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इटारसी के विवेक को तीसरे प्यार ने बनाया विश्व विजेता, सरकार ने कहा अर्जुन तो की मेडल की बारिश - Vivek Sagar Prasad

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Aug 19, 2024, 8:08 PM IST

Updated : Aug 20, 2024, 12:21 PM IST

पेरिस ओलंपिक में पदक विजेता भारतीय हॉकी टीम का हिस्सा रहे इटारसी के विवेक सागर प्रसाद का घर पहुंचने पर भव्य स्वागत किया गया. विवेक ने इस दौरान मीडिया से भी बात की. उन्हें भारतीय टीम में कैसे मौका मिला उन्होंने उसका भी जिक्र किया. इस लेख में हम विवेक सागर के अब तक के हॉकी के जीवन पर फौरी नजर डालेंगे.

PARIS OLYMPIC MEDALIST VIVEK SAGAR
ओलंपिक विजेता विवेक सागर (ETV Bharat Graphics)

नर्मदापुरम: पेरिस ओलंपिक पदक विजेता भारतीय हॉकी टीम के सदस्य विवेक सागर प्रसाद शनिवार को अपने घर इटारसी पहुंचे. जहां पर विवेक का भव्य स्वागत किया गया. जिला हॉकी संघ द्वारा उनका भव्य रोड रोड शो निकाला गया. शहर के ओवर ब्रिज से रोड से शुरू हुआ जो शहर के मुख्य मार्ग से होते हुए जिला हॉकी संघ कार्यालय पहुंचकर समाप्त हुआ. अनेक संगठनों द्वारा उनका भव्य स्वागत किया गया. इस अवसर पर इटारसी के छोटे से बड़े खिलाड़ियों ने विवेक सागर का स्वागत किया. इस दौरान विवेक सागर ने मीडिया से भी बात की.

VIVEK SAGAR HOW MANY MEDALS WON
विवेक सागर की उपलब्धियां (ETV Bharat Graphics)

'देश में टैलेंट बहुत है मगर पहचानने वालों की कमी है'

मीडिया से चर्चा करने के दौरान विवेक वरिष्ठ हॉकी खिलाड़ी और अपने गुरु अशोक कुमार का नाम लेना नहीं भूले. उन्होंने अपने इस मुकाम का श्रेय अशोक कुमार को दिया. उन्होंने कहा, ''अशोक सर ने हमारे टैलेंट को पहचाना और आज मैं यहां हूं. उन्होंने जब मुझे पहली बार एक टूर्नामेंट में खेलते हुए देखा था तो उस समय मैं नेशनल भी नहीं खेला था. अगर वह उस टूर्नामेंट में बतौर चीफ गेस्ट नहीं आए होते तो मैं भी आज यहां नहीं होता. इसी तरह कई खिलाड़ी ऐसे हैं कि उनके अंदर टैलेंट बहुत है मगर उनके टैलेंट को पहचानने वाला कोई नहीं है. हमारे देश में बहुत सी प्रतिभाएं ऐसी हैं जिन्हें मौका नहीं मिल पाता.''

विवेक सागर के हॉकी के जीवन के बारे में

आज विवेक सागर दो बार ओलंपिक विजेता हॉकी टीम का हिस्सा हैं. लेकिन विवेक को इसके लिए कड़ा संघर्ष करना पड़ा. यह सफर इतना भी आसान नहीं था. आइए एक फौरी नजर ने इस चैंपियन खिलाड़ी की हॉकी की दुनिया में झांक कर देखते हैं कि कैसा रहा विवेक का हॉकी का सफर.

बचपन में हॉकी में नहीं थी रुचि

विवेक सागर का जन्म 25 फरवरी 2000 को मध्य प्रदेश के इटारसी के शिवनगर चंदन गांव में हुआ था. बचपन में विवेक को शतरंज, बैडमिंटन और क्रिकेट खेलना पसंद था. हॉकी में उन्हें कुछ खास रुचि नहीं थी. विवेक का हॉकी से पहला सामना उनकी 10 साल की उम्र में हुआ था. दरअसल, विवेक के स्कूल में हॉकी खेलने वालों को उसकी ट्रेनिंग दी जा रही थी. सागर की हॉकी में विशेष रुचि नहीं थी लेकिन फिर भी वो इस ट्रेनिंग में शामिल हो गए. बस वहीं से उनके जीवन में हॉकी का आगमन हुआ और ऐसा आगमन हुआ कि आगे चलकर विवेक ने मेडलों की झड़ी लगा दी.

