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नगर पालिका संशोधन को चुनौती वाली याचिका पर HC में सुनवाई, हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को दिया ये निर्देश - Patna High Court

Bihar Municipality Amendment : बिहार में नगर पालिका (संशोधन) कानून 2024 में हुए संशोधन को लेकर पटना हाईकोर्ट में याचिका लगाई गई. इस मामले में पटना हाईकोर्ट के न्यायाधीश ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वो अपनी स्थिति स्पष्ट करें. पढ़ें पूरी खबर-

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Aug 29, 2024, 8:06 PM IST

पटना : बिहार की पटना हाईकोर्ट ने पटना की मेयर सीता साहू व अन्य द्वारा राज्य सरकार द्वारा बिहार नगरपालिका( संशोधन) कानून, 2024 में हुए संशोधनों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई की. चीफ जस्टिस केवी चंद्रन की खंडपीठ ने इन याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया. इस मामले पर अगली सुनवाई 3 अक्टूबर, 2024 को होगी.

नगर पालिका संशोधन को चुनौती वाली याचिका पर सुनवाई : गौरतलब है कि 24 जुलाई, 2024 को राज्य सरकार ने बिहार नगरपालिका (संशोधन) कानून, 2024 के कई प्रावधानों में संशोधन किया. याचिकाकर्ता की अधिवक्ता मयूरी ने कोर्ट को बताया कि अविश्वास प्रस्ताव के सन्दर्भ में हुए संशोधन को नहीं हटाया गया है. उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने बहुत सारे महत्वपूर्ण प्रावधानों को संशोधित कर दिया, जिससे नगरपालिका शासन का मूल उद्देश्य ही खत्म हो गया है. ये एक राज्य सरकार की एजेंसी में बदल दिया गया है.

कार्यपालक पदाधिकारी को दिए अधिकार : अधिवक्ता मयूरी ने बताया कि इसके तहत बहुत सारे अधिकार नगरपालिका से ले कर मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी को दे दिया गया है. इससे नगरपालिका के अधिकार में कटौती किये जाने से कामकाज बुरी तरह प्रभावित होगा. इस याचिका में इस संशोधन में विभिन्न प्रावधानों को रद्द करने की मांग की है, ताकि स्थानीय निकाय प्रभावी तरीके से कार्य कर सके. उन्होंने कोर्ट को बताया कि गलत तरीके को दर्शाता है कि स्थानीय स्वशासी निकायों के कार्यों में न सिर्फ हस्तक्षेप बढ़ाया गया है, बल्कि संवैधानिक अधिकारों में भी काफी कटौती कर दी गयी है.

सरकार ने रखा अपना पक्ष : बिहार सरकार का पक्ष कोर्ट के समक्ष रखते हुए महाधिवक्ता पीके शाही ने कोर्ट को बताया कि इन कानूनों में हुए कतिपय संशोधनों को अभी क्रियान्वित नहीं किया गया है. अधिवक्ता मयूरी ने बताया कि राज्य स्थानीय निकाय शासन के कार्यों व शक्तियों में राज्य सरकार द्वारा किये जा रहे हस्तक्षेप को रोके जाने की मांग की है. उन्होंने राज्य सरकार से स्थानीय निकाय शासन को तकनीकी व प्रबंधकीय सहायता की मांग की है, ताकि वे प्रभावी तरीके से अपना कार्य कर सकें.

निकाय शासन की शक्तियों को कमजोर करने का आरोप : याचिका में ये भी बताया गया कि बहुत से राज्यों में स्थानीय निकाय शासन के शक्तियों व कार्यो में कटौती कर उन्हें कमजोर किया गया है. ये बताया गया कि स्थानीय निकाय शासन में मुख्यतः दो कमियां हैं. एक तो स्थानीय निकाय शासन के अधिकारियों व कर्मचारियों पर सीधे तौर पर चुने गये जन प्रतिनिधियों का कोई नियंत्रण नहीं होता है. इनके नियुक्तियों, स्थानांतरण व पदस्थापन पर राज्य सरकार के विभाग का नियंत्रण होता है.

