कुरुक्षेत्र: 25 जनवरी को पौष पूर्णिमा है. पौष पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा के साथ चंद्रमा देवता की पूजा अर्चना का विशेष महत्व है. इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने का भी विशेष महत्व बताया गया है.
पौष पूर्णिमा की तिथि: कुरुक्षेत्र तीर्थ पुरोहित प्रधान पंडित पवन शर्मा ने बताया कि हिंदू पंचांग के अनुसार पौष पूर्णिमा का आरंभ 24 जनवरी को रात के 9:24 मिनट से हो रहा है और इसका समापन 25 जनवरी को रात के 11:23 मिनट पर होगा. कुछ लोगों में असमंजस की स्थिति भी है कि इस बार पौष पूर्णिमा 24 जनवरी को मनाई जाएगी या 25 जनवरी को. लेकिन हम आपको बताना चाहते हैं कि सनातन धर्म में कोई भी व्रत और त्यौहार उदय तिथि के साथ मनाया जाता है. इसलिए पौष पूर्णिमा का व्रत 25 जनवरी के दिन रखा जाएगा. इस व्रत को रखने वाले जातक चंद्र देवता के दर्शन करने के उपरांत उनको अर्घ्य देकर अपना व्रत खोलते हैं. इसलिए 25 जनवरी के दिन चंद्र उदय शाम को 5:29 मिनट पर होगा. इस दौरान व्रत रखने वाला जातक चंद्रमा दर्शन करने के उपरांत अपना व्रत खोल सकता है.
पूर्णिमा के दिन बन रहे और योग: पंडित पवन शर्मा ने जानकारी देते हुए कहा कि पौष पूर्णिमा के शुभ अभिजीत मुहूर्त का समय दोपहर 12:12 से शुरू होगा और यह 12:55 तक रहेगा. इस दौरान पवित्र नदी में स्नान करने का विशेष महत्व है और भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना करना भी इस समय के दौरान काफी अच्छा माना जाता है. पूर्णिमा के दिन रवि योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और गुरु पुष्य योग बन रहा है. पूर्णिमा के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग पूरे दिन बना रहेगा. इसलिए भगवान की पूजा अर्चना करने का इस दिन विशेष महत्व मिलेगा. यह सभी योग पुनर्वसु नक्षत्र में बन रहे हैं.
पौष पूर्णिमा का महत्व: पंडित पवन शर्मा के अनुसार वैसे तो प्रत्येक पूर्णिमा का सनातन धर्म में विशेष महत्व होता है लेकिन धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शास्त्रों में पौष पूर्णिमा का और भी ज्यादा महत्व बताया गया है. इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने के बाद दान करने से कई गुना फल प्राप्त होता है. भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विशेष तौर पर पूजा अर्चना की जाती है तो वहीं चंद्रमा देवता को भी अर्घ्य देखकर उनकी पूजा अर्चना की जाती है. इस पूर्णिमा के दिन तिल या तिल से बने हुए लड्डू, गर्म कपड़े दान करने से माता लक्ष्मी प्रसन्न हो जाती है और उसके परिवार में सुख समृद्धि बनी रहती है. इस दिन धर्म-कर्म के कार्य भी किए जाते हैं जिससे पुण्य की प्राप्ति होती है.
व्रत का विधि विधान: पौष पूर्णिमा के दिन सुबह सूर्योदय से पहले या शुभ मुहूर्त के समय पवित्र नदी या तालाब में स्नान करने से कई प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है. स्नान करने के बाद सूर्य उदय होने पर सूर्य देवता को अर्घ्य दें. इसके उपरांत अपने घर के मंदिर में साफ सफाई करके भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना करें और उनको पीला रंग के फल- फूल, वस्त्र और मिठाई अर्पित करें. जो भी जातक इस दिन व्रत रखना चाहता है वह इस दौरान व्रत रखने का प्रण ले. इस दिन भगवान सत्य नारायण की पूजा अर्चना की जाती है. भगवान सत्यनारायण के पाठ भी घर में किया जाता है. भगवान सत्यनारायण की कथा पढ़ने का इस दिन बहुत ही ज्यादा महत्व होता है. कथा पढ़ने से घर में सुख, समृद्धि और खुशी आती है. इस दिन ब्राह्मण और जरूरतमंद लोगों को भोजन कराने के उपरांत अपनी इच्छा अनुसार दक्षिणा दें और गर्म वस्त्र बाँटे. चंद्रोदय के समय चंद्र देवता के दर्शन करने के बाद अर्घ्य देखकर अपना व्रत खोलें.
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