स्थानीय टूर्नामेंट में अशोक सागर की पड़ी नजर

हॉकी का जादू जल्द ही विवेक के सिर चढ़ कर बोलने लगा. वे बैडमिंटन और शतरंज खेलने में समय देने के बजाय अपना समय हॉकी को देने लगे. अपने घर के पास एक छोटी सी जगह पर अभ्यास किया करते थे. देखते ही देखते विवके स्कूल लेवल के ऊपर के खिलाड़ी बन गए. साल 2013 में महाराष्ट्र के अकोला में एक स्थानीय सीनियर लेवल के टूर्नामेंट में खेलते हुए सागर पर हॉकी के महान खिलाड़ी अशोक कुमार की नजर पड़ी, फिर क्या था उनको विवेक का खेल पसंद आ गया और उन्होंने इस हीरे को तराशने का सोच लिया. टूर्नामेंट की समाप्ति के बाद विवेक को भोपाल में अशोक कुमार की एमपी हॉकी अकादमी में प्लेसमेंट की पेशकश मिली. यह प्रतिभाशाली मिडफिल्डर ऐसे ही मौके की तलाश में था. उन्होंने इसको हाथों-हाथ लिया और अशोक कुमार की एकेडमी में अपनी प्रतिभा को निखारने में लग गए.

चोट की वजह से बुरा दौर आया

साल 2016 में सबको लगने लगा कि विवेक को जूनियर हॉकी विश्व कप के लिए भारतीय टीम में जगह मिल जाएगी. लेकिन टूर्नामेंट से ठीक पहले वो गंभीर रूप से चोटिल हो गए और टीम में अपनी जगह नहीं बना सके. इससे आहत विवेक कुछ दिनों तक डिप्रेशन में भी रहे थे. 2017 में विवेक ने मैदान पर वापसी करते हुए सुल्तान ऑफ जोहोर कप में शानदार प्रदर्शन करते हुए भारतीय टीम को कांस्य पदक जीताने में अहम भूमिका निभाई. इस टूर्नामेंट में उन्होंने प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट का पुरस्कार जीतकर एक बार फिर सबका ध्यान अपनी तरफ आकर्षित किया.

युवा ओलंपिक गेम में भारतीय टीम का नेतृत्व किया

इसके बाद उन्हें नेशनल कैंप बुलाया गया और 2018 में उन्हें सीनियर टीम में खेलने का मौका मिला. हालांकि उनका प्रदर्शन उनकी अपेक्षाओं के अनुरूप नहीं रहा. उसी साल उन्हें गोल्ड कोस्ट कॉमनवेल्थ गेम्स में खेलने का मौका मिला. इसके बाद 2018 में हुए एशियाई खेलों में 4 गोल कर उन्होंने भारत को पदक दिलाने में अहम भूमिका निभाई. प्रसाद को 2018 में युवा ओलंपिक खेलों में भारतीय जूनियर टीम का नेतृत्व करने का मौका मिला. जहां उन्होंने न सिर्फ मिलफिल्डर की भूमिका निभाई बल्कि टूर्नामेंट मे भारत के लिए सबसे ज्यादा गोल करने के मामले मे संयुक्त रूप से नंबर 1 रहे. इसके बाद विवेक ने अपने शानदार प्रदर्शन के दम पर जल्द ही सीनियर टीम में अपनी जगह पक्की कर ली.