3 अक्टूबर को होगी अगली सुनवाई : इन संशोधनों के माध्यम से इनकी नियुक्ति, स्थानांतरण व पदस्थापन का अधिकार मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी को प्राप्त हो गया है. जन प्रतिनिधियों का इसमें कोई दखल नहीं है. इस मामले पर अगली सुनवाई 3 अक्टूबर 2024 को की जाएगी.

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पटना : बिहार की पटना हाईकोर्ट ने पटना की मेयर सीता साहू व अन्य द्वारा राज्य सरकार द्वारा बिहार नगरपालिका( संशोधन) कानून, 2024 में हुए संशोधनों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई की. चीफ जस्टिस केवी चंद्रन की खंडपीठ ने इन याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया. इस मामले पर अगली सुनवाई 3 अक्टूबर, 2024 को होगी.

नगर पालिका संशोधन को चुनौती वाली याचिका पर सुनवाई : गौरतलब है कि 24 जुलाई, 2024 को राज्य सरकार ने बिहार नगरपालिका (संशोधन) कानून, 2024 के कई प्रावधानों में संशोधन किया. याचिकाकर्ता की अधिवक्ता मयूरी ने कोर्ट को बताया कि अविश्वास प्रस्ताव के सन्दर्भ में हुए संशोधन को नहीं हटाया गया है. उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने बहुत सारे महत्वपूर्ण प्रावधानों को संशोधित कर दिया, जिससे नगरपालिका शासन का मूल उद्देश्य ही खत्म हो गया है. ये एक राज्य सरकार की एजेंसी में बदल दिया गया है.

कार्यपालक पदाधिकारी को दिए अधिकार : अधिवक्ता मयूरी ने बताया कि इसके तहत बहुत सारे अधिकार नगरपालिका से ले कर मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी को दे दिया गया है. इससे नगरपालिका के अधिकार में कटौती किये जाने से कामकाज बुरी तरह प्रभावित होगा. इस याचिका में इस संशोधन में विभिन्न प्रावधानों को रद्द करने की मांग की है, ताकि स्थानीय निकाय प्रभावी तरीके से कार्य कर सके. उन्होंने कोर्ट को बताया कि गलत तरीके को दर्शाता है कि स्थानीय स्वशासी निकायों के कार्यों में न सिर्फ हस्तक्षेप बढ़ाया गया है, बल्कि संवैधानिक अधिकारों में भी काफी कटौती कर दी गयी है.

सरकार ने रखा अपना पक्ष : बिहार सरकार का पक्ष कोर्ट के समक्ष रखते हुए महाधिवक्ता पीके शाही ने कोर्ट को बताया कि इन कानूनों में हुए कतिपय संशोधनों को अभी क्रियान्वित नहीं किया गया है. अधिवक्ता मयूरी ने बताया कि राज्य स्थानीय निकाय शासन के कार्यों व शक्तियों में राज्य सरकार द्वारा किये जा रहे हस्तक्षेप को रोके जाने की मांग की है. उन्होंने राज्य सरकार से स्थानीय निकाय शासन को तकनीकी व प्रबंधकीय सहायता की मांग की है, ताकि वे प्रभावी तरीके से अपना कार्य कर सकें.

निकाय शासन की शक्तियों को कमजोर करने का आरोप : याचिका में ये भी बताया गया कि बहुत से राज्यों में स्थानीय निकाय शासन के शक्तियों व कार्यो में कटौती कर उन्हें कमजोर किया गया है. ये बताया गया कि स्थानीय निकाय शासन में मुख्यतः दो कमियां हैं. एक तो स्थानीय निकाय शासन के अधिकारियों व कर्मचारियों पर सीधे तौर पर चुने गये जन प्रतिनिधियों का कोई नियंत्रण नहीं होता है. इनके नियुक्तियों, स्थानांतरण व पदस्थापन पर राज्य सरकार के विभाग का नियंत्रण होता है.

3 अक्टूबर को होगी अगली सुनवाई : इन संशोधनों के माध्यम से इनकी नियुक्ति, स्थानांतरण व पदस्थापन का अधिकार मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी को प्राप्त हो गया है. जन प्रतिनिधियों का इसमें कोई दखल नहीं है. इस मामले पर अगली सुनवाई 3 अक्टूबर 2024 को की जाएगी.

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