पहले भी कई बार अपनी पीड़ा सार्वजनिक कर चुकी थीं. बोकारो में भी कई बार पत्रकारों से बातचीत करते हुए सीता ने कहा था कि वह पार्टी के रवैये से खुश नहीं है. उनके पति ने इस राज्य के निर्माण और झारखंडी अरमानों को पूरा करने के लिए जो संघर्ष किया था, उसके अनुरूप उन्हें वह मान-सम्मान नहीं मिला. इन बयानों से यह कयास लगाए जा रहे थे कि वह कभी भी पार्टी छोड़ सकती हैं, लेकिन झारखंड मुक्ति मोर्चा ने इसे कभी गंभीरता से नहीं लिया.

आखिरकार टूट गया सीता के सब्र का बांध

संभवतः पार्टी को यही लगता होगा कि जेएमएम सुप्रीमो शिबू सोरेन की बहू होने के कारण वह झारखंड मुक्ति मोर्चा छोड़कर कहीं और नहीं जा सकती हैं, लेकिन सीता के सब्र का बांध अंततः टूट गया और उसने एक झटके में पार्टी छोड़कर भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया है. झामुमो और सीता के करीबियों की माने तो परिवार में सीता सोरेन से लगभग सभी नाखुश थे. पार्टी या दुर्गा सोरेन से जुड़े लोग भी सीता सोरेन से मिलने में परहेज करते थे. उन्हें इस बात का डर लगता था कि परिवार के अन्य सदस्य कही बुरा ना मान जाएं या नाराज हो जाएं.

बीजेपी में जाने का हो सकता है दूरगामी परिणाम

लोकसभा चुनाव के ठीक पहले सीता ने एक बड़ा कदम उठाया है. कुछ महीनों के बाद विधानसभा के चुनाव भी होने वाले हैं. इस बात को नकारा नहीं जा सकता कि शिबू सोरेन की बहू और दुर्गा सोरेन की पत्नी सीता सोरेन का झारखंड मुक्ति मोर्चा छोड़कर भाजपा में जाना झारखंड की राजनीति के लिए एक बड़ा परिवर्तन है और इसका दूरगामी परिणाम साबित हो सकता है.

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निशिकांत ने सीता सोरेन के भाजपा में शामिल होने का कारण बताया, कहा- बेटियों के भविष्य और दुर्गा सोरेन की मृत्यु की सीबीआई जांच चाहती हैं सीता

बोकारो: झारखंड मुक्ति मोर्चा के सुप्रीमो शिबू सोरेन की बड़ी बहू सीता सोरेन भाजपा में शामिल हो गईं हैं. इस फैसले का झारखंड की राजनीति और जेएमएम के लिए दूरगामी परिणाम साबित हो सकता है. इसकी मुख्य वजह यह है कि सीता सोरेन झारखंड मुक्ति मोर्चा के दिग्गज नेता रहे दिवंगत दुर्गा सोरेन की पत्नी हैं और दुर्गा सोरेन आज भी झारखंड के लाखों लोगों के दिलों में बसे हुए हैं.

बोकारो के लोग गुरुजी का उत्तराधिकारी दुर्गा को ही मानते थे

बताते चलें कि दुर्गा सोरेन झामुमो के दिग्गज नेता थे और एक समय उनकी तूती बोलती थी. झारखंड आंदोलन में उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता है. बोकारो के लोग गुरुजी शिबू सोरेन का उत्तराधिकारी दुर्गा सोरेन को ही मानते थे. बोकारो से दुर्गा सोरेन का गहरा नाता था. उनको जानने वाले और राजनीतिक जानकारों की माने तो वह लड़ाके थे, बेबाक थे, निडर थे और पार्टी के प्रति पूरी तरह से समर्पित थे. दुर्गा सोरेन ही गुरुजी के असली उत्तराधिकारी थे. दुर्गा सोरेन के असामयिक निधन ने झामुमो के साथ-साथ उन्हें चाहने वाले लाखों लोगों को झकझोर कर रख दिया था. उनके प्रशंसक आज भी उस सदमे से उबर नहीं पाए हैं. वह बोकारो से ही पूरे राज्य की राजनीति पर पकड़ रखते थे.

कई बार सीता कर चुकी थीं पीड़ा सार्वजनिक

दुर्गा सोरेन के निधन के बाद सीता सोरेन राजनीति में सक्रिय हुईं और यह उम्मीद जताई जा रही थी कि पार्टी में उन्हें प्रमुख जिम्मेदारी और तरजीह मिलेगी, लेकिन दुर्गा सोरेन के निधन के लंबे समय बाद भी उनके चाहने वालों को ऐसा कुछ देखने को नहीं मिला. सीता सोरेन इस मामले में पहले भी कई बार अपनी पीड़ा सार्वजनिक कर चुकी थीं. बोकारो में भी कई बार पत्रकारों से बातचीत करते हुए सीता ने कहा था कि वह पार्टी के रवैये से खुश नहीं है. उनके पति ने इस राज्य के निर्माण और झारखंडी अरमानों को पूरा करने के लिए जो संघर्ष किया था, उसके अनुरूप उन्हें वह मान-सम्मान नहीं मिला. इन बयानों से यह कयास लगाए जा रहे थे कि वह कभी भी पार्टी छोड़ सकती हैं, लेकिन झारखंड मुक्ति मोर्चा ने इसे कभी गंभीरता से नहीं लिया.

आखिरकार टूट गया सीता के सब्र का बांध

संभवतः पार्टी को यही लगता होगा कि जेएमएम सुप्रीमो शिबू सोरेन की बहू होने के कारण वह झारखंड मुक्ति मोर्चा छोड़कर कहीं और नहीं जा सकती हैं, लेकिन सीता के सब्र का बांध अंततः टूट गया और उसने एक झटके में पार्टी छोड़कर भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया है. झामुमो और सीता के करीबियों की माने तो परिवार में सीता सोरेन से लगभग सभी नाखुश थे. पार्टी या दुर्गा सोरेन से जुड़े लोग भी सीता सोरेन से मिलने में परहेज करते थे. उन्हें इस बात का डर लगता था कि परिवार के अन्य सदस्य कही बुरा ना मान जाएं या नाराज हो जाएं.

बीजेपी में जाने का हो सकता है दूरगामी परिणाम

लोकसभा चुनाव के ठीक पहले सीता ने एक बड़ा कदम उठाया है. कुछ महीनों के बाद विधानसभा के चुनाव भी होने वाले हैं. इस बात को नकारा नहीं जा सकता कि शिबू सोरेन की बहू और दुर्गा सोरेन की पत्नी सीता सोरेन का झारखंड मुक्ति मोर्चा छोड़कर भाजपा में जाना झारखंड की राजनीति के लिए एक बड़ा परिवर्तन है और इसका दूरगामी परिणाम साबित हो सकता है.

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Last Updated : Mar 21, 2024, 11:32 AM IST
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