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अर्जुन पुरस्कार से किया गया सम्मानित

विवेक, 2020 टोक्यो ओलंपिक में पदक विजेता भारतीय हॉकी टीम का हिस्सा रहे. उन्होंने हॉकी विश्व कप में भारतीय जूनियर टीम की कप्तानी भी की. 2021 में उन्हें भारत का सर्वश्रेष्ट खेल पुरस्कार अर्जुन अवार्ड से सम्मानित किया गया. इसके अलावा टोक्यो ओलंपिक में शानदार प्रदर्शन के लिए FIH यंग प्लेयर ऑफ द ईयर का भी पुरस्कार दिया गया. 2022 में हुए बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेल में भी विवेक भारतीय टीम का हिस्सा थे.

नर्मदापुरम: पेरिस ओलंपिक पदक विजेता भारतीय हॉकी टीम के सदस्य विवेक सागर प्रसाद शनिवार को अपने घर इटारसी पहुंचे. जहां पर विवेक का भव्य स्वागत किया गया. जिला हॉकी संघ द्वारा उनका भव्य रोड रोड शो निकाला गया. शहर के ओवर ब्रिज से रोड से शुरू हुआ जो शहर के मुख्य मार्ग से होते हुए जिला हॉकी संघ कार्यालय पहुंचकर समाप्त हुआ. अनेक संगठनों द्वारा उनका भव्य स्वागत किया गया. इस अवसर पर इटारसी के छोटे से बड़े खिलाड़ियों ने विवेक सागर का स्वागत किया. इस दौरान विवेक सागर ने मीडिया से भी बात की.

VIVEK SAGAR HOW MANY MEDALS WON
विवेक सागर की उपलब्धियां (ETV Bharat Graphics)

'देश में टैलेंट बहुत है मगर पहचानने वालों की कमी है'

मीडिया से चर्चा करने के दौरान विवेक वरिष्ठ हॉकी खिलाड़ी और अपने गुरु अशोक कुमार का नाम लेना नहीं भूले. उन्होंने अपने इस मुकाम का श्रेय अशोक कुमार को दिया. उन्होंने कहा, ''अशोक सर ने हमारे टैलेंट को पहचाना और आज मैं यहां हूं. उन्होंने जब मुझे पहली बार एक टूर्नामेंट में खेलते हुए देखा था तो उस समय मैं नेशनल भी नहीं खेला था. अगर वह उस टूर्नामेंट में बतौर चीफ गेस्ट नहीं आए होते तो मैं भी आज यहां नहीं होता. इसी तरह कई खिलाड़ी ऐसे हैं कि उनके अंदर टैलेंट बहुत है मगर उनके टैलेंट को पहचानने वाला कोई नहीं है. हमारे देश में बहुत सी प्रतिभाएं ऐसी हैं जिन्हें मौका नहीं मिल पाता.''

विवेक सागर के हॉकी के जीवन के बारे में

आज विवेक सागर दो बार ओलंपिक विजेता हॉकी टीम का हिस्सा हैं. लेकिन विवेक को इसके लिए कड़ा संघर्ष करना पड़ा. यह सफर इतना भी आसान नहीं था. आइए एक फौरी नजर ने इस चैंपियन खिलाड़ी की हॉकी की दुनिया में झांक कर देखते हैं कि कैसा रहा विवेक का हॉकी का सफर.

बचपन में हॉकी में नहीं थी रुचि

विवेक सागर का जन्म 25 फरवरी 2000 को मध्य प्रदेश के इटारसी के शिवनगर चंदन गांव में हुआ था. बचपन में विवेक को शतरंज, बैडमिंटन और क्रिकेट खेलना पसंद था. हॉकी में उन्हें कुछ खास रुचि नहीं थी. विवेक का हॉकी से पहला सामना उनकी 10 साल की उम्र में हुआ था. दरअसल, विवेक के स्कूल में हॉकी खेलने वालों को उसकी ट्रेनिंग दी जा रही थी. सागर की हॉकी में विशेष रुचि नहीं थी लेकिन फिर भी वो इस ट्रेनिंग में शामिल हो गए. बस वहीं से उनके जीवन में हॉकी का आगमन हुआ और ऐसा आगमन हुआ कि आगे चलकर विवेक ने मेडलों की झड़ी लगा दी.

