पौड़ीः उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में हो रहे वन्य जीवों के हमलों को कम करने के लिए छात्र-छात्राओं को नए पाठ्यक्रम से रूबरू करवाया जाएगा. इस पाठ्यक्रम की मदद से वन्य जीवों और मनुष्यों के बीच होने वाले आपसी संघर्ष और वन्य जीवों के हमलों के कारणों और निवारण की संपूर्ण जानकारी दी जाएगी.
मानव और वन्य जीवों के संघर्ष को कम करने के लिए अब विभिन्न स्तरों पर अध्ययन किए जाने लगे हैं. जिला प्रशासन पौड़ी की पहल पर एक पाठ्यक्रम भी तैयार किया गया है. इस पाठ्यक्रम का जिला प्रशासन द्वारा मुख्यमंत्री के हाथों लोकार्पण भी करवा लिया गया है. जनपद पौड़ी गढ़वाल में गुलदार और मानव संघर्ष की सर्वाधिक घटनाएं होती हैं. जो मानव और वन्यजीव दोनों के लिए बहुत नुकसानदायक साबित हुई हैं. वन्यजीव और मानव संघर्ष की इसी पेचीदगी ने एक नए अध्ययन की जमीन तैयार की, जो वन्यजीवों से संबंधित है.
जिलाधिकारी गढ़वाल डॉ. आशीष चौहान ने बताया कि मुख्य विकास अधिकारी की अध्यक्षता में एक समिति गठित कर जिला शिक्षा प्रशिक्षण संस्थान और वन विभाग के संयुक्त तत्वावधान में एक पाठ्यक्रम विकसित किया गया है. यह पाठ्यक्रम सचिव शिक्षा को भेजा गया है, ताकि इसका परीक्षण हो सके.
इस पाठ्यक्रम को लेकर गढ़वाल वन प्रभाग के प्रभागीय वनाधिकारी स्वप्निल अनिरुद्ध ने बताया कि पिछले पच्चीस सालों में गुलदार ने बच्चों पर हमले करके सबसे अधिक नुकसान बच्चों को पहुंचाया. हमने पाठ्यक्रम में वन्यजीवों से बचाव के उपायों पर जोर दिया. ताकि हम इसे अपनी आदतों में शुमार कर स्वयं को सुरक्षित रख सकें. बताया कि इस पाठ्यक्रम के शुरू होने के बाद बच्चों को शुरुआती समय से वन्य जीवों के हमले, सावधानियां आदि के बारे में मालूम हो पाएगा. इससे वन्य जीवों के हमलों को कम करने में भी मदद मिलेगी.
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