कवर्धा : पंडरिया विकासखंड के ग्राम पंचायत सिंगापुर में पूर्व माध्यमिक शाला की पढ़ाई राम भरोसे हैं.क्योंकि इस स्कूल में बच्चों को पढ़ाने के लिए जिन शिक्षकों के कंधों पर जिम्मेदारी है,वो खुद ही स्कूल नहीं आते.जिसकी शिकायत कई बार बच्चों के माता पिता ने स्कूल प्रबंधन से की.लेकिन शिकायत के बाद भी जब कोई कार्रवाई नहीं हुई तो बच्चों के पालकों ने स्कूल के मेनगेट पर ताला जड़ दिया.पालकों ने इस दौरान जिम्मेदार अधिकारियों को मौके पर पहुंचकर समस्या का समाधान करने की मांग की.
शिक्षकों पर मनमानी का आरोप : ग्राम पंचायत सिंगापुर के सरपंच झगरसिंग मरकाम के मुताबिक पालकों का आरोप है कि पूर्व माध्यमिक शाला सिंगापुर में लगभग 100 विद्यार्थी पढ़ाई करते हैं.इन छात्रों को पढ़ाने के लिए स्कूल में 04 शिक्षक नियुक्त किए गए हैं. लेकिन एक शिक्षक को साल भर पहले किसी दूसरे स्कूल में अटैच कर दिया गया. वहीं वर्तमान में तीन शिक्षक स्कूल में हैं.लेकिन ये शिक्षक स्कूल में अपनी मनमानी चला रहे हैं.
''शिक्षक अपनी मनमानी करते हैं. जब जिसे स्कूल आना होता है तब आते हैं. जब नहीं आना होता नहीं आते. कभी-कभी तो एक भी शिक्षक स्कूल नहीं आते. बच्चे स्कूल में जाकर वापस घर लौट जाते हैं. इन समस्याओं को लेकर ब्लॉक शिक्षा अधिकारी से लेकर जिला शिक्षा अधिकारी तक को लिखित में शिकायत किया जा चुका है. लेकिन अधिकारी मामले में संज्ञान नहीं लेते इसलिए शिक्षकों का हौसला बुलंद हैं और अपनी मनमानी कर रहे हैं.'' झगरसिंग मरकाम, सरपंच
बच्चों का भविष्य हो रहा खराब : शिक्षकों की मनमानी के कारण स्कूल में पढ़ने वाले 100 बच्चों का भविष्य खराब हो रहा है. शनिवार के दिन जब ईटीवी भारत की टीम मौके पर पहुंची तो स्कूल का हाल कैमरे में कैद हुआ. स्कूल खुलने का समय सुबह 7 बजे का है.लेकिन 9 बजे तक एक भी शिक्षक स्कूल नहीं पहुंचा था.जो छात्र स्कूल आए थो वो भी अपने घर लौटने लगे.लेकिन कई बच्चों के पालक स्कूल प्रांगण में इकट्ठा हुए और स्कूल में ताला लगा दिया.पालकों की मांग है कि जब तक जिम्मेदार मौके पर आकर समाधान नहीं निकालते तब तक स्कूल में ताला लगा रहेगा.
अधिकारियों को मामले की जानकारी नहीं : वहीं जब इस मामले में प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी एमके गुप्ता से बात की गई तो उनका कहना था कि मुझे इस बारे में कोई जानकारी नहीं है. स्कूल में 4 शिक्षक हैं. लेकिन स्कूल नहीं आने के कारण ग्रामीणों ने ताला लगा दिया हैं तो मैं पता लगाता हूं.
अब जरा सोचिए जिन शिक्षकों के शिकायत पहले से ही जिला शिक्षाधिकारी के पास हो और वो इस तरह की बातें करे तो क्या समझा जाए.स्कूल से शिक्षक नदारद हैं और जिला शिक्षाधिकारी को इस बारे में कोई जानकारी नहीं है. वहीं जब मीडिया ने उन तक मामले को पहुंचाया तब उनकी नींद टूटी और अब जांच करवाने की बात कही जा रही है.