स्थानीय टूर्नामेंट में अशोक सागर की पड़ी नजर

हॉकी का जादू जल्द ही विवेक के सिर चढ़ कर बोलने लगा. वे बैडमिंटन और शतरंज खेलने में समय देने के बजाय अपना समय हॉकी को देने लगे. अपने घर के पास एक छोटी सी जगह पर अभ्यास किया करते थे. देखते ही देखते विवके स्कूल लेवल के ऊपर के खिलाड़ी बन गए. साल 2013 में महाराष्ट्र के अकोला में एक स्थानीय सीनियर लेवल के टूर्नामेंट में खेलते हुए सागर पर हॉकी के महान खिलाड़ी अशोक कुमार की नजर पड़ी, फिर क्या था उनको विवेक का खेल पसंद आ गया और उन्होंने इस हीरे को तराशने का सोच लिया. टूर्नामेंट की समाप्ति के बाद विवेक को भोपाल में अशोक कुमार की एमपी हॉकी अकादमी में प्लेसमेंट की पेशकश मिली. यह प्रतिभाशाली मिडफिल्डर ऐसे ही मौके की तलाश में था. उन्होंने इसको हाथों-हाथ लिया और अशोक कुमार की एकेडमी में अपनी प्रतिभा को निखारने में लग गए.

चोट की वजह से बुरा दौर आया

साल 2016 में सबको लगने लगा कि विवेक को जूनियर हॉकी विश्व कप के लिए भारतीय टीम में जगह मिल जाएगी. लेकिन टूर्नामेंट से ठीक पहले वो गंभीर रूप से चोटिल हो गए और टीम में अपनी जगह नहीं बना सके. इससे आहत विवेक कुछ दिनों तक डिप्रेशन में भी रहे थे. 2017 में विवेक ने मैदान पर वापसी करते हुए सुल्तान ऑफ जोहोर कप में शानदार प्रदर्शन करते हुए भारतीय टीम को कांस्य पदक जीताने में अहम भूमिका निभाई. इस टूर्नामेंट में उन्होंने प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट का पुरस्कार जीतकर एक बार फिर सबका ध्यान अपनी तरफ आकर्षित किया.

युवा ओलंपिक गेम में भारतीय टीम का नेतृत्व किया

इसके बाद उन्हें नेशनल कैंप बुलाया गया और 2018 में उन्हें सीनियर टीम में खेलने का मौका मिला. हालांकि उनका प्रदर्शन उनकी अपेक्षाओं के अनुरूप नहीं रहा. उसी साल उन्हें गोल्ड कोस्ट कॉमनवेल्थ गेम्स में खेलने का मौका मिला. इसके बाद 2018 में हुए एशियाई खेलों में 4 गोल कर उन्होंने भारत को पदक दिलाने में अहम भूमिका निभाई. प्रसाद को 2018 में युवा ओलंपिक खेलों में भारतीय जूनियर टीम का नेतृत्व करने का मौका मिला. जहां उन्होंने न सिर्फ मिलफिल्डर की भूमिका निभाई बल्कि टूर्नामेंट मे भारत के लिए सबसे ज्यादा गोल करने के मामले मे संयुक्त रूप से नंबर 1 रहे. इसके बाद विवेक ने अपने शानदार प्रदर्शन के दम पर जल्द ही सीनियर टीम में अपनी जगह पक्की कर ली.

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अर्जुन पुरस्कार से किया गया सम्मानित

विवेक, 2020 टोक्यो ओलंपिक में पदक विजेता भारतीय हॉकी टीम का हिस्सा रहे. उन्होंने हॉकी विश्व कप में भारतीय जूनियर टीम की कप्तानी भी की. 2021 में उन्हें भारत का सर्वश्रेष्ट खेल पुरस्कार अर्जुन अवार्ड से सम्मानित किया गया. इसके अलावा टोक्यो ओलंपिक में शानदार प्रदर्शन के लिए FIH यंग प्लेयर ऑफ द ईयर का भी पुरस्कार दिया गया. 2022 में हुए बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेल में भी विवेक भारतीय टीम का हिस्सा थे.

Last Updated : Aug 20, 2024, 12:21 PM IST
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