अलवर: शहर में वर्ष 2018 में शुरू हुआ पासपोर्ट सेवा केंद्र इन दिनों हज यात्रियों की राह आसान बना रहा है. कारण है कि पहले पासपोर्ट बनवाने के लिए लोगों को जयपुर के चक्कर लगाने पड़ते थे, लेकिन जब से अलवर शहर में लोगों को यह सुविधा मिलने लगी है. उनकी राह आसान हो गई. इस केंद्र पर रोजाना 60 लोगों को टोकन दिया जाता है. वर्तमान में करीब 30 दिनों की वेटिंग पासपोर्ट परामर्श के लिए मिल रही है. करीब 70 प्रतिशत लोग रोजाना हज यात्रा के लिए पासपोर्ट बनवाने के लिए पहुंच रहे हैं.वहीं युवा वर्ग भी विदेश जाने के लिए पासपोर्ट बनवा रहे हैं.
अलवर पासपोर्ट ऑफिस के इंचार्ज हरेंद्र मीणा ने बताया कि शहर में डाकघर के पास पासपोर्ट ऑफिस फरवरी 2018 में शुरू हुआ था. इससे पहले लोगों को पासपोर्ट बनवाने के लिए जयपुर जाना पड़ता था. अब बड़ी संख्या में अलवर जिले सहित आसपास के लोग भी पासपोर्ट बनवाने के लिए अलवर कार्यालय पर संपर्क कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि पासपोर्ट ऑफिस में रोजाना 60 टोकन इशू किए जाते हैं. इसमें से करीब 40 टोकन पासपोर्ट के लिए होते हैं, वहीं 20 टोकन पुलिस क्रेडिएंट्स सर्टिफिकेट के दिए जाते हैं.
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अलवर पासपोर्ट ऑफिस के इंचार्ज हरेंद्र मीणा ने बताया कि पासपोर्ट के लिए रोजाना आने वाले लोगों में करीब 70% लोग ऐसे हैं, जो हज यात्रा करने के लिए पासपोर्ट अप्लाई कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि इसके बाद 10 से 15% युवा वर्ग जो विदेश में पढ़ाई, नौकरी व वैकेशन के लिए पासपोर्ट बनवाने के लिए परामर्श ले रहे हैं. उन्होंने बताया कि अलवर पासपोर्ट सेवा केंद्र पर अलवर जिले के साथ नूह व भरतपुर जिले के लोग भी आ रहे हैं.
हर माह बन रहे 800 से ज्यादा पासपोर्ट: मीणा ने बताया कि अलवर शहर में संचालित पासपोर्ट ऑफिस में हर माह करीब 800 से 900 पासपोर्ट बन रहे हैं. उन्होंने कहा कि पासपोर्ट में अप्लाई करने से हाथ में आने तक के प्रोसेस में करीब 40 से 45 दिन का समय लगता है. अलवर के युवा दुबई, थाईलैंड, मलेशिया, कनाडा व अमेरिका के लिए पासपोर्ट बनवा रहे हैं.अलवर पासपोर्ट ऑफिस में दो लोगों का स्टाफ है, जो पासपोर्ट सेवा केंद्र में आने वाले लोगों को सुविधा प्रदान कर रहा है.
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यह है पासपोर्ट बनाने का प्रोसेस: हरेंद्र मीणा ने बताया कि सबसे पहले ई-मित्र के द्वारा ऑफिशल वेबसाइट के माध्यम से अप्लाई किया जाता है. इसके बाद दिए गए समय पर पासपोर्ट ऑफिस में उपस्थित होकर वेरीफिकेशन करवाया जाता है. वहां आवेदक के फोटो में फिंगरप्रिंट लिए जाते हैं.दस्तावेज सत्यापन होने के बाद पासपोर्ट बनने की प्रक्रिया शुरू होती है. पासपोर्ट बनाने के लिए सरकार की ओर से फीस निर्धारित की गई है, जिसमें 15 साल तक के बच्चों का शुल्क 900 रूपए, 15 से 18 साल तक के लोगों का शुल्क 1हजार रुपए, 18 साल से 60 साल तक के लोगों का शुल्क 1500 रूपए व 60 से अधिक उम्र के लोगों का शुल्क 1350 रुपए निर्धारित है.