कोरबा: ऊर्जा नगरी कोरबा के रेलवे स्टेशन में जब लिफ्ट लगाई जा रही थी तो यात्रियों ने सोचा कि आने वाले दिनों में उन्हें सीढ़ियां चढ़ने से मुक्ति मिल जाएगी. लेकिन उनकी ये खुशी ज्यादा दिनों तक टिक नहीं पाई. क्योंकि स्टेशन में लगा लिफ्ट बार बार खराब हो जाता है. जिससे बुजुर्गों, दिव्यांगों और गर्भवती महिलाओं को काफी परेशानी उठानी पड़ती है.
छूट जाती है यात्रियों की ट्रेन: रेलवे स्टेशन कोरबा के प्लेटफार्म नंबर एक, दो व तीन में लगभग 2 साल पहले लिफ्ट लगाई गई. इस दौरान ही कई बार लिफ्ट खराब हो चुकी है. लिफ्ट खराब होने के बाद भी जिम्मेदार कंपनी समय पर मेंटेनेंस नहीं कर रही. जिससे जरूरत पड़ने पर लिफ्ट खराब ही रहती है. कोरबा स्टेशन के दो व तीन से सबसे अधिक यशवंतपुर सुपरफास्ट, मेमू, पैसेंजर सहित अन्य अधिकांश यात्री ट्रेन यहीं से रवाना होती है. इस कारण सफर करने के लिए यात्रियों को प्लेटफार्म नंबर एक से प्लेटफार्म नंबर 2 व 3 पर जाना पड़ता है, लेकिन लिफ्ट के बार-बार खराब होने की वजह से बुजुर्ग, दिव्यांग व अस्वस्थ लोगों को भी फुट ओवरब्रिज की कठिन सीढ़ी पर लगे रेलिंग के सहारे चढ़कर उतरना पड़ता है. इस दौरान बुजुर्गों की सांस फुल जाती है.कई बार इसके चलते यात्रियों की ट्रेन तक छूट जाती है. बावजूद इसके रेलवे प्रबंधन इस पर ध्यान नहीं दे रहा है.
लिफ्ट बंद पड़ी हुई है. दिव्यांग और बुजुर्गों को काफी परेशान होती है. कोरबा रेलवे स्टेशन पर आए दिन लोगों को इस समस्या से जूझना पड़ता है. इसे ठीक करना चाहिए- यात्री
लिफ्ट खराब होने से सभी को समस्या हो रही है. इसके लिए आम लोग भी आवाज नहीं उठा रहे ना ही रेलवे कुछ कर रहा है. मुझे खुद भी चलने की समस्या है. कोरबा रेलवे स्टेशन में सुविधाएं बढ़ाने की जरूरत है.- यात्री
कंपनी से कराया जा रहा मेंटेनेंस: दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के सीपीआरओ साकेत रंजन का कहना है कि लिफ्ट ठीक करने वाली कंपनी को मेंटेनेंस का काम सौंपा गया है. जल्द ठीक करने को कहा गया है.
सेकेंड एंट्री में भी सुविधाओं का अभाव : एक दशक पहले रेलवे स्टेशन के पीछे की ओर सेकंड एंट्री की शुरुआत की गई थी. यहां टिकट घर और पार्किंग की सुविधा मुहैया करनी थी. लेकिन यह सुविधा भी बंद हो गई. अब यहां कोल साइडिंग खुल गई है. यात्रियों को यहां से टिकट तो नहीं मिला, लेकिन कोल डस्ट जरूर मिल रहा है. अब यहां भारी वाहनों का आना-जाना लगा रहता है. सेकंड एंट्री के फुट ओवर ब्रिज का इस्तेमाल करने वाले लोगों को भी एक तरह से कोयले की धूल फांकते हुए रेलवे स्टेशन तक पहुंचाना पड़ता है. सेकेंड एंट्री में सुविधा विकसित करने पर लोगों को फाटक क्रॉस किए बिना ही टिकट और पार्किंग की सुविधा मिल सकती है. लेकिन इसे बंद कर दिया गया है.
कोरबा का रेलवे स्टेशन कोयला लदान से दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे का सबसे ज्यादा राजस्व देने वाला स्टेशन है. रेलवे को अकेले कोरबा से सालाना लगभग 7000 करोड़ रुपए का राजस्व मिलता है. लेकिन यहां यात्री सुविधाओं का बेहद बुरा हाल है.