कुल्लू: हिमाचल प्रदेश में आज एक ओर जहां लोकतंत्र का महापर्व मनाया जा रहा है. लोकसभा की चार सीटों के लिए और विधानसभा सीटों के लिए मतदान हो रहा है. बड़ी संख्या में प्रदेश में लोग मतदान करने मतदान केंद्रों में पहुंच रहे हैं. राजनीतिक दल विकास के बड़े-बड़े दावे कर रहे है वहीं, दूसरी तरफ प्रदेश में ऐसे भी दुर्गम इलाके हैं, जहां पर आजतक सड़क सुविधा नहीं है. लोगों को कई किलोमीटर पैदल चल कर मुख्य सड़क तक पहुंचना पड़ता है.
तय करना पड़ता है 22 KM पैदल सफर
कुल्लू जिले के दूरदराज एवं दुर्गम इलाके से एक ऐसा ही मामला सामने आया है. जहां आजादी के इतने साल बाद भी लोग बदहाली का जीवन व्यतीत कर रहे हैं. शाक्टी गांव में एक महिला के बीमार हो जाने पर उसे पालकी में ढोह कर निहारनी में मुख्य सड़क तक पहुंचाया गया. बता दें कि शाक्टी गांव के ग्रामीणों को 22 किलोमीटर पैदल सफर कर निहारनी पहुंचना पड़ता है. जहां से सड़क के सुविधा ग्रामीणों को मिलती है.
तबीयत बिगड़ने पर पालकी में ढोया
शनिवार को शाक्टी गांव की रहने वाली शीतल को पेट में अचानक होने लगा. जिसके बाद ग्रामीणों ने उसे पालकी पर बैठाया और 22 किलोमीटर पैदल चलकर उसे निहारनी पहुंचाया. जहां से उसे गाड़ी के जरिए सैंज अस्पताल पहुंचाया गया. अब सैंज अस्पताल में शीतल का इलाज हो रहा है. शाक्टी गांव के रहने वाले महेशु राम का कहना है कि इससे पहले भी कई बार ऐसे मामले सामने आए हैं. जब मरीज को पालकी पर ढोकर पैदल अस्पताल लाना पड़ता है.
दुर्गम पोलिंग बूथ
गौरतलब है कि शाक्टी गांव जिला कुल्लू का सबसे दुर्गम गांव है और यहां पर आज भी बिजली और सड़क की सुविधा उपलब्ध नहीं है. ऐसे में शनिवार को जहां देशभर में लोकतंत्र का त्योहार मनाया जा रहा है. वहीं, शाक्टी गांव में बीमार महिला को पालकी में पैदल ढोया जा रहा है, ताकि उसे उचित इलाज मिल सके. बता दें कि ये वहीं गांव हैं, जहां शाक्टी मतदान केंद्र तक पहुंचने के लिए पोलिंग पार्टी को 22 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है.