पटनाः पटना हाई कोर्ट ने सारण जिला परिषद की अध्यक्ष जयमित्रा देवी की याचिका को खारिज करते हुए सारण के डीएम को निर्देश दिया कि वे सारण जिला परिषद की अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा करने के लिए अगले सात दिनों में विशेष बैठक की नई तारीख तय करें. जस्टिस राजीव राय ने बुधवार को यह फैसला सुनाया. कोर्ट ने सारण जिला परिषद के सभी निर्वाचित सदस्यों को नोटिस भेजने का भी निर्देश दिया, जो याचिकाकर्ता के खिलाफ 'अविश्वास प्रस्ताव' पर चर्चा करने के लिए नई बैठक में भाग लेने के हकदार हैं.
अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चाः सारण जिला परिषद के 17 निर्वाचित सदस्यों ने अध्यक्ष जयमित्रा देवी के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा हेतु विशेष बैठक बुलाने के लिए दिनांक 04.01.24 को अधियाचना समर्पित की थी. इसकी तिथि 15.01.24 निर्धारित की गई. 15.01.24 को विशेष बैठक बुलाई गई. 47 सदस्यों में से मात्र 6 सदस्य बैठक में उपस्थित हुए. राज्य निर्वाचन आयोग, बिहार द्वारा जारी दिनांक 16.09.2008 के पत्र के आलोक में अविश्वास प्रस्ताव को पराजित घोषित कर दिया.
फिर से बुलाई बैठकः अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा हेतु विशेष बैठक की तिथि निर्धारित करने हेतु अधियाचनाकर्ताओं द्वारा दिनांक 29.05.24 को अध्यक्ष को नया अधियाचना समर्पित किया गया. अध्यक्ष ने दिनांक 28.06.24 को तिथि निर्धारित की. डीडीसी, सारण को निर्देश दिया कि केवल उन्हीं 6 सदस्यों को नोटिस जारी करें, जिन्होंने 15.01.24 को बैठक में भाग लिया था. डीडीसी ने केवल उन्हीं 6 सदस्यों को नोटिस जारी किया. एक सदस्य कमलेश कुमार सिंह की शिकायत पर डीएम के निर्देश पर 06.06.24 को इस आदेश को वापस ले लिया गया.
क्यों हाईकोर्ट गया मामलाः 18.06.24 को कानून विभाग से राय मांगी गयी. कानूनी राय प्राप्त होने पर डीएम ने डीडीसी को सभी 47 निर्वाचित सदस्यों को नोटिस जारी करने का निर्देश दिया. 30.07.24 को विशेष बैठक की तारीख तय की. डीडीसी ने सभी 47 सदस्यों को नोटिस भेजे. जयमित्रा देवी ने इसी को हाई कोर्ट के समक्ष चुनौती दी. इस मामले में वरीय अधिवक्ता अमित श्रीवास्तव एवं वरीय अधिवक्ता विन्ध्यांचल सिंह ने निजी प्रतिवादियों की ओर से उपस्थित हुए और रिट याचिका का विरोध किया.
कोर्ट में रखा पक्षः 17 निजी प्रतिवादियों की ओर से वरीय अधिवक्ता अमित श्रीवास्तव ने कोर्ट के समक्ष पक्ष प्रस्तुत किया. उन्होंने पटना हाईकोर्ट के एक खंडपीठ द्वारा धर्मशीला देवी व सुप्रीम कोर्ट के भानुमती के निर्णय को कोर्ट के समक्ष रखा. उन्होंने कहा कि 15 जनवरी,2024 के अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान ही नहीं हुआ. अतः नये सिरे अविश्वास प्रस्ताव लाये जाने पर कोई कानूनी बाधा नहीं है. याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता एसबीके मंगलम व कुछ अन्य प्रतिवादियों की ओर से वरीय अधिवक्ता वसंत कुमार चौधरी ने पक्षों को प्रस्तुत किया.
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