गाजीपुर : भारतीय हॉकी टीम ने पेरिस ओलंपिक में कांस्य पदक जीता है. यह पदक भारतीय टीम को स्पेन को हराने के बाद हासिल हुआ था. भारतीय टीम अब भारत लौट चुकी है. इसके साथ ही टीम के शामिल खिलाड़ी अपने घरों को पहुंच रहे हैं. गाजीपुर के करमपुर गांव के रहने वाले हाॅकी खिलाड़ी राजकुमार पाल भी ओलंपिक में खेलने वाले वाली हॉकी टीम में शामिल थे. रविवार को वह अपने गांव करमपुर पहुंचे, जहां मेघबारन सिंह स्टेडियम में उनका नागरिक अभिनंदन हुआ. इस मौके पर उन्होंने पेरिस ओलंपिक से जुड़े अपने तजुर्बे को भी साझा किया.
हाॅकी खिलाड़ी राजकुमार पाल ने कहा कि इंग्लैंड के खिलाफ मैच के दौरान भारतीय डिफेंडर खिलाड़ी अमित रोहिदास को रेड कार्ड दिखाया गया. इसके बाद से भारतीय टीम ने एकजुट होकर बेहतर करने का संकल्प लिया. टीम और कोचिंग स्टाफ ने यह संकल्प लिया था कि हॉकी के स्पोर्ट्स इवेंट में भारतीय टीम को मेडल लेकर ही लौटना है. टीम इसके बाद दोगुनी उत्साह से तैयारी करने लगी. रणनीति के तहत पेनल्टी शूटआउट को गोल में तब्दील करने की स्ट्रैटेजी पर भी टीम ने खासतौर से काम किया.
खिलाड़ी राजकुमार पाल ने बताया कि वह बेहद छोटे थे. उनके दो बड़े भाई उन्हें हॉकी खेलने से मना करते थे. भाइयों का कहना था कि राजकुमार पाल अपनी पढ़ाई और घर को वक्त दें, लेकिन राजकुमार पाल का इसके बाद भी हॉकी के प्रति लगाव कम नहीं हुआ. राजकुमार ने बताया कि उनका स्कूल स्टेडियम के ठीक बगल में था. स्कूल के समय से पहले वह घर से निकल जाते थे. पहले स्टेडियम में आकर के अभ्यास करते थे. उसके बाद वह स्कूल में पढ़ने जाते थे. ऐसा करने में उनके पिता ने उनके साथ दिया और उन्हें खेलने के लिए प्रोत्साहित किया.
उन्होंने बताया कि जब वह गांव के स्टेडियम में खेलते थे, इस दौरान उन्हें हॉकी के बारे में बहुत कुछ नहीं पता था. जब वह लखनऊ स्थित स्पोर्ट्स स्टेडियम पहुंचे, तब इस खेल के अन्य बारीकियां के बारे में उन्हें विस्तार से समझ हुई. उसके बाद उन्होंने भारतीय हॉकी टीम के लिए खेलने का सपना पाला. राजकुमार ने कहा कि उनके दो बड़े भाई भी हॉकी खिलाड़ी हैं, लेकिन वह राष्ट्रीय टीम का हिस्सा नहीं बन पाए. उनके बीच के भाई राजू पाल नेशनल के सिलेक्शन कैंप तक ही पहुंचकर रह गए थे. राजकुमार ने कहा कि उन्होंने इसको एक चुनौती की तरह लिया. उनके दोनों भाइयों को उन पर यकीन था कि वह नेशनल टीम के लिए खेल पाएंगे. बेहतर कोचिंग और अभ्यास के बदौलत वह नेशनल टीम में जगह बनाने में कामयाब रहे.
खिलाड़ी राजकुमार पाल ने कहा कि टीम के खिलाड़ियों की आपसी बॉन्डिंग बेहतरीन थी. भारतीय खिलाड़ियों को यह विश्वास था कि टीम फाइनल तक पहुंचेगी, लेकिन इसके साथ ही यह भी संकल्प था कि बिना मेडल लिए टीम को वापस नहीं जाना है. ऐसे में स्पेन को हराकर भारतीय टीम ब्रॉन्ज मेडल जीती.
मेघबारन सिंह स्टेडियम के प्रबंधन से जुड़े अनिकेत सिंह ने बताया कि राजकुमार पाल की जीत स्टेडियम के हर एक खिलाड़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत है. उत्तर प्रदेश सरकार के खेल प्रोत्साहन नीति के तहत राजकुमार पाल को भी ललित उपाध्याय की तरह ही डिप्टी एसपी बनाया जा सकता है. स्टेडियम समय-समय पर हॉकी की एडवांस तकनीकी के तहत खिलाड़ियों का अभ्यास कराने के प्रयास में है, ताकि वैश्विक स्तर की हॉकी प्रतिस्पर्धा में स्टेडियम के खिलाड़ी बेहतर स्थान हासिल कर पाएं.
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